साल 2000-2016 के बीच सेंसर बोर्ड ने बैन की 793 फिल्में, 'मोहल्ला अस्सी' और 'परजानिया' शामिल
सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) ने पिछले 16 सालों में 793 फिल्मों को बैन किया है। इसका खुलासा एक RTI में हुआ है। इनमें सबसे ज्यादा 231 हिंदी फिल्मों को रिलीज़ करने का सर्टिफिकेट नहीं दिया गया। इसके बाद भारत की अन्य भाषाओं में तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और पंजाबी क्रमश: शामिल हैं। हालांकि कई अंग्रेजी फिल्मों को भी बैन किया गया। इसमें 'परजानिया' (अंग्रेजी 2005), 'असतो मा सद्गमय' (तमिल 2012) और 'मोहल्ला अस्सी' (हिंदी 2015) शामिल हैं।
586 भारतीय फिल्मों को किया गया बैन
उत्तर प्रदेश के लखनऊ की रहने वाली RTI कार्यकर्ता नूतन ठाकुर के सवाल पर बताया गया है कि 01 जनवरी, 2000 से 31 मार्च, 2016 तक सेंसर बोर्ड ने 793 फिल्मों को रिलीज़ होने का सर्टिफिकेट नहीं दिया। इनमें 586 भारतीय तो 207 विदेशी फिल्में थीं। हिंदी की 231 फिल्मों के अलावा 96 तमिल, 53 तेलगू, 39 कन्नड़, 23 मलयाली और 17 पंजाबी फिल्मों को बैन कर दिया गया।
साल 2015-16 में हुईं सबसे ज़्यादा फिल्में बैन
RTI में यह भी खुलासा हुआ है कि साल 2015-16 में सबसे ज़्यादा 153 फिल्में बैन हुईं, जबकि साल 2014-15 में 152 फिल्में, 2013-14 में 119 तो 2012-13 में 82 फिल्में बैन की गईं थीं। बता दें कि बोल्ड कंटेंट और क्राइम के कारण 'आदमखोर हसीना', 'कातिल शिकारी', 'प्यासी चांदनी', 'मधुर स्वप्नम', 'खूनी रात', 'श्मशान घाट', 'मनचली पड़ोसन' और 'सेक्स विज्ञान' जैसी फिल्मों को सेंसर बोर्ड ने बैन कर दिया था।
2015 की जगह 2018 में रिलीज़ हुई 'मोहल्ला अस्सी'
बैन की गई फिल्मों में 'परजानिया' (अंग्रेजी 2005), 'असतो मा सद्गमय' (तमिल 2012) और 'मोहल्ला अस्सी' (हिंदी 2015) शामिल हैं। गौरतलब है कि 'मोहल्ला अस्सी' 2018 में रिलीज हो गई। सनी देओल, साक्षी तंवर और रवि किशन जैसे सितारे इसमें अहम भूमिका में हैं। फिल्म काशीनाथ सिंह की किताब 'काशी का अस्सी' पर आधारित है। पहले ये फिल्म साल 2015 में रिलीज़ होने वाली थी, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट की दखल की वजह से इस पर स्टे लग गया था।