'आंख मिचौली' रिव्यू: नहीं जमी मृणाल-अभिमन्यु की जोड़ी, धैर्य की परीक्षा लेती है फिल्म
क्या है खबर?
मृणाल ठाकुर की फिल्म 'आंख मिचौली' ने 3 नवंबर को सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है।
फिल्म में पहली बार मृणाल की जोड़ी अभिमन्यु दसानी के साथ बनी है तो परेश रावल, दिव्या दत्ता और अभिषेक बनर्जी जैसे शानदार कलाकार भी इसमें शामिल हैं।
उमेश शुक्ला के निर्देशन में बनी यह फिल्म ट्रेलर जारी होने के बाद से ही चर्चा में बनी हुई थी।
आइए जानते हैं कि यह फिल्म दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरी है या नहीं।
कहानी
अतरंगी परिवार की कहानी है 'आंख मिचौली'
'आंख मिचौली' की कहानी एक अतरंगी परिवार की है। घर के मुखिया नवजोत सिंह (परेश) को भूलने की बीमारी है तो बड़ा बेटा युवराज (शरमन) सुन नहीं सकता और उसकी पत्नी (दिव्या) गलत कहावतों का इस्तेमाल करती है।
छोटा बेटा हरभजन (अभिषेक) हकलाता है और बहन पारो (मृणाल) शाम छह बजे के बाद देख नहीं पाती।
इसी बीच पारो के लिए NRI रोहित (अभिमन्यु) का रिश्ता आता है, जिसके बाद कहानी नया मोड़ लेती है।
कहानी
झूठ छुपाने की कोशिश में जुटे दोनों परिवार
रोहित अपने मामा-मामी (दर्शन जरीवाला और ग्रुशा कपूर) के साथ पारो से मिलने 5 घंटे देरी से उसके घर पहुंचता है।
ऐसे में शाम हो जाती है, लेकिन किसी तरह पारो अपनी बीमारी छुपाने में सफल रहती है और रिश्ता पक्का हो जाता है।
एक हफ्ते बाद दोनों की शादी होनी है तो पता चलता है कि रोहित दिन में नहीं देख सकता है।
ऐसे में कहानी दोनों परिवारों के अपने-अपने झूठ को छुपाकर शादी कराने के इर्द-गिर्द घूमती है।
अभिनय
ऐसा रहा सितारों का अभिनय
फिल्म में मृणाल और अभिमन्यु के बीच केमिस्ट्री की कमी बड़ी खलती है। इसमें मृणाल का प्रदर्शन फीका है तो अभिमन्यु भी कमजोर लगते हैं।
परेश और शरमन जोशी जैसे कॉमेडी के बादशाह भी इस फिल्म को बचाने में नाकाम साबित होते हैं।
इसके अलावा अभिषेक, दिव्या और विजय वर्मा भी आधी-अधूरी स्क्रिप्ट के कारण अपना कमाल नहीं दिखा पाए हैं।
कहा जा सकता है कि फिल्म को बेहतरीन कलाकार होने के बाद भी उसका फायदा नहीं मिला है।
निर्देशन
निर्देशन में मात खा गए उमेश
उमेश 'आंख मिचौली' का निर्देशन करने में मात खा गए हैं। उनकी कोशिश एक पारिवारिक कॉमेडी फिल्म बनानी की थी, लेकिन वह इसे पर्दे पर दिखाने में विफल रहे हैं।
किरदारों की खामियों के साथ फिल्म में दिखाए गए कॉमेडी सीन बेवजह के लगते हैं। लेखन स्तर इतना कमजोर है कि हंसाने की कोशिश बिल्कुल फिजूल सी लगती है।
लंबी होने की वजह से फिल्म देखते हुए बोरियत आती है। इसकी कहानी शुरुआत से ही अटपटी लगने लगती है।
कमियां
यहां भी खली कमी
संगीतकार सचिन और जिगर की जोड़ी ने इसमें 4 गाने दिए हैं,जो अपना प्रभाव डालने में असफल रहे। हालांकि, मीका सिंह की आवाज से सजा गाना 'आंख मिचौली' बाकी सबसे थोड़ा ठीक लगता है।
फिल्म में स्क्रीनप्ले, सिनेमैटोग्राफी और संपादन की कमी भी खलती है। ऐसा लगता है कि 2 घंटे 20 मिनट की अवधि कम हो सकती है।
इसके अलावा संवाद भी फीके से हैं और चुटकीले संवादों के अभाव में किरदार भी कमजाेर लगते हैं।
निष्कर्ष
देखें या नहीं देखें?
क्यों देखें?
वैसे तो इस फिल्म काे देखने की कोई ठोस वजह है नहीं। किरदार से लेकर कहानी, कुछ नहीं लुभाता। अगर आप मृणाल के जबरदस्त प्रशंसक हैं तो केवल आप ही उनकी यह फिल्म देखने की हिम्मत जुटा सकते हैं।
क्यों न देखें?
फिल्म में नयापन नहीं है, वही घिसी-पिटी कहानी है। ऐसे में सिनेमाघरों में जाकर समय बर्बाद करने से बेहतर इसके OTT पर आने का भी इंतजार किया जा सकता है।
न्यूजबाइट्स प्लस- 1.5/5