'पोन्नियिन सेल्वन 2' रिव्यू: ऐश्वर्या और विक्रम के अभिनय ने डाली मणिरत्नम की फिल्म में जान
मणिरत्नम के निर्देशन में बनी 'पोन्नियिन सेल्वन 2' ने आज (28 अप्रैल) सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है। फिल्म के पहले भाग के आने के बाद से ही दर्शक इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। पहले भाग का अंत पोन्नियिन सेल्वन के समुद्र में डूबने के साथ होता है तो दूसरे भाग में नंदिनी और आदित्य करिकालन की प्रेम कहानी के साथ इसकी कहानी आगे बढ़ती है। आइए जानते हैं दूसरा भाग उम्मीदों पर खरा उतरा या नहीं।
ऐसी है फिल्म की कहानी
'पोन्नियिन सेल्वन 2' युवा नंदिनी (ऐश्वर्या राय) और आदित्य करिकलन (चियान विक्रम) की दुनिया में ले जाती है। यह दोनों के प्यार की शुरुआत के साथ उनके अलग होने की कहानी दिखाती है। दूसरी ओर अरुणमोझी वर्मन उर्फ पोन्नियिन सेलवन (जयम रवि) और वंदितेवन (कार्थी) समुद्र में डूबने से बच जाते हैं और चोल साम्राज्य में चीजें बिगड़ जाती हैं। ऐसे में कहानी चोल साम्राज्य की गद्दी और चोल वंश पर मंडरा रहे खतरे के इर्द-गिर्द घूमने लगती है।
दिल को भा जाएगी ऐश्वर्या और विक्रम की अदाकारी
फिल्म में ऐश्वर्या मणिरत्नम के मार्गदर्शन में बेहतरीन लगती हैं। वह अपने भीतर की उथल-पुथल, अपने दिल के टूटने और अपने घावों को बेहद सहजता के साथ व्यक्त करती हैं। इसके साथ विक्रम के साथ उनकी अदाकारी कमाल की लगती है। फिल्म का सबसे अच्छा सीन भी आखिर में दोनों के बीच हुआ टकराव है। ऐश्वर्या लक्ष्मी और शोभिता धुलिपाल को कम स्क्रीन स्पेस मिला है, लेकिन वह उतने में भी अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहती हैं।
कार्थी और तृषा का भी शानदार प्रदर्शन
कार्थी फिल्म के वो सितारे हैं, जिनकी चमक दूसरे भाग में और भी बढ़ गई है। वंदितेवन की भूमिका निभाते हुए कार्थी हास्य और भावनात्मक दृश्यों को शुरू से ही बेहतरीन ढंग से निभाते हैं। तृषा भी जिस सीन में नजर आती हैं, उसमें अपनी अदाकारी से दिल जीत लेती हैं। घायल सम्राट के रूप में प्रकाश राज भी शानदार लगते हैं। ऐसे में मणिरत्नम सभी सितारों के बेहतरीन अभिनय को पर्दे पर लाने में सफल रहे हैं।
यहां लगी कमी
पोन्नियिन सेलवन के किरदार में रवि का अभिनय अच्छा है, लेकिन उनकी भूमिका को जितना प्रभावशाली सोचा गया था वह वैसा नहीं है। पहले भाग में जहां उनके किरदार को थोड़ा गुप्ता रखा गया था और कहानी का अंत उनके साथ हुआ था तो ऐसा लगा था कि दूसरे भाग की कहानी उनके कंधों पर होगी, लेकिन शुरुआत में यह नंदिनी और आदित्य की कहानी प्रतीत होती है। हालांकि, मणिरत्नम वापस कहानी पोन्नियिन सेलवन की ओर ले जाते हैं।
सिनेमैटोग्राफी और संगीत है बेहद खास
फिल्म सिनेमैटोग्राफी और संगीत के मोर्चे पर उत्कृष्ट साबित होती है। सिनेमैटोग्राफर रवि वर्मन ने मणिरत्नम को शानदार शॉट्स दिए हैं, वहीं एआर रहमान का संगीत इसे और भी खास बनाता है। फिल्म का सबसे बेहतरीन सीन में से एक नंदिनी और विक्रम के बीच होती आखिरी बातचीत का है, जिसमें क्लोज-अप शॉट्स के साथ उनकी भावनाओं को सीधे दर्शकों तक पहुंचाया जाता है। फिल्म में ऐसे कई सीन हैं, जो बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी के जरिए आपको कहानी से बांधे रखेंगे।
अच्छे अनुभव के साथ दुविधा में डालती है कहानी
कल्की कृष्णमूर्ति के उपन्यास पर आधारित यह फिल्म शानदार अनुभव तो देती है, लेकिन किरदार ज्यादा होने की वजह से बीच में आप दुविधा में भी पड़ जाएंगे। पहले भाग को जिन लोगों ने देखा है उनके लिए इसकी कहानी समझना आसान है, लेकिन अगर आपने न उपन्यास पढ़ा है और न पहला भाग देखा है तो यह शायद आपको समझ न आए। मणिरत्नम का निर्देशन कमाल है, लेकिन उनका कहानी कहने का तरीका थोड़ा आसान हो सकता था।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- अगर आपको ऐतिहासिक फिल्में देखना पसंद हैं और आप मणिरत्नम की 'पोन्नियिन सेल्वन 1' के प्रशंसक हैं तो यह आपको जरूर देखनी चाहिए। फिल्म में सितारों के अभिनय के साथ ही संगीत और दृश्य कमाल हैं। क्यों न देखें?- अगर आपने 'पोन्नियिन सेल्वन 1' नहीं देखी है और आप चोल साम्राज्य के बारे में नहीं जानते हैं तो यह आपको ठीक से समझ नहीं आएगी। ऐसे मे आप इसे देखना छोड़ भी सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5