टैक्स विवाद में एकमात्र कार निर्माता के रूप में फॉक्सवैगन बची, किआ मोटर्स हुई बाहर
क्या है खबर?
भारतीय कर अधिकारियों की ओर से कार निर्माताओं पर लगाए 1.4 अरब डॉलर (करीब 121 अरब रुपये) के कर चोरी विवाद में अब केवल फॉक्सवैगन शेष रह गई है।
इस पर करों से बचने के लिए 12 सालों से अपनी कार के आयात को गलत तरीके से वर्गीकृत करने का आरोप है।
अदालत के कागजातों के अनुसार, इस मामले से किआ मोटर्स बाहर हो गई, जिसने कर चोरी के आरोप लगते ही आयात के तरीके में बदलाव कर दिया।
मामला
फॉक्सवैगन पर क्या है आरोप?
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि फॉक्सवैगन ने पहचान से बचने और करों में कटौती करने के लिए अलग-अलग शिपमेंट में ऑटो पार्ट्स आयात करने के लिए एक गुप्त योजना का इस्तेमाल किया।
इन पार्ट्स को कंपलीट बिल्ट यूनिट (CKD) घोषित नहीं किया, जिन पर 30 से 35 फीसदी उच्च कर लगता है।
इसके बजाय 10-15 फीसदी के कम शुल्क का लाभ उठाने के लिए आयातित कार कंपोनेंट को गलत वर्गीकृत किया।
बदलाव
जांच के बाद किआ ने किया बदलाव
राॅइटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कर अधिकारियों की चेतावनी दिए जाने के बाद दक्षिण कोरियाई किआ ने अपने आयात के तरीकों में बदलाव किया।
अधिकारियों ने किआ में बदली हुई प्रथा के बारे में अदालत को बताया, "पहले वे पार्ट्स के रूप में ऐसे आयातों को मंजूरी दे रहे थे, जिसके खिलाफ जांच की गई थी। जांच के बाद, उन्होंने ऐसे आयातों को सही ढंग से वर्गीकृत करना शुरू कर दिया है।"
आरोप
किआ पर यह था आरोप
इस महीने रॉयटर्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि किआ ने कर बचाने के लिए अपनी कार्निवल के पार्ट्स को अलग-अलग शिपमेंट के माध्यम से आयात किया।
इसके चलते उस पर 15.5 करोड़ डॉलर (करीब 1,350 करोड़ रुपये) की टैक्स चोरी का आरोप लगाया गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, किआ ने गलत वर्गीकरण स्वीकार कर लिया है। इसके अलावा किआ का कहना है कि वह मामले की समीक्षा कर रही है और अधिकारियों के साथ सहयोग कर रही है।