टाटा ट्रस्ट्स से निष्कासन के खिलाफ मेहली मिस्त्री ने उठाया ये कदम
क्या है खबर?
दिवंगत रतन टाटा के करीबी मेहली मिस्त्री ने महाराष्ट्र चैरिटी कमिश्नर के समक्ष टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी पद से हटाए जाने को चुनौती दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने नियामक प्राधिकरण से ट्रस्ट के फैसले पर मुहर लगाने से पहले उनके मामले की समीक्षा करने का आग्रह किया है। मिस्त्री ने सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जमशेदजी नवसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन से हटाए जाने को चुनौती देते हुए एक कैविएट दायर किया।
कैविएट
क्या है कैविएट दायर करने का उद्देश्य?
कैविएट में यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि चैरिटी कमिश्नर की ओर से ट्रस्टी बोर्ड में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने से पहले मिस्त्री को सूचित कर उनकी बात सुनी जाए। टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एच.पी. रानीना ने बताया कि कैविएट एक सुरक्षा कवच का काम करता है। यह प्राधिकारी को कोई भी आदेश जारी करने से पहले याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के लिए बाध्य करता है।
सुनवाई
बदलाव से पहले होगी सुनवाई
टाटा ट्रस्ट्स को नियामक नियमों के अनुसार, ट्रस्टीशिप में किसी भी बदलाव के लिए आयुक्त की मंज़ूरी की आवश्यकता होती है। बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार, जब ट्रस्ट्स मिस्त्री को हटाने का प्रस्ताव प्रस्तुत कर देंगे तो दोनों पक्षों की ओर से आयुक्त के समक्ष अपनी दलीलें प्रस्तुत करने की उम्मीद है। ट्रस्ट्स की सामूहिक रूप से टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 65.9 फीसदी हिस्सेदारी है, जिसका मूल्य 300 अरब डॉलर (26,400 अरब रुपये) से अधिक है।
मामला
इस कारण बढ़ा विवाद
मिस्त्री की ट्रस्ट में कार्यकाल बढ़ाने को लेकर 23 अक्टूबर को मतदान किया गया था। किसी ट्रस्टी की पुनर्नियुक्ति के लिए सभी ट्रस्टियों की सर्वसम्मति आवश्यक है। मतदान में ट्रस्टी प्रमित झावेरी, डेरियस खंबाटा और जहांगीर ने उनके पक्ष में मतदान किया, जबकि उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने नोएल टाटा के साथ मिलकर इसका विरोध किया। रतन टाटा के भाई जिमी टाटा ने इसमें भाग नहीं लिया। सर्वसम्मति के बिना मिस्त्री काे ट्रस्ट से बाहर कर दिया।