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OpenAI पर बढ़ती वित्तीय चुनौती, 2030 तक 18,000 अरब रुपये की पड़ेगी जरूरत
OpenAI पर बढ़ती वित्तीय चुनौती

OpenAI पर बढ़ती वित्तीय चुनौती, 2030 तक 18,000 अरब रुपये की पड़ेगी जरूरत

Nov 27, 2025
09:06 am

क्या है खबर?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंपनी OpenAI लगातार ChatGPT में नए फीचर्स जोड़ रही है, लेकिन अभी भी मुनाफा कमाने की स्थिति में नहीं पहुंच सकी है। इन्वेस्टमेंट बैंक HSBC के अनुमान के मुताबिक कंपनी को आने वाले समय में बड़ी वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। 2025 के दूसरे हाफ में इसके घाटे का असर मार्केट को हिला सकता है। बढ़ती कंप्यूट जरूरत और विशाल डाटा सेंटर खर्च कंपनी पर भारी दबाव डाल रहे हैं।

लाभ

2030 तक भी लाभ की उम्मीद नहीं

HSBC की रिपोर्ट बताती है कि OpenAI 2030 तक भी मुनाफा नहीं कमा पाएगी। कंपनी का यूजर बेस तेजी से बढ़ेगा, लेकिन बढ़ती लागत इसकी कमाई को पीछे छोड़ देगी। OpenAI को अपने ग्रोथ प्लान पूरे करने के लिए कम से कम 207 अरब डॉलर (लगभग 18,400 अरब रुपये) की कंप्यूट क्षमता की जरूरत होगी। AI मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और लगातार बढ़ रहा हार्डवेयर खर्च इसे और चुनौतीपूर्ण बना रहा है।

खर्च

कंप्यूट और डाटा सेंटर पर भारी खर्च 

रिपोर्ट के मुताबिक, OpenAI की क्लाउड और AI इंफ्रास्ट्रक्चर पर 2030 तक लगभग 792 अरब डॉलर (लगभग 70,600 अरब रुपये) खर्च हो सकते हैं। 2033 तक इसकी कुल कंप्यूट लागत करीब 124 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। माइक्रोसॉफ्ट और अमेजन कंपनी के बड़े निवेशक और क्लाउड सप्लायर हैं, लेकिन इतना भारी खर्च कंपनी को लगातार नई फंडिंग या कर्ज लेने के लिए मजबूर कर सकता है। तेजी से बढ़ती मांग इसे और मुश्किल बना रही है।

भविष्य

आगे का रास्ता कितना कठिन?

HSBC का कहना है कि OpenAI को भविष्य में ज्यादा पेड यूजर्स लाने होंगे, डिजिटल विज्ञापन बाजार में बड़ी हिस्सेदारी लेनी होगी या अपने कंप्यूट ऑपरेशन को और ज्यादा कुशल बनाना होगा। नहीं तो कंपनी को 2030 के बाद भी पूंजी जुटानी पड़ेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि AI से मिलने वाले असली प्रोडक्टिविटी लाभ अभी पूरी तरह साबित नहीं हुए हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी होगा कि यह निवेश वास्तव में भविष्य में कितनी रिटर्न दे सकता है।