'मिस्टर नटवरलाल' के निर्देशक राकेश कुमार का निधन, भावुक हुए अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड के जाने-माने निर्देशक राकेश कुमार का 10 नवंबर को निधन हो गया था। वह 81 वर्ष के थे और कैंसर से जूझ रहे थे। 13 नवंबर को मुंबई में उनके लिए प्रार्थना सभा आयोजित की गई है। राकेश ने 'मिस्टर नटवरलाल', 'याराना', 'खून पसीना', 'दो और दो पांच' जैसी फिल्में बनाई थीं। अपने फिल्मी सफर में अमिताभ बच्चन ने राकेश के साथ करीब से काम किया है। उनके निधन पर अमिताभ ने एक भावुक ब्लॉग लिखा है।
अमिताभ ने राकेश की याद में लिखा ब्लॉग
राकेश के निधन से दुखी अमिताभ ने अपने ब्लॉग में अपनी भावनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने लिखा, 'एक-एक करके सभी चले जाएंगे, लेकिन कुछ लोग राकेश जैसे हैं जो अपने पीछे ऐसी छाप छोड़कर जाते हैं जिसे मिटाना या भूलना नामुमकिन है।' अमिताभ ने लिखा कि निर्देशन और स्क्रीनप्ले में उनकी मजबूत पकड़ थी। 'याराना' और 'नट्टू' के सेट पर वह खूब मस्ती किया करते थे। वह ऐसे निर्देशक थे, जो कभी-कभी शूटिंग से छुट्टी भी दे देते थे।
बेहद खुशमिजाज थे राकेश- अमिताभ
अमिताभ ने उन्हें याद करते हुए लिखा कि वह बहुत ही खुशमिजाज और दयालु इंसान थे जो अपने साथ काम कर रहे कलाकारों की किसी भी परेशानी को हल करने के लिए तुरंत आगे आते थे। वह अमिताभ की फिल्म 'ज़ंजीर' में असिस्टेंट डायरेक्टर थे। इसके बाद उनकी फिल्म 'खून पसीना' और 'याराना' का उन्होंने निर्देशन किया। बकौल अमिताभ, राकेश फिल्म के सेट पर और अन्य जगहों या होली जैसे मौकों पर बेहद मिलनसार होते थे।
अमिताभ ने राकेश को दिया अपनी लोकप्रियता का श्रेय
अमिताभ ने उनको श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'आपने अपने रोचक विचारों, कहानियों और फिल्मों से हम में से कितनों को प्रसिद्ध बनाया है, राकेश। आप हमेशा याद रहेंगे। दुख धीमे-धीमे रिसता है। जिंदगी हमें हर रोज नई चुनौतियां देती है और हम अपने घावों के साथ फिर से उठते हैं, चलते हैं और फिर दौड़ते हैं।' अमिताभ ने यह भी लिखा कि उनमें यह दुख झेलने या राकेश की जीवनरहित देखने की हिम्मत नहीं है।
निर्माण और निर्देशन के अलावा पर्दे पर भी दिखे राकेश
'मिस्टर नटवरलाल' और 'याराना' जैसी फिल्मों के अलावा राकेश ने 'दो और दो पांच', 'कमांडर', 'कौन जीता कौन हारा' जैसी फिल्मों का भी निर्देशन किया था। उन्होंने 1987 की फिल्में 'कौन जीता कौन हारा' और 'दिल तुझको दिया' का निर्माण भी किया था। राकेश 2013-14 के लोकप्रिय टीवी सीरियल 'गुस्ताख दिल' के भी निर्देशक थे। वह 'दिल पे मत ले यार' (2000) और 'दिल बेचारा प्यार का मारा' (2004) में पर्दे पर भी नजर आए थे।