
#NewsBytesExplainer: कैसे बॉलीवुड के लिए मील का पत्थर साबित हुई यश चोपड़ा की 'चांदनी'?
क्या है खबर?
हिंदी सिनेमा में रोमांस की एक अलग ही जगह है। दशकों से बॉलीवुड में एक खास तरह का रोमांस देखने को मिलता है।
70-80 के दशक में 'एंग्री यंग मैन' के किरदारों वाली एक्शन फिल्में बन रही थीं, लेकिन यश चोपड़ा की एक फिल्म ने हवा का रुख बदल दिया।
27 सितंबर को यश की 81वीं जयंती है। आइए, जानते हैं यश की उस फिल्म के बारे में जो बॉलीवुड में मील का पत्थर साबित हुई।
यश
...जब असफलताओं से आहत हुए यश
70 के दशक में यश की 'दीवार', 'त्रिशूल' जैसी फिल्में खूब पसंद की गईं।
इसके बाद हर निर्माता-निर्देशक की तरह यश ने भी अपने करियर में गिरावट का दौर देखा। उनकी कई फिल्में लगातार फ्लॉप हुईं।
करण जौहर से एक बातचीत में यश ने कहा था कि उन्होंने 'सिलसिला' बहुत दिल से बनाई थी, लेकिन वह नहीं चली, 'मशाल' नहीं चली।
इन फिल्मों के बाद 'फासले' भी नहीं चली। इन असफलताओं ने यश को काफी आहत किया।
फैसला
सफलता के असफल प्रयोग के बाद बनाई 'चांदनी'
इन असफलताओं के बाद यश ने एक्शन, बोल्डनेस जैसे मसालों को डालकर कुछ फिल्में बनाईं, लेकिन वे भी नहीं चलीं।
इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि अब वह केवल अपने दिल की सुनेंगे और अपने मन की फिल्म बनाएंगे। इसके बाद उन्होंने अपनी फिल्म 'चांदनी' की स्क्रिप्ट तैयार की।
उन दिनों श्रीदेवी के स्टारडम का बोलबाला था और यश अपनी फिल्म में उन्हें लेना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने बोनी कपूर को श्रीदेवी से बात करने के लिए भेजा।
सवाल
यश के विचार पर उठ रहे थे सवाल
'चांदनी' बनाते वक्त एक मशहूर क्रिटिक ने यश से पूछा कि आखिर वह ये फिल्म क्यों बना रहे हैं। फिल्म में विनोद खन्ना हैं और कोई लड़ाई भी नहीं है। फिल्म का कोई प्रमुख दृश्य नहीं है।
इस पर यश ने कहा था, "आपको लगता है कि लड़ाई फिल्म का प्रमुख दृश्य है, मुझे लगता है कि गाना फिल्म का प्रमुख बिंदु है। गाना घर जाने के बाद भी लोगों के जहन में रहता है।"
डिस्ट्रीब्यूटर
फिल्म से प्रभावित नहीं हुए आलोचक और डिस्ट्रीब्यूटर
फ्लॉप फिल्मों से निराश हो चुके यश के लिए 'चांदनी' आखिरी दांव था।
फिल्म देखने के बाद आलोचकों ने इस पर कई सवाल उठाए। इसकी अवधि, इसके गानों को लेकर यश पर सवाल उठने लगे। कुछ डिस्ट्रीब्यूटरों ने फिल्म रिलीज करने से भी मना कर दिया।
हालांकि, फिल्म जगत में कहा जाता है कि हर फिल्म की तकदीर होती है। 'चांदनी' सिनेमाघरों में आई तो सुपरहिट साबित हुई।
आकर्षण
हर तरफ फैली 'चांदनी'
जिन बातों के लिए यश पर उंगलियां उठ रही थीं, वे 'चांदनी' के प्रमुख आकर्षण साबित हुई।
हर तरफ फिल्म के गाने छा गए। हर पोस्टर पर ऋषि कपूर और श्रीदेवी नजर आने लगे। श्रीदेवी की साड़ियां फैशन जगत में नया ट्रेंड बन गईं और स्विटजरलैंड मानों नक्शे पर दोबारा नजर आने लगा।
फिल्म के कलाकारों को कई समारोहों में सम्मानित किया गया। 1990 में इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया।
रोमांस
रोमांटिक फिल्मों का शुरू हुआ चलन
'चांदनी' ने बॉलीवुड निर्माताओं के लिए रोमांटिक फिल्मों के दरवाजे खोल दिए।
'चांदनी' में यश ने ऐसा रोमांस दिखाया, जो हिंदी सिनेमा में पहले नहीं देखा गया था। हेलिकॉप्टर से फूल बरसाना, बर्फ पर खेलना, साड़ियों में डांस करना, ये सबकुछ दर्शकों के लिए नया था।
VCR के उस दौर में दर्शक एक बार फिर से सिनेमाघरों में उमड़ पड़े। हैरान करने वाली बात यह थी कि वे एक रोमांटिक फिल्म के लिए पैसे खर्च कर रहे थे।
अन्य रोमांटिक फिल्में
न्यूजबाइट्स प्लस
'चांदनी' के बाद यश चोपड़ा ने 'लम्हे', 'डर', 'दिल तो पागल है' और 'वीर जारा' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
2012 में उनकी फिल्म 'जब तक है जान' उनके द्वारा निर्देशित आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म में शाहरुख खान, कैटरीना कैफ और अनुष्का शर्मा मुख्य भूमिका में थे। यह फिल्म उनके निधन के कुछ दिन बाद ही रिलीज हुई थी।
अक्टूबर, 2012 में डेंगू से यश का निधन हो गया था।