
भूषण कुमार के खिलाफ रेप की FIR रद्द करने से कोर्ट का इनकार, जानिए पूरा मामला
क्या है खबर?
टी-सीरीज के मालिक भूषण कुमार पर 2021 में एक महिला ने रेप का मामला दर्ज कराया था, जिससे उन्हें अभी तक छुटकारा नहीं मिल पाया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीते दिन इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि भूषण के खिलाफ दर्ज की गई FIR को इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता क्योंकि पीड़िता ने ऐसा करने के लिए अपनी सहमति दी।
आइए जानते हैं कोर्ट ने इस बाबत और क्या कुछ कहा।
याचिका
कोर्ट ने खारिज की भूषण की याचिका
दरअसल, भूषण ने इस आधार पर FIR रद्द करने की याचिका दाखिल की थी कि पीड़िता ने अपनी शिकायत वापस ले ली है और उसे रद्द करने की सहमति दे दी है।
जस्टिस ए एस गडकरी और पी डी नाइक की खंडपीठ ने इस केस पर सुनवाई करते हुए कहा, "केवल शिकायतकर्ता की सहमत होने भी से FIR को रद्द नहीं किया जा सकता। पक्षाें में सहमति बन जाने का यह मतलब नहीं कि प्राथमिकी रद्द कर दी जाए।"
सुनवाई
लगता नहीं कि रिश्ता सहमति से बना- कोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आगे कहा, "हमारे पास FIR रद्द करने का पर्याप्त आधार नहीं है। इसकी सामग्री को देखना होगा। इस मामले में दर्ज किए गए बयान को भी देखना होगा कि अपराध जघन्य था या नहीं।"
कोर्ट ने आगे कहा कि कंटेंट के अनुसार यह मामला सहमति का नहीं लग रहा है।
भूषण के वकील ने कोर्ट को बताया कि मामला 2017 का है और जुलाई, 2021 में इसको लेकर FIR दर्ज की गई थी।
जानकारी
2 जुलाई, 2023 को होगी सुनवाई
इस मामले में जब कोर्ट ने याचिका को अनुमति देने और मामले को रद्द करने में अनिच्छा व्यक्त की तो वकील ने याचिका के समर्थन में और सामग्री प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा। अब इस मामले में 2 जुलाई, 2023 को सुनवाई की जाएगी।
इल्जाम
महिला ने क्या लगाए थे आरोप?
30 वर्षीय एक महिला ने 2021 में भूषण के खिलाफ मुंबई के DN नगर पुलिस स्टेशन में रेप का मामला दर्ज कराया था।
महिला ने अपनी शिकायत में बताया था कि काम दिलवाने का लालच देकर उसके साथ रेप किया गया। 2017 से अगस्त, 2020 तक उसका यौन शोषण हुआ।
महिला ने आरोप लगाया कि 3 अलग-अलग जगह पर उसके साथ यौन शोषण किया गया। उसने भूषण पर धोखाधड़ी का आरोप भी लगाया था।
बयान
...जब रेप के आरोप से पलटी शिकायतकर्ता
पुलिस ने इस मामले ने बीते साल 'बी समरी' रिपोर्ट (फाइनल रिपोर्ट) फाइल की थी। यह तब फाइल की जाती है, जब आरोप गलत इरादे से लगे हों या जांच में कोई सबूत न मिले।
महिला ने बी समरी नोटिस मिलने के बाद कोर्ट में कहा था कि वह एक्ट्रेस है और परिस्थितियों के कारण हुई गलतफहमी के कारण उसने ये आरोप लगाए। अब वह इन्हें वापस ले रही हैं। उसे पुलिस की बी-समरी रिपोर्ट से कोई आपत्ति नहीं है।
लताड़
कोर्ट ने लगाई फटकार
कोर्ट ने कहा कि महिला ने कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग किया है, जो जरूरतमंद लोगों के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने अपने निजी फायदे के लिए कानून का गलत इस्तेमाल किया है।
जज ने भूषण और एक गवाह पर भी नाराजगी व्यक्त की, जिन्होंने मामले में हस्तक्षेप के लिए याचिकाएं दाखिल की थीं। उन्होंने कहा कि दोनों के लिए मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कोई आधार नहीं है और उन्होंने ऐसी याचिका दाखिल कर अपनी सीमाएं लांघ दी हैं।
नाराजगी
पुलिस की जांच पर भी कोर्ट ने जताई नाराजगी
मैजिस्ट्रेट ने कहा कि भूषण के ये प्रयास बताते हैं कि वह कितनी जल्द से जल्द इस मामले से बचना चाहते हैं।
कोर्ट ने पुलिस की जांच पर भी नाराजगी जाहिर कर कहा कि मामला दर्ज होने के बाद जांच अधिकारी ने न तो आरोपी को गिरफ्तार करने की कोशिश की और ना ही आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोई अपील की, जिससे पता चलता है कि आरोपी कितने आत्मविश्वास में था कि पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं करेगी।