
कर्नाटक सरकार ने रोजाना 10 घंटे काम का रखा प्रस्ताव, ट्रेड यूनियन ने जताया विरोध
क्या है खबर?
कर्नाटक सरकार रोजाना काम करने के घंटे को बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
इसके लिए वह कर्नाटक दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, 1961 में संशोधन का प्रस्ताव लाई है। प्रस्ताव के अनुसार, अब अधिकतम दैनिक कार्य घंटे 9 से बढ़ाकर 10 किए जाएंगे और ओवरटाइम सहित कुल 12 घंटे तक काम की अनुमति होगी।
इसके साथ ही तिमाही ओवरटाइम सीमा भी 50 से बढ़ाकर 144 घंटे की जा सकती है।
राहत
छोटे व्यवसायों को मिल सकती है राहत
संशोधन का उद्देश्य राज्य के नियमों को केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुरूप बनाना है।
रिपोर्टों के मुताबिक, होटल, पब, रेस्टोरेंट, ऑफिस और IT कंपनियों सहित सभी दुकानों व प्रतिष्ठानों पर यह प्रस्ताव अनिवार्य रूप से लागू होगा।
हालांकि, 10 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को कुछ प्रमुख अनुपालन नियमों, जैसे वार्षिक रिटर्न और रजिस्टर रखने से कानूनी रूप से छूट दी जा सकती है, ताकि छोटे व्यवसायों पर अनावश्यक बोझ न बढ़े।
समर्थन
उद्योग संगठनों ने किया समर्थन
कर्नाटक चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इन प्रस्तावों का स्वागत किया है।
FKCCI के अध्यक्ष एमजी बालकृष्ण ने कहा कि यह मसौदा प्रगतिशील है और लंबे कार्य घंटों से उत्पादकता बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि भारत का युवा कार्यबल अधिक समय तक काम करने में सक्षम है।
उन्होंने छोटी इकाइयों को नियमों से छूट देने की योजना की भी सराहना की, जिससे निरीक्षण में होने वाली परेशानियां कम होंगी।
विरोध
श्रमिक संगठनों का विरोध और चर्चा की योजना
श्रमिक यूनियनों ने इस संशोधन का कड़ा विरोध किया है।
AICCTU ने इसे असंवैधानिक बताया और कहा कि यह प्रस्ताव उचित और मानवीय कार्य परिस्थितियों के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।
यूनियन नेता मैत्रेयी कृष्णन ने चेतावनी दी कि अगर यह नीति लागू हुई, तो मजदूर कर्नाटक छोड़ सकते हैं और अन्य राज्यों का रुख कर सकते हैं। सरकार ने प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय से पहले सभी प्रमुख हितधारकों के साथ एक बैठक बुलाई है।