भारत में ग्लांस को अपना कारोबार बेच सकती है बाइटडांस- रिपोर्ट
क्या है खबर?
जून, 2020 में शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप टिक-टॉक पर भारत में बैन लगा दिया गया और अब इस ऐप की वापसी की उम्मीद खत्म हो चुकी है।
टिक-टॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस लिमिटेड भारत में मौजूद अपना कारोबार बेचने की कोशिश कर रही है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइटडांस अपना कारोबार अपनी राइवल कंपनी यूनिकॉर्न ग्लांस को बेच सकती है।
बता दें, टिक-टॉक ऐप पर बैन लगने के बाद से कंपनी को भारत में लगातार नुकसान हो रहा है।
रिपोर्ट
ग्लांस के साथ चल रही है बात
मामले से जुड़े सोर्स के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि बाइटडांस और ग्लांस के बीच डील से जुड़ी बातचीत शुरू हो चुकी है।
सामने आया है कि यह चर्चा जापान के सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्पोरेशन की ओर से शुरू की गई है, लेकिन डील को लेकर अब तक कुछ फाइनल नहीं हुआ है।
बता दें, सॉफ्टबैंक ग्लांस की पैरेंट कंपनी इन्मोबी और टिक-टॉक की पैरेंट कंपनी बाइटडांस दोनों से जुड़ी है।
डील
मौजूदा चर्चा में चार पक्ष शामिल
बाइटडांस के भारत में मौजूदा कारोबार की डील से जुड़ी चर्चा में चार पक्ष शामिल हैं।
इनमें सॉफ्टबैंक, बाइटडांस और ग्लांस के अलावा भारतीय अथॉरिटीज की हिस्सेदारी भी है।
साफ है कि बाइटडांस और ग्लांस के बीच किसी तरह की डील भारतीय अथॉरिटीज की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद ही फाइनल होगी।
बाइटडांस ने टिक-टॉक की भारत में वापसी से जुड़ी उम्मीद खोने के बाद कारोबार बेचने का फैसला किया है।
बैन
टिक-टॉक पर लग चुका है स्थायी बैन
भारत सरकार ने जून, 2020 में शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप समेत 59 ऐप्स को भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा मानते हुए बैन किया था।
सरकार ने इन ऐप्स से यूजर्स का डाटा जुटाने की प्रक्रिया और उसके इस्तेमाल से जुड़े सवाल किए थे।
बीते दिनों सामने आया कि टिक-टॉक ऐप की ओर से दिए गए जवाब से सरकार संतुष्ट नहीं है और इसे जनवरी महीने में स्थायी बैन का नोटिस भेजा गया है।
जानकारी
क्या है ग्लांस?
ग्लांस एक मोबाइल कंटेंट प्लेटफॉर्म है। इसे 'इनमोबी' के फाउंडर नवीन तिवारी ने शुरू किया था। ग्लांस का टिक-टॉक जैसा ही Roposo नाम का एक शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप भी है। ग्लांस को गूगल और अरबपति पीटर थील के मिथ्रिल कैपिटल से फंडिंग मिली है।
बाइटडांस
अब तक सक्रिय थी बाइटडांस
टिक-टॉक ऐप पर बैन लगने के बावजूद बाइटडांस ने भारत में अपने कर्मचारियों को ग्लोबल ऑपरेशंस संभालने का जिम्मा दे रखा था और ऑफिस बंद नहीं किए थे।
माना जा रहा है कि पैरेंट कंपनी को शॉर्ट वीडियो शेयरिंग ऐप की वापसी होने की उम्मीद थी, इसलिए स्टाफ में ज्यादा कटौती नहीं की गई थी।
ऐप के ऑपरेशन के लिए बाइटडांस के पास भारत में बड़ा नेटवर्क मौजूद था, जिसे कंपनी अब बेचना चाहती है।