
इस साल चौथी बार बढ़ी रेपो रेट, महंगा होगा कर्ज
क्या है खबर?
लगातार बढ़ती महंगाई के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर दिया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसका ऐलान किया।
ताजा इजाफे के बाद रेपो रेट बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो गई है और यह तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है।
इस साल यह चौथी बार है, जब रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई है। इससे पहले 5 अगस्त, 8 जून और 4 मई को इसमें बढ़ोतरी की गई थी।
जानकारी
क्या होती है रेपो रेट?
RBI जिस दर पर बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है।
दरअसल, जिस प्रकार लोग अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से पैसा लेकर ब्याज चुकाते हैं, उसी प्रकार बैंकों को केंद्रीय बैंक यानी RBI से लोन लेना पड़ता है।
इस लोन पर बैंक जिस दर से RBI को ब्याज देते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है। यह अर्थव्यवस्था के सबसे अहम फैक्टर्स में से एक होती है।
रेपो रेट
इस साल 190 बेसिस प्वाइंट बढ़ चुकी है रेपो रेट
नियंत्रण से बाहर मंहगाई, वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से उठाए जा रहे कदमों और वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल के बीच यह पहले से संभावना थी कि RBI रेपो रेट में बढ़ोतरी करेगा।
इस साल मई के बाद से रेपो रेट में 190 बेसिस प्वाइंट का इजाफा हो चुका है। हालांकि, RBI की तरफ से उठाए जा रहे इन कदमों के बावजूद महंगाई दर में बढ़ोतरी थमने का नाम नहीं ले रही है।
महंगाई
7 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है खुदरा महंगाई दर
इसी महीने जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 7 प्रतिशत पहुंच चुकी थी। खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत इसके पीछे अहम वजह रही।
जुलाई में यह दर 6.71 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल अगस्त में खुदरा महंगाई दर 5.3 प्रतिशत पर बनी हुई थी।
बता दें कि पिछले आठ महीनों से यह लगातार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतोषजनक स्तर (2-6 प्रतिशत) की ऊपरी सीमा से अधिक बनी हुई है।
जानकारी
दूसरी छमाही में 6 प्रतिशत रह सकती है मंहगाई दर
RBI गवर्नर ने कहा कि लगातार जारी भू-राजनीतिक तनाव और चिंतित वैश्विक वित्तीय बाजार के चलते महंगाई दर 7 प्रतिशत के आसपास है। उम्मीद है कि साल की दूसरी छमाही में यह 6 प्रतिशत के स्तर तक आ जाएगी।
GDP
GDP में वृद्धि का अनुमान घटाया
विकास दर को लेकर RBI गवर्नर ने कहा कि इस वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि उम्मीद से कम रही, लेकिन फिर भी यह 13.5 प्रतिशत थी और शायद प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा थी।
केंद्रीय बैंक ने विकास दर को लेकर अनुमान भी कम कर दिया है। पहले उम्मीद थी कि वित्त वर्ष 2023 में GDP की विकास दर 7.2 प्रतिशत रहेगी, लेकिन अब इसे 7 प्रतिशत कर दिया गया है।