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भारतीय स्टार्टअप बंद होने की दर में भारी गिरावट, क्या देता है यह संकेत? 
भारतीय स्टार्टअप बंद होने की दर में गिरावट

भारतीय स्टार्टअप बंद होने की दर में भारी गिरावट, क्या देता है यह संकेत? 

Dec 30, 2025
10:05 pm

क्या है खबर?

भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में 2025 में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। ट्रैक्सन की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल स्टार्टअप के बंद होने की संख्या 2024 में 3,903 से घटकर 730 रह गई। पहली नजर में यह राहत जैसी लगती है, लेकिन विशेषज्ञ इसे मजबूती का संकेत नहीं मानते हैं। इसके पीछे 2022 के बाद नए स्टार्टअप लॉन्च कम होना, वेंचर कैपिटल की रफ्तार धीमी पड़ना और वैल्यूएशन का संतुलित होना कारण सामने आ रहे हैं।

 संकेत 

कम शटडाउन का असली मतलब क्या है?

स्टार्टअप बंद होने की संख्या घटने का मतलब यह नहीं है कि हालात बेहतर हो गए हैं। ट्रैक्सन के मुताबिक, यह गिरावट इसलिए दिख रही है, क्योंकि बीते 2 साल में कम नए स्टार्टअप शुरू हुए। फंडिंग सख्त होने से शुरुआती चरण की कंपनियां पहले ही बाजार में नहीं आ पाईं। नतीजतन बंद होने वाले स्टार्टअप की संख्या भी कम दिख रही है। यानी आंकड़ों में सुधार में धीमी ग्रोथ और सतर्क निवेश माहौल की तस्वीर पेश करता है।

असर

बड़े और पुराने स्टार्टअप पर ज्यादा असर

इस बदलाव का असर बड़े और पुराने स्टार्टअप पर ज्यादा दिख रहा है। सालों तक सस्ते पूंजी दौर में तेजी से स्केल करने वाली कंपनियां अब दबाव में हैं। गुड ग्लैम ग्रुप इसका उदाहरण है, जिसकी वैल्यू कभी 1.2 अरब डॉलर (लगभग 110 अरब रुपये) से ज्यादा थी। ज्यादा कर्ज, मुनाफा देर से आना और वर्किंग कैपिटल की कमी ने इसकी रणनीति कमजोर कर दी। ऐसे मामलों में गिरावट भले कम हो, लेकिन प्रभाव काफी बड़ा होता है।

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चुनौती

प्रासंगिकता और बिजनेस मॉडल बनी चुनौती

कुछ स्टार्टअप्स के लिए समस्या फंडिंग से ज्यादा प्रासंगिकता की रही है। हाइक जैसे प्लेटफॉर्म यूजर जरूरतों से दूर होते गए और नेटवर्क इफेक्ट खो बैठे। डंजो और ब्लूस्मार्ट के मामलों ने दिखाया कि सुविधा और टेक्नोलॉजी ही काफी नहीं होती। कमजोर बिजनेस मॉडल, ऊंचा खर्च और गवर्नेंस से जुड़े सवाल भारी पड़े। 2025 में यह साफ हो गया कि टिके रहने के लिए रनवे के साथ भरोसा और प्रॉफिटेबिलिटी भी जरूरी है।

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