बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे के रेस्तरां को 'बर्गर किंग' नाम इस्तेमाल करने से रोका
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार (2 दिसंबर) को एक अंतरिम आदेश जारी कर पुणे के एक रेस्तरां की ओर से 'बर्गर किंग' नाम का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है। अदालत ने अमेरिकी दिग्गज कंपनी बर्गर किंग कॉरपोरेशन की ट्रेडमार्क उल्लंघन याचिका पर सुनवाई पूरी होने और उसका निपटारा होने तक यह रोक लगाई है। हाई काेर्ट ने यह फैसला बर्गर किंग की ओर से अगस्त में पुणे अदालत के फैसले के विरोध में दायर याचिका पर सुनाया है।
यह दायर की थी अपील
फास्ट-फूड दिग्गज बर्गर किंग ने अगस्त में एक अपील दायर की थी, जिसमें रेस्तरां के खिलाफ 2011 के ट्रेडमार्क उल्लंघन के मुकदमे को खारिज करने के पुणे अदालत के फैसले को चुनौती दी गई। कंपनी ने तर्क दिया कि पुणे भोजनालय द्वारा 'बर्गर किंग' नाम के इस्तेमाल से उसकी प्रतिष्ठा, सद्भावना और व्यवसाय को काफी नुकसान हुआ। बर्गर किंग कॉर्पोरेशन ने भोजनालय के मालिकों अनाहिता ईरानी और शापूर ईरानी के खिलाफ उच्च न्यायालय में अंतरिम निषेधाज्ञा की भी मांग की।
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह कहा
जस्टिस AS चंदुरकर और राजेश पाटिल की खंडपीठ ने सोमवार को अंतरिम आवेदन पर अपना आदेश पारित करते हुए कहा कि कंपनी की ओर से दायर अपील पर सुनवाई होनी चाहिए और सभी सबूतों पर गौर किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, "तब तक अंतरिम आदेश जारी रखा जाना आवश्यक है।" अगस्त में हाई कोर्ट ने पुणे अदालत द्वारा विवादित नाम का उपयोग करने पर अस्थायी रूप से रोक के जारी 2012 के अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया था।
क्या था पूरा मामला?
अमेरिकी फास्टफूड कंपनी 'बर्गर किंग' ने 2014 में नई दिल्ली, मुंबई, पुणे में आउटलेट खोलकर भारतीय बाजार में प्रवेश किया और पाया कि 2008 से इसी नाम से एक रेस्तरां चल रहा था। इसको लेकर संचालकों को नोटिस भेजा, जिसके जवाब में उन्होंने 'बर्गर किंग' नाम इस्तेमाल नहीं करने से इनकार कर दिया तो मामला कोर्ट में चला गया। 13 साल बाद पुणे न्यायालय ने इसी साल अगस्त में 'बर्गर किंग' रेस्तरां के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया।