कुमार सानू नहीं सुनते आजकल के गाने, बोले- सुनने लायक ही नहीं हैं
क्या है खबर?
कुमार सानू ने कड़ी मेहनत से बॉलीवुड में अपनी एक अलग और खास पहचान बनाई है। 90 के दशक में रोमांटिक गानों का मतलब ही सानू होते थे।
वह किशोर कुमार को अपना आदर्श मानते आए हैं और उन्हीं की राह पर चलते हुए उन्होंने बॉलीवुड में अपना वो मुकाम हासिल किया है, जिसके चलते उन्हें इंडस्ट्री का दूसरा किशोर कहा जाता है। हाल ही में सानू ने संगीत पर खुलकर बात की।
आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा।
दिलचस्पी
किस तरह के गाने सुनते हैं सानू?
प्लेबैक सिंगिंग में 35 साल पूरे होने के मौके पर सानू ने इंडियन एक्सप्रेस से बात की। उन्होंने बताया, "मैं लता जी के पुराने गाने, किशोर कुमार, रफी के गाने सुनता हूं। अपने गाने सुनने से परहेज करता हूं। कुछ अंग्रेजी गाने भी सुनता हूं, लेकिन आज के हिंदी गाने नहीं।"
उन्होंने कहा, "आज की हिंदी फिल्मों के गाने सुनने लायक ही नहीं हैं, इसलिए न तो मैं सुनता हूं और ना ही मुझे इनके बारे में ज्यादा जानकारी है।"
सफरनामा
संघर्ष की बदौलत ही अभी तक इंडस्ट्री में टिके हैं सानू
इंडस्ट्री में 35 साल का सफर तय करने पर सानू कहते हैं, "सोचो तो यह बहुत मुश्किल और एक सपने जैसा लगता है। जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो अहसास होता है कि मैंने कितना संघर्ष किया है। कभी नहीं लगा था कि मुझे इतना प्यार मिलेगा, यहां तक पहुंचूंगा और गाना जारी रखूंगा।"
उन्होंने कहा, "मैं अपने लक्ष्य से कभी नहीं भटका। इससे मुझे आगे बढ़ने में मदद मिली। अगर संघर्ष न होता तो मैं यहां न होता।"
कमाई का जरिया
होटलों में गाना गाते थे सानू
जब सानू से पूछा गया कि फिल्म 'आशिकी' से पहले का दौर कैसा था तो उन्होंने कहा, "मुंबई आने के छह दिन के अंदर ही मैंने होटलों में गाना शुरू कर दिया था। मैं उससे जो भी कमाता था, उस पैसे को अपने लिए एक टेप बनाने में लगाता था। मैं तब कैसेट को संगीत निर्देशकों के पास ले जाता था।"
उन्होंने कहा, "मुझे कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ा। मैंने करीब 6-7 साल होटलों में गाना गाया।"
परवरिश
जड़ों से जुड़ा रहा, इसलिए 'आशिकी' के बाद हवा में नहीं उड़ा
सानू ने कहा, "जब 'आशिकी' आई तो ऐसा नहीं था कि मुझे लगा कि मैं स्टार बन गया हूं। मैं बिल्कुल नहीं बदला और ऐसा मेरी परवरिश के कारण हुआ। मेरे बचपन के दोस्त आज भी मेरे साथ हैं। मैंने अपने अतीत को और अपनी जड़ों को कभी नहीं छोड़ा। अगर छोड़ दिया होता स्टारडम मुझ पर हावी हो गया होता।"
1990 में आई फिल्म 'आशिकी' से सानू ने पहली बार फिल्म इंडस्ट्री में सफलता का स्वाद चखा था।
जानकारी
संगीत को बताया अपना जीवन
सानू ने कहा कि वह संगीत के बिना अपनी जिंदगी की कल्पना नहीं कर सकते। इसके बिना उनका जीवन शून्य है। उन्होंने कहा, "मैं सोच भी नहीं सकता कि अगर कोई मेरे जीवन से संगीत को हटा दे तो मैं सांस ले पाऊंगा या नहीं।"
लोकप्रियता
दर्शकों के दिलों पर राज करते थे सानू
कुमार सानू ने बॉलीवुड की फिल्मों में अपनी आवाज से दर्शकों का दिल जीत लिया। उनके गीतों ने एक अलग जादू बिखेरा। फिल्म में चाहे कोई भी हीरो या हीरोइन हो, अगर उनका गाना होता था तो समझो फिल्म हिट।
'ए काश के हम', 'एक लड़की को देखा', 'तुझे देखा तो', 'चुरा के दिल मेरा', 'आंखों की गुस्ताखियां', 'मेरा दिल भी कितना पागल' है और 'लड़की बड़ी अनजानी है' जैसे उनके कई लोकप्रिय गानों को लोग आज भी गुनगुनाते हैं।