'सालार' रिव्यू: फिर एक्शन के 'बाहुबली' बने प्रभास, प्रशांत नील ने गढ़ी रोमांचक दुनिया
क्या है खबर?
प्रभास और पृथ्वीराज सुकुमारन की फिल्म 'सालार: सीजफायर पार्ट- 1' 22 दिसंबर को रिलीज हो गई है। प्रभास के प्रशंसक लंबे समय से इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे।
निर्देशक प्रशांत नील भी सुर्खियों में हैं। फिल्म की टीम इसके प्रचार के दौरान कई बार कह चुकी है कि यह सिनेमाई रूप से एक भव्य फिल्म होगी।
प्रशांत नील 'KGF' की तरह ही इस फ्रैंचाइजी को भी आगे बढ़ाएंगे।
आइए, जानते हैं कैसी है यह फिल्म।
कहानी
काल्पनिक शहर खानसार की कहानी
फिल्म एक काल्पनिक शहर खानसार की कहानी है। खानसार का अपना संविधान और अपने तौर-तरीके हैं, लेकिन यहां का राजा वही होता है, जो सबसे बलवान होता है। ऐसे में यहां एक-दूसरे के साथ हिंसा करना आम बात है।
खानसार सारी दुनिया से कटा हुआ है, लेकिन दुनियाभर के काले धंधों में खानसार के लोग शामिल हैं। भारत के अलावा यूरोप, रूस और ऑस्ट्रेलिया तक में खानसार के समर्थक हैं।
कहानी
खानसार की अंधेरी दुनिया में दोस्ती की लौ
'सालार' की कहानी देव (प्रभास) पर केंद्रित है। बचपन से ही देव खानसार के राजा के बेटे वर्धा (सुकुमारन) का गहरा दोस्त है। इनकी दोस्ती की वजह से उसकी जान पर बन आती है और वह अपनी मां के साथ खानसार छोड़कर बाहरी दुनिया में आ जाता है।
25 साल बाद वह वर्धा से किया वादा पूरा करने के लिए खानसार में वापस कदम रखता है। उसके आते ही खानसार में बुराई और अच्छाई की जंग शुरू हो जाती है।
अभिनय
प्रभास रहे नायक, सुकुमारन ने दिया पूरा साथ
फिल्म पूरी तरह से प्रभास की है। प्रशांत ने उन्हें पर्दे पर 'हीरो' बनाकर स्थापित किया है।
प्रभास ने भी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। अपने एक्शन, बॉडी लैंग्वेज और हाव-भाव से उन्होंने अपना हर फ्रेम रोमांचक बनाया है।
सुकुमारन के हिस्से ज्यादा एक्शन नहीं है। फिल्म का भावुक पक्ष मजबूत रखने की जिम्मेदारी उनके किरदार की थी। सुकुमारन ने इस किरदार और दर्शकों के साथ पूरा इंसाफ किया है।
अन्य कलाकार
इन कलाकारों ने भी बढ़ाई शोभा
श्रुति हासन के पास अभिनय का ज्यादा मौका नहीं था। वह एक रहस्यमयी लड़की आद्या के किरदार में हैं, जो पहली बार भारत आती है। उसके आते ही कुछ लोग उसकी जान के पीछे पड़ जाते हैं।
देव की मां की भूमिका में ईश्वरी राव ने फिल्म का पहला हिस्सा अपने नाम किया। दूसरे हिस्से में श्रिया रेड्डी का दमदार अंदाज दिखा है।
इनके अलावा जगपति बाबू, रामचंद्र राजू और जॉन विजय भी आकर्षण का केंद्र रहे।
सिनेमाटोग्राफी और सेट
सिनेमैटोग्राफी है मजबूत स्तंभ
दृश्यों के मामले में यह फिल्म समृद्ध है। प्रभास के एक्शन के अलावा फिल्म को भव्य बनाने का श्रेय फिल्म के सिनेमैटोग्राफर भुवन गौड़ा और एडिटर उज्जवल कुलकर्णी को जाता है।
फिल्म के कला निर्देशक शिवकुमार ने इस एक्शन थ्रिलर फिल्म का शानदार सेट तैयार किया है, जबकि एक्शन डायरेक्टर अनबरिव ने रोमांचक एक्शन सीक्वेंस तैयार किए हैं।
एक्शन दृश्यों में भरपूर हिंसा दिखाई गई है, जिसे VFX ने पूरा किया है।
निर्देशन
कई किरदारों से उलझी कहानी
प्रशांत ने एक बढ़िया दुनिया बनाई है और फिल्म के अगले भागों के लिए रोमांचक बुनियाद तैयार की है।
हालांकि, किरदारों को स्थापित करने में उन्होंने काफी देर लगाई। फिल्म का पहला भाग कौन किसका दुश्मन है, क्यों है और आद्या के रहस्य में उलझ गया। इसके अलावा पहला भाग प्रभास को नायक बनाने पर समर्पित रहा।
इंटरवल के बाद फिल्म का असल रोमांच शुरू होता है, जो बढ़ता ही जाता है।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें- यह भव्य सेट और उस पर दमदार एक्शन वाली फिल्म है। प्रभास का हर दृश्य रोमांचक है। काल्पनिक शहर खानसार की कहानी भी रोमांचक तरीके से गढ़ी गई है।
क्यों न देखें- फिल्म में बेहिसाब हिंसक दृश्य हैं। इस थ्रिलर फिल्म में कई किरदार हैं जो घटनाक्रम को समझने में आपको उलझा सकते हैं। एक्शन फिल्मों में दिलचस्पी रखने वाले लोग ही इसे देख सकते हैं।
न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5