जयंती विशेष: बॉलीवुड के मंझे हुए कलाकार थे संजीव कुमार, जिनकी आंखें भी करती थीं अभिनय
क्या है खबर?
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता संजीव कुमार उन कलाकारों में शुमार हैं, जो अपनी कला के दम पर अमर हो गए।
9 जुलाई, 1938 को जन्मे अभिनेता का असली नाम हरिहर जेठालाल जरीवाला था, जिसे उन्होंने बाद में बदला था।
कहा जाता है कुमार इतने मंझे हुए कलाकार थे कि बिना बोले अपनी आंखों से भी अभिनय करते थे। साथ ही उनके चेहरे के हाव-भाव भी लोगों का दिल जीत लेते थे।
आज उनकी जयंती पर उनके बारे में जानते हैं।
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पहली फिल्म में मिला था 2 मिनट का रोल
सूरत में जन्मे कुमार 7 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ मुंबई आ गए, जहां उनकी रुचि अभिनय की ओर बढ़ने लगी।
फिल्मों में जाने की अपनी चाह के लिए वह थिएटर से जुड़े और फिर 1960 में 'हम हिंदुस्तानी' से डेब्यू किया, जिसमें वह 2 मिनट के लिए दिखे थे।
हालांकि, इस फिल्म से उन्हें खास सफलता नहीं मिली और वह छोटी भूमिकाएं ही निभाने लगे, लेकिन फिर 1968 में 'राजा और रंक' से उनकी किस्मत चमकी।
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एक ही फिल्म में 9 किरदार निभा किया हैरान
कुमार अपने शानदार अभिनय के बल पर इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने और दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हो रहे थे।
उन्होंने 1974 में आई 'नया दिन नई रात' में तो 9 किरदार निभाकर लोगों को अपनी अदाकारी से हैरान कर दिया था।
वह इस फिल्म में अंधे, बूढ़े से लेकर डाकू तक की भूमिका में नजर आए थे।
इसके अलावा वह 'खिलौना', 'आंधी', 'अर्जुन पंडित', 'पति, पत्नी और वो', 'त्रिशूल' सहित कई शानदार फिल्मों में दिखे थे।
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'शोले' के 'ठाकुर' ने दिलाई अलग पहचान
रमेश सिप्पी की आइकोनिक फिल्म 'शोले' को आज भी लोग पसंद करते हैं। इस फिल्म में कुमार ठाकुर के किरदार में नजर आए थे, जो उनके लिए बहुत अहम साबित हुआ था।
कुमार ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्मों में काम किया और कई पुरस्कार भी अपने नाम किए थे।
उन्हें 1970 में आई फिल्म 'दस्तक' और 1972 में आई 'कोशिश' के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया था।
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छवि नहीं, अभिनय को देते थे तवज्जो
पर्दे पर जहां हीरो अपनी छवि का ख्याल रखते थे तो कुमार अपने अभिनय को तवज्जो देते थे। उन्हें किसी भी उम्र के किरदार निभाने में समस्या नहीं थी।
अपने समय के वह वो अभिनेता थे, जिन्हें किसी भी किरदार में आसानी से ढाला जा सकता था। वह किसी एक किरदार में खुद को बांधकर नहीं रखते थे।
उन्होंने जिन अभिनेत्रियों के साथ पर्दे पर रोमांस किया था, उनके वह ससुर या पिता के किरदार में भी दिखाई दिए थे।
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दिल का दौरा पड़ने से हुआ था निधन
कुमार का 47 साल की उम्र में 6 नवंबर, 1985 को मुंबई में अपने घर में निधन हो गया था।
वह बाथरूम में फर्श पर गिरे मिले थे, जिसके बाद दिल का दौरा पड़ने से निधन होने की बात सामने आई थी।
कहा जाता था कि अभिनेता के परिवार में कोई भी पुरुष 50 वर्ष से अधिक नहीं जी पाता था।
उनके छोटे भाई नकुल का अभिनेता से पहले तो बड़े भाई का 6 महीने बाद निधन हो गया था।