शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित बनीं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पहली महिला कुलपति
प्रोफेसर शांतिश्री धुलिपुड़ी को प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का नया कुलपति नियुक्त किया गया है। शांतिश्री इससे पहले सावित्री बाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में राजनीति और लोक प्रशासन विभाग की प्रोफेसर थीं। उन्होंने अपने अकादमिक कार्यकाल में 29 डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया है। शिक्षा मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने JNU के कुलपति के तौर पर उन्हें पांच वर्षों के लिए नियुक्त किया है।
पहली बार कोई महिला बनी JNU की कुलपति
बता दें कि यह पहला मौका है जब कोई महिला JNU को कुलपति बनी है। 22 अप्रैल, 1969 में स्थापित किए गए इस विश्वविद्यालय के अब तक 12 कुलपति रह चुके हैं और वह सभी पुरूष थे। इसके पहले एम जगदीश कुमार JNU के कुलपति थे, उन्हें दो दिन पहले ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का नया अध्यक्ष बनाया गया है। जगदीश आज ही UGC का कार्यभार संभालेंगे।
शांतिश्री ने गोवा विश्वविद्यालय से की अपने अकादमिक शिक्षण करियर की शुरुआत
बता दें कि शांतिश्री ने 1988 में गोवा विश्वविद्यालय से अपने अकादमिक शिक्षण करियर की शुरुआत की और इसके बाद 1993 में वह पुणे विश्वविद्यालय चली गईं। यहां उन्होंने विभिन्न शैक्षणिक निकायों में प्रशासनिक पदों पर कार्य किया। उन्होंने अमेरिका की नामचीन कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में डिप्लोमा भी किया है। इसके अलावा वह UGC और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) की सदस्य भी रह चुकी हैं।
JNU की छात्रा रह चुकी हैं शांतिश्री
शांतिश्री ने JNU के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज विभाग से MPhil. और PhD की डिग्री ली है। इसके अलावा उन्होंने चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से इतिहास और सामाजिक मनोविज्ञान में बैचलर ऑफ आर्ट्स (BA) और राजनीति विज्ञान में मास्ट आफ आर्ट्स (MA) किया है।
शांतिश्री को है छह से अधिक भाषाओं का ज्ञान
59 वर्षीय शांतिश्री का जन्म रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में हुआ था। उनकी मां यहां लेनिनग्राड ओरिएंटल फैकल्टी डिपार्टमेंट में तमिल और तेलुगू की प्रोफेसर थीं। वह हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल जैसी छह भाषाओं में दक्ष हैं और इसके साथ ही कन्नड़, मलयालम और कोंकणी भी समझ लेती हैं। 1990 में उन्होंने 'पार्लियामेंट एण्ड फॉरेन पॉलिसी इन इण्डिया' और 2003 में 'रिस्ट्रक्चरिंग एनवायरमेंटल गवर्नेंस इन एशिया-एथिक्स एण्ड पॉलिसी' नाम से किताबें भी लिखीं हैं।