#NewsBytesExplainer: कैसे चुना गया राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम'? मुस्लिम विरोधी होने का लगा था आरोप
क्या है खबर?
जब देशभक्ति गानों की बात आती है, तो जहन में सबसे पहले 'वंदे मातरम' आता है।
यह गीत देशभक्ति की ऐसी भावना में सराबोर करता है कि हर किसी का सिर अपने राष्ट्र के सामने झुक जाता है।
यह भारत का राष्ट्रगीत है। देशभक्ति से लबरेज होने के बावजूद राष्ट्रगान के लिए इसकी बजाय 'जन गण मन' को क्यों चुना गया?
जानते हैं राष्ट्रगीत से जुड़ा इतिहास, इसकी खास बातें और इससे जुड़े विवाद।
रचना
1882 में छपा था गीत
'वंदे मातरम' को बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था। इसे सबसे पहले 1882 में उनकी किताब आनंदमठ में प्रकाशित किया गया था।
यह गीत मातृभूमि की वंदना है और उन दिनों इसे बंगाल की स्तुति के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
भले इसमें कहीं किसी स्थान विशेष का नाम नहीं है, लेकिन शुरुआत में इसे 'बंगा माता' की स्तुति के रूप में गाया जाने लगा।
श्री ऑरबिंदो ने इसे 'बंगाल का राष्ट्रगान' कहा था।
विद्रोह
अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की आवाज बना यह गीत
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में इस गीत का खूब इस्तेमाल हुआ।
1886 में रबिंद्रनाथ टैगोर ने जब एक राजनीतिक कार्यक्रम में इसे गाया, तो इसका राजनीतिक महत्व और बढ़ गया। 1905 तक आंदोलनकारियों के बीच यह आम हो गया था।
इसके बाद यह गीत देखते ही देखते अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की आवाज बन गया। इस गीत का इतना प्रभाव था कि अंग्रेजों ने इस गीत और 'आनंदमठ' पर प्रतिबंध लगा दिया था।
विवाद
...जब गीत को बताया गया मुस्लिम विरोधी
भले ही इस गीत ने अंग्रेजों के होश गुम कर दिए थे, लेकिन धीरे-धीरे इसे लेकर भारतीयों के बीच ही दरार आने लगी।
आरोप लगा कि गीत के आखिरी 3 पद मुस्लिम विरोधी थे। इसके बाद टैगोर, जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्रबोस की एक समिति बनाई गई, जिन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि यह असल में मां दुर्गा का एक भजन है।
मुस्लिम लीग ने भी इस गीत पर अपनी आपत्ति जताई थी।
राष्ट्रगीत
1937 में चुना गया राष्ट्रगीत
1937 में कांग्रेस को यह फैसला करना था कि इसे राष्ट्रगीत चुना जाए या नहीं। ऐसे में मौलाना आजाद, टैगोर, बोस, आचार्य देव जैसे नेताओं ने इसे राष्ट्रगीत चुने जाने पर समर्थन जताया।
हालांकि, गैर-हिंदुओं की भावनाओं का ध्यान रखते हुए इसके शुरू को दो पदों को ही राष्ट्रगीत के लिए चुना गया।
इस गीत की धर्म निरपेक्षता पर राजनीतिक बयानबाजी आज भी होती रहती है। भारत का संविधान इसे राष्ट्रगान के बराबर का दर्जा देता है।
गाना
लता की आवाज से फिर घर-घर पहुंचा 'वंदे मातरम'
1952 में आई फिल्म 'आनंदमठ' के लिए हेमंत कुमार ने इस गीत के लिए संगीत तैयार किया था। फिल्म में लता मंगेशकर ने इस गाने को गाया।
इस गाने के कई संस्करण बन चुके हैं, लेकिन लता द्वारा गाया गया 'वंदे मातरम' खूब लोकप्रिय है और आज भी सुना जाता है।
2002 में BBC वर्ल्ड सर्विस द्वारा कराई गई वोटिंग में दुनियाभर के करीब 7,000 गानों में से इस गीत को दूसरा स्थान मिला था।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
1997 में इसी गीत का एक नया संस्करण आया, जिसे महबूब ने लिखा था और एआर रहमान ने संगीत दिया था। उस साल यह भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा बिकने वाला गैर-फिल्मी एल्बम बना था।