रियल लाइफ वॉचमैन से बने 'वॉच-मी' मैन, नवाजुद्दीन ने बताई अपने संघर्ष के दिनों की कहानी
क्या है खबर?
नवाजुद्दीन सिद्दिकी आज बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं की लिस्ट में शुमार हैं।
वह अपनी हर फिल्म के साथ कुछ नया और अलग करते हैं। उनका अभिनय हर किसी पर एक अलग छाप छोड़ता है। लेकिन नवाजुद्दीन का यह सफर कतई आसान नहीं रहा है।
क्या आपको पता है! अपने संघर्ष के दिनों में नवाजुद्दीन ने धनिया बेचने के अलावा कई तरह के काम किए हैं।
इस बात का खुलासा खुद नवाजुद्दीन ने किया है।
खुलासा
'दोस्तों से पैसे लेता था उधार'
नवाजुद्दीन ने 'ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे' के एक पोस्ट में खुलासा किया है कि उनके संघर्ष के दिनों में उनकी वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं थी। कई बार वह अपने दोस्तों से पैसे उधार लेते थे और कहते थे कि दो दिनों के अंदर ही लौटा देंगे। फिर दो दिन बाद वह किसी और से पैसे लेकर अपनी उधारी चुकाते थे।
उन्होंने बताया, "मैं एक फ्लैट में अन्य चार लोगों के साथ रहता था।"
बयान
12 साल संघर्ष करने के बाद मिला फिल्मों में ब्रेक
नवाज ने बताया कि उन दिनों धनिया बेचने के अलावा उन्होंने चौकीदार का काम भी किया। उन्हें छोटे से छोटा रोल भी 100 ऑडीशन देने के बाद ही मिलता था। फिल्मों में ब्रेक पाने के लिए उन्होंने लगभग 12 साल कड़ा संघर्ष किया।
फेसबुक पोस्ट
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे में नवाजुद्दीन सिद्दिकी का पोस्ट
बयान
नवाज पर थीं घर की जिम्मेदारियां
नवाज ने अपने पारिवारिक स्थिति के बारे में कहा, "परिवार में कुल 11 सदस्य थे और मैं किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं। नौ भाई-बहनों में मैं सबसे बड़ा था ऐसे में घर की सारी जिम्मेदारियां मुझ पर ही थीं।"
प्रेरणा
केमिस्ट की दुकान पर काम करते वक्त जगी अभिनय की इच्छा
नवाज ने बताया कि उनका पूरा परिवार एक साथ रामलीला देखता था। एक बार जब वह राम लीला देखने गए तो उनका दोस्त राम का किरदार निभा रहा था। उस समय वे अपने ख्यालों में राम के रोल को निभाने के बारे में सोचने लगे।
कॉलेज के बाद वड़ोदरा में उन्होंने केमिस्ट की दुकान पर काम किया, वहीं उन्होंने एक नाटक देखा जिसके बाद उनमें अभिनेता बनने की इच्छा जगी।
बयान
मुंबई की फास्ट लाइफ में ढलने में लगा समय
नवाज ने मुंबई के शुरुआती दिनों के बारे में कहा कि शुरू-शुरू में उन्हें लगा कि वह मुंबई की भाग-दौड़ भरी जिंदगी को कभी मैच नहीं कर पाएंगे। मुंबई की फास्ट लाइफ में ढलने के लिए उन्हें काफी समय लगा।
सपना
माता-पिता ने किया था सपोर्ट
नवाज ने बताया कि नाटक देखने के बाद रातभर वह अभिनेता बनने के ख्यालों में खोए रहे। इसके बाद अभिनय की पढ़ाई के लिए उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया और उसके बाद अपना सपना पूरा करने वह मुंबई आ गए।
नवाज ने वह भी बताया कि इस दौरान सबसे खास बात यह रही कि खुद पढ़े-लिखे न होने के बाद भी उनके माता-पिता ने उनका काफी सपोर्ट किया।
सपना
मुंबई आकर पूरा किया सपना
नवाज ने बताया, "मुंबई आकर मैंने अपना सपना पूरा किया। 'लंचबॉक्स' के लिए मुझे फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। जहां मेरे किरदार को 'सरफरोश' में ज्यादा पहचान नहीं मिली वहीं 'सेक्रेड गेम्स' के गणेश गायतोंडे को अब हर कोई जानता है।"
नवाज ने यह भी कहा, "मैं एक Watchman (चौकीदार) से 'Watch me' Man बन गया। मैं आगे भी अपना काम अच्छा करता रहूंगा।"