जानें CBSE टॉपर्स की कहानियां, परीक्षा में अच्छा स्कोर करने के लिए मिलेगी प्रेरणा
हर साल लाखों की संख्या में छात्र केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा आयोजित 12वीं और 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होते हैं। बोर्ड परीक्षा में टॉप करना कोई आसान बात नहीं हैं, क्योंकि परीक्षा में शामिल होने वाले सभी छात्र परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी करते हैं। आगामी CBSE बोर्ड परीक्षाओं का आयोजन 15 फरवरी, 2020 से होने जा रहा है। हमने इस लेख में पांच CBSE टॉपर्स की कहानी बताई है, जिससे छात्रों को काफी प्रेरणा मिलेगी।
कैंसर होने के बाद भी तुषार ने किया अच्छा स्कोर
रांची के तुषार ऋषि ने 2017 में CBSE 12वीं बोर्ड परीक्षा में 95% स्कोर किया था। बोन कैंसर बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद तुषार ने अपनी पढ़ाई पूरी मेहनत से की और परीक्षा में अच्छा स्कोर करके, वे कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गए। 2014 में उन्हें अपनी बीमारी का पता चला था, जिसके कारण वह 10वीं की बोर्ड परीक्षा नहीं दे पाए थे। उनकी किताब 'द पेशेंट पेशेंट' उनके कैंसर के संघर्ष के बारे में बताती है।
कम दिखने के बाद भी किया टॉप
केरल के कोझिकोड के अजय आर राज ने आंशिक रूप से अंधे होने के बावजूद 2017 में CBSE 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 98% नंबर प्राप्त किए। एक ऑटो चालक का बेटा होने के बाद भी अजय 2017 में दिव्यांग श्रेणी में ऑल इंडिया टॉपर बने। वह रेटिनिटिस पिगमेंटोसा के कारण आंशिक रूप से अंधे हैं। इस बीमारी में आंख या रेटिना की पिछली दीवार खराब हो जाती है। जिस कारण आंखों से कम दिखने लगता है।
बीमारी से जूझते हुए अनुष्का पांडा ने किया टॉप
गुरुग्राम की अनुष्का पांडा ने 2018 में CBSE 10वीं बोर्ड परीक्षा में 97.8% स्कोर करके दिव्यांग की श्रेणी में टॉप किया। एक आनुवंशिक विकार से पीड़ित होने के बावजूद उन्होंने संघर्ष और मेहनत करके बोर्ड परीक्षा में टॉप कर दिखाया। अनुष्का एक ट्रेंड क्लासिकल सिंगर भी हैं और मस्कुलर स्पाइनल एंट्रोपी से पीड़ित हैं। इस बीमारी के कारण वे चल-फिर नहीं पाती हैं और व्हीलचेयर के माध्यम से ही चलती हैं।
आर्थिक तंगी के बावजूद किया टॉप
दिल्ली के प्रिंस कुमार ने 2018 CBSE 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 97% नंबर प्राप्त करके दिल्ली के सरकारी स्कूलों के साइंस स्ट्रीम के टॉपर बने। DTC बस ड्राइवर के बेटे प्रिंस ने आर्थिक तंगी के बावजूद अपने सपनों को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने दृढ़ संकल्प और समर्पण के साथ पढ़ाई की। उनके परिवार की वित्तीय स्थिति भी उन्हें सफलता प्राप्त करने से नहीं रोक पाई।
डिस्लेक्सिया का बाद भी किया टॉप
डिस्लेक्सिया के बाद भी दिल्ली के नेहमत मोंगिया ने 2015 के CBSE 12वीं परीक्षा में 96% स्कोर करके दिल्ली क्षेत्र की विशेष श्रेणी में भी टॉप किया। डिस्लेक्सिया एक लर्निंग डिसऑर्डर है, जो किसी के पढ़ने, लिखने और बोलने की क्षमता को प्रभावित करता है।