SEBI ने म्यूचुअल फंड और स्टॉक ब्रोकर्स से जुड़े नियमों में क्या किया बदलाव?
क्या है खबर?
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड और स्टॉक ब्रोकर्स से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव को मंजूरी दे दी है। इसका मकसद नियमों को आसान बनाना, निवेशकों का खर्च घटाना और बाजार से जुड़े संस्थानों के लिए अनुपालन को सरल करना है। नए नियम पुराने और जटिल ढांचे की जगह लेंगे, जो कई दशक पहले बने थे और अब मौजूदा बाजार की जरूरतों के मुताबिक नहीं रह गए थे।
स्टॉक ब्रोकर्स
स्टॉक ब्रोकर्स के लिए नया फ्रेमवर्क
SEBI ने स्टॉक ब्रोकर्स के लिए 1992 के नियमों की जगह नया SEBI स्टॉक ब्रोकर्स रेगुलेशन 2025 लागू करने को मंजूरी दी है। इसमें नियमों को 11 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है और अलग-अलग सर्कुलर में फैले प्रावधानों को एक जगह लाया गया है। पुरानी प्रथाओं को हटाया गया है और नियमों की लंबाई लगभग आधी कर दी गई है, जिससे ब्रोकर्स और निवेशकों के लिए नियम समझना आसान होगा।
म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड नियमों में क्या बदला
SEBI ने म्यूचुअल फंड के नियमों को भी पूरी तरह नए सिरे से लिखने को मंजूरी दी है। नए नियमों में भाषा को सरल बनाया गया है और खर्च से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया है। अब एक्सपेंस रेशियो को बेस एक्सपेंस रेशियो कहा जाएगा और टैक्स व शुल्क अलग से जोड़े जाएंगे। इसके साथ ही, कई स्कीम्स के लिए खर्च की सीमा घटाई गई है, जिससे निवेशकों का कुल खर्च कम होगा।
असर
ब्रोकरेज कैप और निवेशक सुविधा पर असर
नए नियमों के तहत कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट में ब्रोकरेज की अधिकतम सीमा घटा दी गई है, जिससे ट्रेडिंग सस्ती होगी। इसके अलावा, रिटेल निवेशकों के लिए छोटा और आसान एब्रिज्ड प्रॉस्पेक्टस लाने की मंजूरी दी गई है। लिस्टिंग के बाद की प्रक्रियाएं भी सरल की गई हैं। SEBI का मानना है कि इन बदलावों से निवेशक सुरक्षा बढ़ेगी और बाजार ज्यादा पारदर्शी बनेगा, साथ ही भरोसा और भागीदारी भी बढ़ेगी।