'भैया जी' रिव्यू: बिहारी रॉबिनहुड बन मनोज बाजपेयी ने दिखाई दबंगई, कमजोर कहानी ने बिगाड़ा खेल
अपने अभिनय के हुनर से इंडस्ट्री में खास पहचान बनाने वाले मनोज बाजपेयी आज यानी 24 मई को अपनी 100वीं फिल्म 'भैया जी' लेकर दर्शकों के बीच पहुंचे हैं। अपूर्व सिंह कार्की द्वारा निर्देशित इस फिल्म में मनोज कभी ना देखे गए एक्शन अवतार में नजर आए हैं, जिसकी चर्चा लंबे समय से हो रही है। चलिए जानते हैं कैसी है मनोज की फिल्म 'भैया जी' और क्या यह दर्शकों को एक नया एक्शन हीरो देने में सफल रही।
'भैया जी' के रौले की कहानी
बिहार की पृष्ठभूमि पर बुनी गई 'भैया जी' की कहानी बिहारी बाबू, राम चरण त्रिपाठी (भैया जी) के जीवन को दर्शाती है। त्रिपाठी अपने परिवार, अपने लोगों और समाज के लिए जीने वाला एक सीधा-साधा शख्स है, जिसका अपना एक अतीत होता है। यह अतीत जब त्रिपाठी के सामने लौटता है तो कहानी बदले की आग में भभकने लगती है और ऐसा मोड़ लेती है कि उसे अपने भैया जी वाले अवतार में लौटना पड़ता है।
बदले की भावना में भभकता खलनायक
त्रिपाठी की सीधी-साधी छवि के साथ शुरू हुई यह कहानी धीरे-धीरे उसके अतीत के पन्नों को खोलती है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, तब पता लगता है कि भैया जी का दमखम उसके गांव में ही नहीं जिले तक फैला है। अपने परिवार के लिए सीधी राह पकड़ने वाले त्रिपाठी का अतीत क्या है और कौन उससे बदला लेने के लिए लौटता है? इन सभी सवालों के जवाब पता लगाने के लिए आपको पैसे खर्च कर टिकट खरीदना होगा।
मनोज के अभिनय ने फूंकी जान
फिल्म की असली जान एक घायल शेर की तरह पर्दे पर दहाड़ने वाले बाजपेयी हैं, जिन्होंने भैया जी बनने के लिए अपना खून पसीना एक किया है। उनका अभिनय और एक्शन हर सीन में जान फूंकता है। बिहारी दबंग बनकर बाजपेयी ने ऐसी दबंगई दिखाई कि सभी सीटियां बजाने को मजबूर हो गए। एक्शन हीरो बनने के लिए डोले-शोले बनाने वाले अभिनेताओं के लिए मनोज ने बिना इन सबके एक्शन कर अपने अवतार से एक नया आयाम गड़ा है।
साथी कलाकारों का भी दमदार अवतार
भैया जी की प्रेमिका के किरदार में अभिनेत्री जोया हुसैन ने बेमिसाल काम किया है। स्टेट लेवल शूटर होने से अपने प्रेमी की मदद करने तक में उनका काम शानदार है। फिल्म में खलनायक बने सुविंदर विक्की और जतिन गोस्वामी भी अपनी खलनायिकी से प्रभावित करते हैं। एक लालची और डरपोक पुलिस अफसर के रूप में विपिन शर्मा को बेशक स्क्रीन टाइमिंग कम मिला हो, लेकिन वह अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे हैं।
कैसा रहा कार्की का निर्देशन?
निर्देशक कार्की ने 'सिर्फ एक बंदा...काफी है' की सफलता के बाद दूसरी बार बाजपेयी के साथ काम किया है। उन्होंने वास्तविकता पर आधारित ग्रामीण परिदृश्यों को पूरी मेहनत से चित्रित किया है, जिससे वह दर्शकों को बांधे रखने में सफल हुए हैं। 'भैया जी' रोंगटे खड़े कर देने वाली हिंसा और एक निर्दोष की नृशंस हत्या से शुरू होकर जिस तरह संतोषजनक अंत तक पहुंचती है वह कमाल है। हालांकि, उनके काम में कमियां भी दिखती हैं।
बेहद सुस्त है पहला भाग
'भैया जी' की सबसे बड़ी कमजोरी इसकी कहानी है। फिल्म में कार्की निर्देशक के रूप में अपना दृष्टिकोण इस्तेमाल कर इसके बहुत से दृश्य हटा सकते थे। फिल्म में ऐसे कई दृश्य हैं, जो बेवजह लगते हैं। नतीजतन फिल्म का पहला भाग बेहद सुस्त है। कई बार तो पहले भाग में समझ नहीं आता कि क्या, कब और कैसे हो गया। हालांकि, दूसरा भाग इससे बिल्कुल विपरीत है और उसमें दर्शकों को पलक तक झपकाने का समय नहीं मिलता है।
संगीत ने बांधा समा
फिल्म का संगीत कमाल है। 'भैया जी' का बैकग्राउंड म्यूजिक इसके हर दृश्य को जानदार बनाने का काम करता है। इसके साथ ही मनोज तिवारी ने अपनी आवाज का जादू चलाकर इसमें भोजपुरी अंदाज शामिल किया है, जो दर्शकों को क्षेत्रीय संगीत से जोड़ता है।
मनोज के अभिनय से यादगार बनी फिल्म
'भैया जी' एक ऐसी एक्शन फिल्म है, जो आमतौर पर संजय दत्त, अजय देवगन, अक्षय कुमार जैसे बड़े-बड़े एक्शन सुपरस्टार्स के लिए आरक्षित होती है, लेकिन फिल्म में बाजपेयी का होना इसमें ताजगी लाता है, क्योंकि वह ना केवल अभिनय करने में सफल रहे बल्कि शानदार एक्शन भी कर सकते हैं। खराब स्क्रिप्ट को छोड़कर, अन्य खामियों के अलावा बाजपेयी ने फिल्म में अपनी अदाकारी से नयापन दिया है, जो सभी को सलाम ठोकने पर मजबूर करेगा।
देखें या ना देखें?
क्यों देखें? - बाजपेयी का अभिनय फिल्म को देखने की बड़ी वजह हो सकता है। उनका एक्शन अवतार दर्शकों को फिल्म देखने के लिए उत्साहित कर सकता है। 2 घंटे 15 मिनट की यह फिल्म मनोरंजन के लिए एक बार देखने काबिल है। क्यों ना देखें?- बाजपेयी के अभिनय के अलावा अगर आप 'भैया जी' से दमदार और नई कहानी की उम्मीद कर रहे हैं तो आप पूरी तरह से ठगा हुआ महसूस करेंगे। न्यूजबाइट्स स्टार्स- 2/5