IMAX साधारण मल्टीप्लेक्स स्क्रीन से कैसे अलग है? जानिए सबकुछ
आधुनिक तकनीक ने सिनेमा की दुनिया को और खूबसूरत बना दिया है। पहले ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में आती थीं, फिर रंगीन फिल्में आईं और अब फिल्मों को 3D में रिलीज करने का प्रचलन बढ़ा है। वर्तमान में कई भारतीय सिनेमाघरों में फिल्मों को रिलीज करने के लिए एक एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे IMAX कहते हैं। आइए जानते हैं कि क्या है IMAX और इसने कैसे फिल्म देखने का अनुभव बदल दिया।
1967 में हुई थी IMAX कॉर्पोरेशन की स्थापना
IMAX फिल्म तकनीक का एक ब्रांड और सिनेमाघर चेन है। कनाडा की कंपनी IMAX कॉर्पोरेशन ने इसको ईजाद किया था। इस कॉर्पोरेशन की स्थापना 1967 में हुई थी। IMAX को ग्रीम फर्ग्यूसन, रोमन क्रॉइटर और रॉबर्ट केर ने मिलकर स्थापित किया था। 1970 के दशक की शुरुआत में उन्होंने कनाडा में अपना पहला IMAX सिनेमा विकसित किया था। वहीं 1970 में 'टाइगर चाइल्ड' नामक फिल्म को सबसे पहले दिखाया गया था।
कैसे अलग है IMAX?
IMAX के जरिए हाई रेजोल्यूशन वाले दृश्य को रिकॉर्ड और प्रदर्शित किया जाता है। साधारण सिनेमाघरों की तुलना में इसकी स्क्रीन बड़ी होती है। इसके साउंड सिस्टम समेत अन्य चीजें भी अलग होती हैं।
कितनी बड़ी होती है IMAX की स्क्रीन?
एक आम सिनेमाघर और IMAX जैसे थिएटर के बीच मुख्य अंतर स्क्रीन के साइज का होता है। IMAX की स्क्रीन लगभग 50 फीट ऊंची और 70 फीट चौड़ी होती है। इसमें दर्शकों को शानदार विजुअल इफेक्ट्स मिलते हैं। दुनिया में सबसे बड़ी IMAX स्क्रीन जर्मनी में है जो 69 फीट ऊंची और 125 फीट चौड़ी है। वर्तमान में जिस प्रकार धड़ल्ले से VFX तकनीक से फिल्में बनाई जा रही हैं, उसके लिए IMAX थिएटर मुफीद जगह है।
आम सिनेमाघर की तुलना में क्या अलग विकल्प देता है IMAX?
IMAX दर्शकों को कई प्रकार के विकल्प देता है। खासतौर पर 3D और एनिमिनेशन फिल्मों में इसका महत्व बढ़ जाता है। IMAX अपने थिएटर में तीन प्रकार के प्रोजेक्शन फॉर्मेट का इस्तेमाल करता है। पहला 70mm फिल्म सिस्टम, दूसरा IMAX 4K और तीसरा IMAX 2K डिजिटल है। इसके उलट सामान्य सिनेमाघरों में केवल एक ही फॉर्मेट होता है। थिएटर में आयताकार स्क्रीन पर 35mm के पर्दे लगे होते हैं।
IMAX का साउंड सिस्टम है खास
IMAX का साउंड सिस्टम खास होता है। आपको इसके हर एक हिस्से में स्पष्ट आवाज सुनाई देगी। चाहे सुई गिरने की आवाज हो या बम फटने की, आप हर एक प्रकार की आवाज सुनने में सहज महसूस करेंगे। इसके विपरीत सामान्य थिएटर में जहां पर स्पीकर लगे होते हैं, वहां आवाज ज्यादा होती है, इनसे दूर बैठने पर आवाज कम हो जाती है। यहां सीटिंग अरेंजमेंट भी ऐसा होता है कि हर जगह से फिल्म का व्यू अच्छा हो।
फिल्म के सेट पर महीनों समय बिताती है IMAX की टीम
IMAX की टीम फिल्म की शूटिंग के दौरान इसके सेट पर कई महीने बीताती है। इसे IMAX DMR (डिजिटल मीडिया री-मास्टरिंग) कहा जाता है। इसके तहत फिल्म के हर एक फ्रेम पर काम किया जाता है। फिल्ममेकर के विजन को पर्दे पर सटीकता के साथ उतारने की जिम्मेदारी IMAX पर होती है। एडिटिंग रूप में DMR की सुविधाओं के साथ शॉट्स, साउंड, सैचुरेशन, ब्राइटनेस और कई तरह के पहलुओं को अंतिम रूप दिया जाता है।
भारत में कितनी हैं IMAX की स्क्रीन्स?
IMAX को ग्रीम फर्ग्यूसन, रोमन क्रॉइटर, रॉबर्ट केर और विलियम सी शॉ ने मिलकर स्थापित किया था। IMAX के जून 2021 के डाटा के अनुसार, अभी दुनियाभर के 85 देशों और क्षेत्रों में 1,654 IMAX थिएटर हैं। वहीं भारत में इसके 21 स्क्रीन्स चालू हैं, जबकि आने वाले दिनों में इसकी संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है। IMAX ने भारत में हर साल 6-8 नए स्क्रीन्स जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
IMAX में रिलीज हो चुकी हैं ये भारतीय फिल्में
विशेष रूप से हॉलीवुड की फिल्में IMAX में रिलीज होती हैं। अब भारतीय फिल्में भी इस होड़ में पीछे नहीं हैं। एसएस राजामौली की 'बाहुबली: द कन्क्लूजन', संजय लीला भंसाली की 'पद्मावत' और अयान मुखर्जी की 'ब्रह्मास्त्र' IMAX में प्रदर्शित हो चुकी हैं। बता दें कि 'धूम 3' IMAX में रिलीज होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। खबरों की मानें तो राजामौली की 'RRR' पहली फिल्म थी, जिसे IMAX कैमरों के साथ शूट किया गया।