#NewsBytesExplainer: मीना कुमारी थीं फिल्मफेयर जीतने वाली पहली अभिनेत्री, जानिए क्यों कहलाईं बॉलीवुड की ट्रैजडी क्वीन
क्या है खबर?
मीना कुमारी हिंदी सिनेमा की एक ऐसी अभिनत्री थीं, जिनके अभिनय की गहराई कभी नापी नहीं जा सकती। उनकी मौजूदगी हर फिल्म की जान होती थी।
आज भी सिने प्रेमी उन्हें याद करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। मीना का असली नाम महजबीं बानो था। वह हिंदी सिनेमा की पहली अभिनेत्री थीं, जिन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार से नवाजा गया था।
1 अगस्त को मीना की जयंती पर आइए जानें उनसे जुड़ीं वो बातें, जिनकी वजह से उनका नाम ट्रैजडी क्वीन पड़ा।
जानकारी
पहला फिल्मफेयर पुरस्कार
बॉलीवुड में पहली बार मीना को फिल्म 'बैजू बावरा' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। उन्होंने अपने करियर में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की श्रेणी में 4 फिल्मफेयर पुरस्कार अपने नाम किए थे। 'बैजू बावरा' से ही उन्होंने सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ी थी।
रिकॉर्ड
आज तक नहीं टूटा ये रिकॉर्ड
पहली बार ऐसा हुआ था कि 1962 में हुए फिल्मफेयर में नामित हुईं सारी फिल्में मीना की ही थीं और जज ये नहीं तय कर पा रहे थे कि किस फिल्म के लिए उन्हें पुरस्कार दिया जाए।
आखिरकार मीना को फिल्म 'साहिब बीबी और गुलाम' के लिए यह पुरस्कार मिला। न तो उनसे पहले कभी किसी अभिनेत्री ने यह उपलब्धि पाई और ना ही उनके बाद।
उन्होंने आखिरी बार फिल्म 'काजल' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था।
त्याग
इतनी कम उम्र में संभाली घर की जिम्मेदारी
मीना पर 4 साल की उम्र में अपने परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। जब बच्चे खेल के मैदान में खेल दिखाते हैं, तब वह सिनेमा जगत में अपनी अदाकारी के जलवे बिखेरने लगीं।
13 की उम्र में वह लीड हीरोइनों की फेहरिस्त में शुमार हुईं और 1960 के दशक की सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्री बनीं।
हालांकि, जिंदगी ने कुछ इस कदर रफ्तार पकड़ी कि उम्र के 38वें पायदान पर ही उनकी जिंदगी का आखिरी बसंत आ गया।
बचपन
बचपन में चींटियों ने नोच डाला बदन
मीना के जीवन में ट्रैजडी यानी हादसे की शुरुआत उनके पैदा होते ही हो गई थी। उनके पिता की माली हालत खराब थी। यही वजह है कि दूसरी भी बेटी होने पर वह उन्हें अनाथालय छोड़ आए।
हालांकि, पत्नी के समझाने के बाद उनका दिल पसीजा। फिर जब वह मीना को लेने अनाथालय वापस पहुंचे तो देखा कि उस नन्ही-सी जान के शरीर को चींटियां काट रही थीं। पिता ने बच्ची को कलेजे से लगाया और उसे लेकर लौट आए।
निधन
मां के जाने से टूट गईं मीना
बतौर लीड हीरोइन मीना की पहली फिल्म 'बच्चों के खेल' थी, जिसकी रिलीज के लगभग 18 महीने बाद उनकी मां चल बसीं। उससे मीना बुरी तरह टूट गईं।
वह सदमे में थीं, लेकिन घर चलाने की जिम्मेदारी थी। उन्हें शोक मनाने का भी समय नहीं मिल सका।
मीना की मां गायिका थीं। तभी तो मीना को भी गाने का शौक था और उन्होंने कई गानों में अपनी आवाज भी दी थी। गायकी की तालीम उन्हें अपनी मां से ही मिली।
छेड़छाड़
निर्देशक ने की बदतमीजी
एक बार मीना को बड़े निर्देशक की फिल्म मिली, जो शूटिंग से पहले फिल्म पर बात करने के बहाने उनके मेकअप रूम में पहुंच गया।
जैसे ही लंच शुरू हुआ तो वो टेबल के नीचे मीना के पैर पर अपना पैर रखने लगा और उनके करीब आने लगा।
मीना उसकी मंशा समझ गईं और जोर-जोर से शोर मचाने लगीं। बाहर खड़े लोग अंदर आए। सेट पर हंगामा मच गया। फिर मीना ने गुस्से में उस निर्देशक को पीटना शुरू किया।
सजा
निर्देशक ने यूं लिया अपनी बेइज्जती का बदला
कॉन्ट्रैक्ट के चलते मीना फिल्म नहीं छोड़ सकीं। निर्देशक ने ऐन मौके पर स्क्रिप्ट में मीना को थप्पड़ पड़ने का एक सीन डाल दिया।
उसके एक्शन बोलते ही भारी हाथ वाले एक एक्टर ने मीना को जोरदार थप्पड़ मारा। मीना हिल गईं। उनका गाल लाल पड़ गया। निर्देशक ने बदला लेने की मंशा से कहा, "शॉट खराब था। दोबारा करना पड़ेगा।" ऐसे ही चुपचाप उन्हें 31 थप्पड़ खाने पड़े।
अभिनेता अनवर हुसैन ने यह किस्सा बलराज साहनी काे सुनाया था।
हादसा
'बैजू बावरा' की शूटिंग में हुआ हादसा
'बैजू बावरा' के दौरान मीना के साथ एक बहुत बड़ा हादसा हुआ था। दरअसल, फिल्म का एक सीन था, जिसमें मीना को नाव चलानी थी।
इस सीन को शूट करते वक्त अचानक से बड़ी-बड़ी लहरें आ गई और अभिनेत्री नाव से गिर गईं।
मीना लगभग डूब ही गई थीं। उन्हें डूबता देख उनकी फिल्म की टीम ने हिम्मत दिखाकर मिलकर उन्हें पानी से निकाला। उस दिन अभिनेत्री बाल-बाल बचीं थीं।
इस फिल्म के बाद उनके साथ कई बड़े हादसे हुए।
दुर्घटना
टूट गई उंगली
एक बार मीना मुंबई और महाबलेश्वर के रास्ते में कहीं जा रही थीं, तभी उनके साथ एक दुर्घटना हो गई थी। यह दुर्घटना इतनी खतरनाक थी कि इसके कारण मीना की बाएं हाथ की उंगली तक टूट गई थी।
इलाज के बाद उसका आकार बदल गया था। वह गोल हो गई थी, जो मीना को बड़ी अजीब लगती थी। यही कारण है कि मीना ज्यादातर फिल्मों के दौरान अपनी बाएं हाथ की उंगली को दुपट्टे से लपेटे नजर आती थीं।
असफल रिश्ता
शादी टूटी तो नशे में डूबीं
मीना को शादीशुदा निर्देशक कमाल अमरोही से मोहब्बत हो गई। पिता के लाख इनकार के बावजूद उन्होंने कमाल से शादी रचाई।
इश्क ने भी उनका इम्तिहान लिया। कुछ समय बाद उनके रिश्ते में कड़वाहट आई और एक रोज मीना, कमाल का घर छोड़कर चली गईं।
कमाल से बिछड़ने के बाद मीना फिल्में तो करती रहीं, लेकिन उनकी जिंदगी में वह रौनक कभी नहीं लौटी।
उन्होंने खुद को शराब में डुबो लिया और कविता और गजलों के बंधन में बंध गईं।
बीमारी
1968 में पता चली बीमारी
हद से ज्यादा शराब पीने के कारण 1968 में मीना को लिवर सिरोसिस का पता चला। वह इलाज के लिए लंदन और स्विट्डरलैंड गईं। एक महीने बाद सितंबर में वह लौटीं जरूर, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं हुईं।
मीना को बताया जा चुका था कि उनके पास ज्यादा दिन नहीं हैं। उन्होंने सालों पहले कमाल से वादा किया था कि उनकी ड्रीम फिल्म 'पाकीजा' में हीरोइन वो ही बनेंगी।
बीमारी और तलाक के बावजूद मीना ने अपना वो वादा निभाया।
दुखद
मीना की मौत पर नरगिस ने लिखी थी ये बात
मीना 31 मार्च, 1972 को अलविदा कह गईं। साथ ही तमाम मुश्किलों से आजाद हो गईं।
उन्होंने अपने करियर में जितनी बुलंदियां हासिल कीं, अपनी निजी जिंदगी में मीना ने उतने ही दर्द झेले।
उनकी मौत पर अभिनेत्री नरगिस ने लिखा था, 'मीना तुम्हें मौत मुबारक हो। आज तुम्हारी बड़ी बहन तुम्हें मौत पर मुबारकबाद दे रही है और चाहती है कि अब कभी इस दुनिया में कदम मत रखना। ये दुनिया तुम जैसे लोगों के लिए नहीं है।'
जानकारी
हिंदी सिनेमा की अनमोल रत्न
मीना ने 'चांदनी चौक', 'आजाद', 'बंदिश', 'नया अंदाज', 'मेम साहिब', 'एक ही रास्ता', 'बंधन' और 'पाकीजा' जैसी न जाने कितनी सुपरहिट फिल्में दीं। वह बॉलीवुड की उन गिनी चुनी अभिनेत्रियों में से एक रहीं, जिन्हें हिंदी सिनेमा के इतिहास में अनमोल रत्न माना जाता है।