आशा भोसले ने खुद को बताया फिल्म इंडस्ट्री की आखिरी मुगल, बोलीं- पूरा इतिहास जानती हूं
क्या है खबर?
जानी-मानी पार्श्व गायिका आशा भोसले का नाम संगीत की दुनिया में अदब के साथ लिया जाता है।
10 साल की उम्र से ही गायकी की शुरुआत करने वाली आशा ने अपने करियर में कई बेहतरीन गानों को आवाज दी है।
अब वह 8 सितंबर को अपने 90वें जन्मदिन पर दुबई में एक कार्यक्रम करने जा रही हैं।
इसी को लेकर मुंबई में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें उन्होंने खुद को फिल्म इंडस्ट्री की आखिरी मुगल बताया।
परफॉर्मेंस
90वें जन्मदिन पर 2 घंटे तक लाइव परफॉर्म करेंगी आशा
आशा अपने 90वें जन्मदिन पर दुबई में लाइव कॉन्सर्ट करने जा रही हैं, जिसमें वह 2 घंटे से भी ज्यादा समय तक लाइव परफॉर्म करेंगी।
इस दौरान उन्होंने नए जमाने के संगीतकारों से बातचीत की और कहा कि उन्हें अपने जमाने में हुई घटनाएं आज भी याद आती हैं।
उन्होंने अपने सफर को याद करते हुए कहा कि आज के समय के सभी कलाकार उनके सामने पैदा हुए हैं।
वह भारतीय सिनेमा से जुड़ी हर कहानी को जानती हैं।
बयान
आज तक कुछ नहीं भूली हैं आशा
आशा ने बताया कि वह 1945 में मुंबई आने के बाद से गाने गा रही हैं और ऐसे में उन्हें मनोरंजन जगत की सभी पुरानी कहानियां, फिल्म निर्माता और संगीत निर्देशक याद हैं।
उनका कहना है कि सिर्फ वो ही फिल्म इंडस्ट्री का इतिहास जानती हैं और अगर उन्होंने इसे बताया शुरू किया तो खत्म करने में 3-4 दिन लग जाएंगे।
उन्होंने खुद को फिल्म उद्योग की आखिरी मुगल बताते हुए कहा कि वह आज तक कुछ नहीं भूली हैं।
बयान
लाइव कॉन्सर्ट को लेकर जताई खुशी
अपने करियर में अलग-अलग भाषाओं में 12 हजार से भी ज्यादा गानों को आवाज देने वाली आशा उम्र के इस पड़ाव पर 2 घंटे लाइव कॉन्सर्ट करने के लिए उत्सुक हैं।
उनका कहना है कि वह अपने 90वें जन्मदिन पर एक दशक बाद मंच पर वापसी करने के लिए आनंदित हैं।
उन्होंने कार्यक्रम के आयोजकों का शुक्रिया अदा किया।
आशा ने कहा कि संगीत उनकी जीवन रेखा है और ऐसे में यह अवसर उनके लिए यादगार होने जा रहा है।
बयान
गानों के रीमिक्स करने पर दी प्रतिक्रिया
आज फिल्मों में पुराने गानों के रीमिक्स अक्सर सुनने को मिल जाते हैं, जिनको लेकर समय-समय पर लोग आपत्ति जताते रहते हैं।
अब आशा ने भी रीमिक्स के बढ़ते प्रभाव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुराने गानों के रीमिक्स सुनकर बुरा लगता है।
उनका कहना है कि हम सबको एक दिन जाना है और हमारे पीछे नई फसल आएगी, लेकिन वो अच्छी होनी चाहिए।
उन्हें अपने रीति रिवाज जानने होंगे, तभी उनका संगीत लंबे समय तक याद रखा जाएगा।