NGT ने भूजल के अवैध दोहन पर कोका-कोला और पेप्सिको पर लगाया 25 करोड़ का जुर्माना
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने उत्तर प्रदेश में स्थित तीन फैक्टि्रयों में भूजल का अवैध रूप से दोहन करने के मामले में शीतल पेय पदार्थ कंपनी कोका-कोला और पेप्सिको पर बड़ी कार्रवाई की है। NGT ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तीनों फैक्टि्रयों को मिलाकर दोनों कंपनियों पर कुल 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इसमें कोका-कोला की दो और पेप्सिको की एक फैक्ट्री शामिल है। NGT ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की भी आलोचना की है।
दोनों कंपनियों पर लगाया गया था भूजन के अवैध दोहन का आरोप
बता दें कि कोका-कोला कंपनी की गेटर नोएडा में मून बेवरेजेज और साहिबाबाद में मून बेवरेज के नाम से दो बोटल पैकेजिंग फैक्टि्रयां संचालित है। इसी तरह पेप्सिको की ग्रेटर नोएडा में वरुण बेवरेजेज के नाम से एक बोटल पैकेजिंग फैक्ट्री संचालित है। गत दिनों कुछ लोगों ने अधिवक्ता रोहित कुमार टुटेजा के जरिए NGT में याचिका दायर करते हुए तीनों फैक्टि्रयों पर अनुमति समाप्त होने के बाद भी भूजल का अवैध दोहन करने का आरोप लगाया था।
मामले में दोषी पाए जाने पर NGT ने लगाया जुर्माना
मामले में NGT अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, न्यायिक सदस्य सुधीर अग्रवाल, बृजेश सेठी और विशेषज्ञ सदस्य प्रोफेसर ए सेंथिल वेल और डॉ अफरोज अहमद ने तीनों फैक्टि्रयों को दोषी करार देते हुए 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा दिया। इसमें कोका-कोला की साहिबाबाद फैक्ट्री पर सबसे अधिक 13.24 करोड़, ग्रेटर नोएडा की फैक्ट्री पर 1.85 करोड़ और पेप्सिको की फैक्ट्री पर 9.71 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
NGT ने फैसले में कही यह बात
NGT ने अपने फैसले में कहा, "हमारा विचार है कि परियोजना प्रस्तावक (PP) केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की समाप्ति के बाद भूजल के अवैध दोहन के जिम्मेदार हैं। वो बिना किसी अधिकार के भूजल दोहन करते रहे।" NGT ने कहा, "तीनों पानी के पुनर्भरण का पालन करने में विफल रहे हैं। इसके कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए पर्यावरणीय मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी हैं।"
NGT ने CGWA और UPGWD को भी लगाई फटकार
NGT ने सरकारी नियामक CGWA को फटकार लगाते हुए कहा, "CGWA ने अपने तरीके से आगे बढ़ते हुए अवैध रूप से भूजल के बड़े पैमाने पर दोहन की अनुमति दी है। वह इसकी जवाबदेही से बच नहीं सकता।" इसी तरह NGT ने कहा, "उत्तर प्रदेश भूजल विभाग (UPGWD) ने भी भूजन के अवैध दोहन में योगदान दिया है। वह भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं। जिसके लिए उन्हें पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।"
NGT ने दिए भूजल पुनर्भरण के उपायों को लागू कराने के आदेश
मामले में फैसला सुनाने के साथ ही NGT ने केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय भूजल न्यायाधिकरण, UPGWD और जिला अधिकारियों को विशेषज्ञों की एक टीम तैयार कर भूजल पुनर्भरण के उपायों को सख्ती से लागू करने के भी आदेश दिए हैं। बता दें कि भूजल के तेजी से बढ़ते दोहन के कारण पानी का स्तर लगातार कम होता जा रहा है। ऐसे में भूजल पुनर्भरण बहुत ही आवश्यक है।