एलन मस्क ने खरीदी ट्विटर, शुरुआत से लेकर अंत तक ऐसी रही बिकने की प्रक्रिया
कई महीनों तक चली ना-नुकर के बाद आखिरकार अमेरिकी अरबपति एलन मस्क ने ट्विटर खरीदने का सौदा पूरा कर लिया है। उन्होंने ट्विटर के एक शेयर की कीमत 54.20 डॉलर (लगभग 4,410 रुपये) लगाते हुए 44 अरब डॉलर में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को खरीदने का ऑफर दिया था। अब अदालती आदेश के बाद उन्होंने इस सौदे को पूरा कर लिया है। आइये जानते हैं कि इस सौदे ने शुरुआत से लेकर आखिर तक का सफर कैसे तय किया।
मार्च में हुई शुरुआत
BBC के अनुसार, इस साल मार्च के आखिर में अमेरिकी शहर सैन हौजे के एक Airbnb में एक बैठक बुलाई गई थी। इसमें ट्विटर के अधिकारियों की दुनिया के सबसे अमीर इंसान एलन मस्क से मुलाकात हुई थी। इस बैठक से थोड़े समय पहले ही मस्क ट्विटर के सबसे बड़े शेयरहोल्डर बने थे। इस समय तक ऐसे कयास थे कि मस्क कंपनी के बोर्ड के शामिल होना चाहते हैं। बैठक के बाद ऐलान हुआ कि मस्क बोर्ड में शामिल होंगे।
अप्रैल की शुरुआत में बोर्ड में शामिल हुए मस्क
अप्रैल की शुरुआत में मस्क बोर्ड में शामिल हो गए। इस दौरान वो अकसर ट्वीट कर बताते थे कि कंपनी में कुछ बदलाव हो सकते हैं। हालांकि, कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) पराग अग्रवाल के साथ उनकी बदलावों को लेकर सहमति नहीं बन रही थी। इसे लेकर उन्होंने कंपनी के चेयरमैन ब्रेट टेलर को बताया कि अग्रवाल के साथ बात कर ट्विटर की खामियां दूर नहीं होंगी। इसके लिए कुछ बड़े कदम उठाने की जरूरत है।
14 अप्रैल को किया ट्विटर खरीदने का ऐलान
14 अप्रैल को मस्क ने ऐलान कर दिया कि वह ट्विटर खरीदना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने ट्विटर के एक शेयर की कीमत लगभग 4,410 रुपये लगाते हुए 44 अरब डॉलर में ट्विटर खरीदने का ऑफर दिया था। शुरुआत में ट्विटर ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। कंपनी ने उन्हें जबरन अधिग्रहण से रोकने के लिए 'पॉइजन पिल' रणनीति का भी सहारा लिया, जिसकी मदद से मौजूदा शेयरधारकों को बड़ी हिस्सेदारी खरीदने और ज्यादा नियंत्रण पाने से रोक दिया जाता है।
एक बार ठुकराने के बाद ट्विटर ने स्वीकार किया प्रस्ताव
एक बार प्रस्ताव ठुकराने के बाद ट्विटर ने फिर से इस पर विचार किया और 25 अप्रैल को मस्क का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। आमतौर पर ऐसे सौदे यहीं पूरे हो जाते हैं, लेकिन इस मामले में और मोड़ आने बाकी थे। मस्क ने कहा कि ट्विटर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाती है, जबकि उसे सबसे पहले फ्री स्पीच के लिए जगह बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस सौदे में उन्होंने पैसे को नहीं देखा है।
यूजर्स की संख्या को लेकर दोनों पक्षों के बीच रही तनातनी
इसी बीच टेक कंपनियों के शेयरों की कीमत गिरने लगी और ट्विटर के शेयर भी इससे अछूते नहीं रहे। इस दौरान कई विशेषज्ञों ने कहा कि शायद मस्क ट्विटर को कीमत से ज्यादा रकम चुका रहे हैं। इसके बाद मस्क ने ट्विटर से सार्वजनिक तौर पर असली यूजर्स की संख्या पूछनी शुरू कर दी। ट्विटर ने उन्हें बताया कि डेली एक्टिव यूजर्स में से 5 प्रतिशत ही बोट्स हैं, लेकिन मस्क ने यह बात नहीं मानी।
जुलाई में मस्क ने सौदे से पीछे खींचे कदम
ट्विटर के साथ तनातनी के बीच मस्क ने 8 जुलाई को ऐलान किया कि वो इस सौदे से अपने कदम पीछे खींच रहे हैं। हालांकि, इसके पीछे की साफ वजहें सामने नहीं आई हैं। दूसरी तरफ ट्विटर ने इस पर मस्क को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वो समझौते के तहत वह कंपनी खरीदने को बाध्य है और अगर वो पीछे हटते हैं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद दोनों पक्ष अदालत पहुंचे।
अदालत में दोनों पक्षों ने कही यह बात
अदालती दस्तावेजों में ट्विटर ने कहा कि उसने असली यूजर्स को लेकर मस्क को पर्याप्त जानकारियां दे दी हैं। वहीं मस्क ने कहा कि कंपनी बोट्स की संख्या छिपा रही है। उन्होंने कंपनी पर फर्जीवाड़े का भी आरोप लगाया।
फिर बदला मस्क का मन
ट्विटर की शिकायत पर मस्क के खिलाफ अदालत में ट्रायल जल्द ही शुरू होने वाला था, लेकिन उससे पहले मस्क ने अपना मन बदलते हुए पुराने ऑफर की पेशकश कर दी। 7 अक्टूबर को उन्होंने ट्विटर को पत्र भेजकर कहा कि वह सौदा पूरे करने को तैयार है, लेकिन उनके खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए। अदालत इस पर सहमत हो गई और उसने मस्क को 28 अक्टूबर तक यह सौदा पूरा करने का आदेश दिया था।
सौदा पूरा होने के बाद बोले मस्क- चिड़िया आजाद हो गई
28 अक्टूबर को खबर आई कि मस्क ने अपने पुराने ऑफर पर ट्विटर को खरीद लिया है। यह सौदा पूरा होने के बाद दुनिया के सबसे अमीर इंसान ने ट्विटर पर लिखा कि चिड़िया आजाद हो गई है।