LOADING...
भारत में 2030 तक दोगुनी हो जाएगी हाइड्रोजन की मांग, रिपोर्ट में बताई वजह 
उर्वरक, शोधन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्र के कारण हाइड्रोजन की मांग में इजाफा होगा

भारत में 2030 तक दोगुनी हो जाएगी हाइड्रोजन की मांग, रिपोर्ट में बताई वजह 

Dec 14, 2025
12:20 pm

क्या है खबर?

भारत में हाइड्रोजन की मांग 2030 तक लगभग दोगुनी होकर 1.2 करोड़ टन प्रति वर्ष (TPA) तक पहुंचने की उम्मीद है। यह वृद्धि मुख्य रूप से उर्वरक, शोधन और पेट्रोकेमिकल क्षेत्रों के कारण होगी। नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट के अनुसार, यह 2030 तक उर्वरकों की मांग का आधे से अधिक हिस्सा यानि लगभग 61 लाख टन प्रति वर्ष होगा, जबकि रिफाइनरियों को लगभग 45 लाख टन प्रति वर्ष की आवश्यकता हो सकती है।

वृद्धि 

इन कारणों से भविष्य में और बढ़ेगी मांग 

नई फैक्ट्रियां शुरू होने पर पेट्रोकेमिकल क्षेत्र से अतिरिक्त 13 लाख टन प्रति वर्ष की मांग का योगदान मिल सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दीर्घकाल में इस्पात उत्पादन, लंबी दूरी के भारी परिवहन, जहाजरानी और बिजली उत्पादन में हरित हाइड्रोजन (GH2) को अपनाया जा सकता है। GH2 की खपत के क्षेत्रों में संभावित विस्तार विभिन्न उद्योगों में टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की ओर बढ़ते रुझान को दर्शाता है।

ग्राीन हाइड्रोजन 

ग्रीन हाइड्रोजन को दिया जा रहा बढ़ावा 

भारत में हाइड्रोजन आधारित भविष्य की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का नेतृत्व राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन कर रहा है, जिसका उद्देश्य हरित हाइड्रोजन के लिए बुनियादी ढांचा तैयार करना है। इस मिशन का बजट लगभग 197 अरब रुपये है, जिसमें से अधिकांश राशि हरित हाइड्रोजन संक्रमण (SIGHT) योजना से जुड़ी है। यह योजना हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपभोग के साथ-साथ इलेक्ट्रोलाइजर निर्माण को बढ़ावा देती है। इसके तहत 13 राज्यों ने अपनी सहायता योजनाएं भी शुरू की हैं।

Advertisement