मारुति सुजुकी की ब्रिकी में 33 प्रतिशत गिरावट, बड़े संकट से जूझ रहा है ऑटो सेक्टर
देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री में अगस्त में 32.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। ऑल्टो और वैगन आर जैसी छोटी कारों की स्थिति तो और ज्यादा खराब है और उनकी बिक्री में 71.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। मारुति सुजुकी के ये आंकड़े ऑटो सेक्टर और अर्थव्यवस्था पर छाए संकट की पुष्टि करते हैं। बता दें कि देश की GDP विकास दर भी गिरकर 5 प्रतिशत पर आ गई है।
घरेलू बिक्री में 34.3 प्रतिशत की गिरावट
मारुति सुजुकी ने अगस्त महीने की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगस्त 2018 में 1,58,189 कारों के मुकाबले इस साल अगस्त में 1,06,413 कारों की बिक्री हुई। इसका मतलब कंपनी की कुल बिक्री में 32.7 प्रतिशत की गिरावट आई। मारुति सुजुकी की घरेलू बिक्री में 34.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू बाजार में अगस्त 2018 में 1,47,700 यूनिट के मुकाबले 97,061 यूनिट की ही बिक्री हुई।
छोटी कारों को सबसे अधिक नुकसान
अगर कारों के हिसाब से बात करें तो अगस्त में ऑल्टो और वैगन आर जैसी छोटी कारों को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा और उनकी बिक्री में 71.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस साल अगस्त में मात्र 10,123 छोटी कारों को बेचा जा सका, जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 35,895 था। स्विफ्ट, बलेनो और डिजायर जैसी कॉम्पैक्ट कारों की बिक्री भी 23.9 गिरकर 71,364 यूनिट के मुकाबले 54,274 यूनिट रह गई।
बड़ी कारों की बिक्री में हुई वृ्द्धि
अगस्त में मारुति सुजुकी सियाज की मात्र 1596 कारों को बेचा जा सका, जबकि पिछले साल अगस्त में ये आंकड़ा 7,002 था। हालांकि इस बीच विटारा ब्रेजा, एस-क्रॉस और एर्टिगा जैसी बड़ी गाड़ियों की बिक्री 3.1 प्रतिशत बढ़ गई। इन कारों की अगस्त 2018 में 17,971 के मुकाबले इस साल अगस्त में 18,522 यूनिट बिकीं। इस बीच मारुति सुजुकी का निर्यात भी 10,489 के मुकाबले 10.8 प्रतिशत गिरकर 9,353 यूनिट पर पहुंच गया।
ऑटो सेक्टर में बहुत बड़ा संकट, गई लाखों लोगों की नौकरियां
बता दें कि ऑटो सेक्टर इस समय अपने सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है। महीने की शुरूआत में आई रिपोर्ट के अनुसार, इस संकट के कारण ऑटो सेक्टर में अप्रैल से लेकर अब तक 3.5 लाख लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी है। मारुति सुजुकी ने खुद पिछले 6 महीनों में अपने अस्थाई कर्मचारियों की संख्या में 6 प्रतिशत की कमी की है। कई विशेषज्ञ स्थिति को इससे भी खराब बता रहे हैं।
गिरकर 5 प्रतिशत पर पहुंची विकास दर
इस बीच शुक्रवार को आई रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से लेकर मई की तिमाही में भारत की GDP विकास दर 5 प्रतिशत रही। सरकार ने इसके 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था, लेकिन ये इससे भी कम रही। पिछले साल इसी तिमाही में विकास दर 8 प्रतिशत थी। विकास दर में गिरावट का अहम कारण कृषि और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में चल रहा संकट है। ऑटो सेक्टर से संबंधित रिपोर्ट्स समय-समय पर इसी संकट की ओर इशारा कर रहीं थीं।