जन्मदिन विशेष: बातें जो करण जौहर की फिल्मों को बनाती हैं सबसे अलग
करण जौहर बॉलीवुड की वो हस्ती हैं, जिनकी खूब आलोचना भी होती है और प्रशंसा भी। वह न सिर्फ आज के दौर के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक हैं, बल्कि उन्होंने अपने निर्देशन से बॉलीवुड को कई यादगार फिल्में दी हैं। करण ने बॉलीवुड में एक अलग तरह का ग्लैमर डाला है। 25 मई को करण अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं। नजर डालते हैं उन बातों पर जो करण द्वारा निर्देशित फिल्मों को अलग बनाती हैं।
दोस्ती और रोमांस
दोस्ती और रोमांस करण कीफिल्मों का खास हिस्सा होते हैं। इसके इर्द-गिर्द वह बेहतरीन कहानियां बुनते हैं और पर्दे पर पेश करते हैं। उनकी अधिकतर फिल्मों में दोस्ती और प्यार की दिल छूने वाली उधेड़बुन देखने को मिलती है। 'कुछ-कुछ होता है' में राहुल और अंजली की दोस्ती को कौन भूल सकता है? 'ऐ दिल है मुश्किल' का केंद्र भी कुछ ऐसा ही रिश्ता था, जिसमें 2 दोस्त अपनी दोस्ती और प्यार के बीच फंस जाते हैं।
बड़ी स्टारकास्ट और खूब सारा ड्रामा
करण की फिल्मों की सबसे खास बात है भारी भरकम ड्रामा, जिसके लिए वह तगड़ी स्टारकास्ट को पर्दे पर लेकर आते हैं। उनकी फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' आज भी अपनी स्टारकास्ट, उनके बीच के रिश्तों, पीढ़ियों और उनके टकराव के लिए याद की जाती है। 'ऐ दिल है मुश्किल', 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर', 'कुछ कुछ होता है' जैसी फिल्में अपनी शानदार स्टारकास्ट के लिए हमेशा पसंद की जाती हैं।
हम बार लाते हैं अलग तरह का विषय
करण की फिल्मों के केंद्र में भले ही हमेशा, दोस्ती और रोमांस होता है, लेकिन इसे बुनने के लिए वह हमेशा एक नए तरह का विषय लेकर आते हैं। 'कुछ कुछ होता है' में दोस्ती और प्यार की जटिलता देखने को मिलती है। 'कभी अलविदा न कहना' के जरिए करण ने विवाहेतर संबंध के ईर्द-गिर्द कहानी बुनी। 'माई नेम इज खान' में उन्होंने मुस्लिम विरोध को केंद्र में रखकर एक शानदार रोमांटिक ड्रामा बनाया था।
हर फिल्म में होता है ग्लैमर का तड़का
करण की फिल्मों अलग तरह का ग्लैमर दिखता है। भव्य सेट, बड़ी स्टारकास्ट, रंग-बिरंगे कॉस्ट्यूम और डांस नंबर्स, करण अपनी फिल्मों में ग्लैमर डालने का कोई मौका नहीं चूकते हैं। सालों से उनकी फिल्मों के गानों पर लोग पार्टियों में झूम रहे हैं। करण ही हैं जिनकी फिल्मों के पार्टी सॉन्ग पर अमिताभ बच्चन जैसे वरिष्ठ कलाकार से लेकर डेब्यू कर रहीं आलिया भट्ट तक अपने डांस स्टेप्स से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर चुकी हैं।
यहां खा जाते हैं मात
हालांकि, कई बार ग्लैमर के ओवरडोज के चक्कर में उनकी फिल्म वास्तविकता से बिल्कुल दूर हो जाती हैं। इसके लिए उनकी खूब आलोचना भी होती है। मसलन, 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' की आज भी आलोचना होती है कि भारत में ऐसा कॉलेज कहां है, जहां बच्चे इस तरह के कपड़ों में दिखते हों। फिल्म 'कभी खुशी...' में रायचंद परिवार एक महल जैसे घर में रहता है, जहां एक हेलीपैड भी है। इस घर को चांदनी चौक में दिखाया गया है।