ऐपल ने भारत में सैमसंग को छोड़ा पीछे, इस साल बाहर भेज सकते हैं इतने आईफोन
टेक दिग्गज कंपनी ऐपल ने सितंबर तिमाही में भारत में अपनी बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाकर 28.7 प्रतिशत कर लिया, जिससे वह सैमसंग से आगे निकल गई है। मार्केट इंटेलिजेंस फर्म इंटरनेशनल डाटा कॉरपोरेशन (IDC) के अनुसार, सैमसंग की हिस्सेदारी घटकर 15.2 प्रतिशत हो गई, जो मार्च तिमाही में 22.5 प्रतिशत थी। IDC की रिसर्च मैनेजर उपासना जोशी का कहना है कि ऐपल की बिक्री बढ़ती जा रही है, जबकि सैमसंग की बिक्री लगातार तीसरी तिमाही में घट रही है।
इस साल शिप हो सकते हैं 1.2 करोड़ आईफोन
जनवरी-सितंबर के दौरान ऐपल ने भारत में 90 लाख से अधिक आईफोन बेचे, जो पिछले साल की तुलना में 35 प्रतिशत ज्यादा है। IDC के अनुसार, अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आईफोन 16 की नई मांग से 2024 में ऐपल का शिपमेंट 1.2 करोड़ तक जा सकता है। ऐपल के फोन महंगे हैं, लेकिन IDC की उपासना जोशी का कहना है कि ऊंचे औसत बिक्री मूल्य (ASP) के बावजूद, 2025 में ऐपल के अभियान से आईफोन की बिक्री स्थिर रह सकती है।
ऑफर्स से ऐपल को मिला लाभ
सितंबर तिमाही में ऐपल ने 40 लाख आईफोन 15 और 13 यूनिट्स की बिक्री की, जिससे यह ऑनलाइन चैनल में दूसरी सबसे बड़ी खिलाड़ी बन गई। भारत में ऐपल की वॉल्यूम मार्केट हिस्सेदारी 8.6 प्रतिशत रही, जबकि सैमसंग की हिस्सेदारी 16.2 प्रतिशत से घटकर 12.3 प्रतिशत हो गई। छूट वाले पुराने मॉडल्स और नो-कॉस्ट EMI, बैंक ऑफर सुविधाओं ने आईफोन खरीदने को आसान बनाया। ऐपल का औसत बिक्री मूल्य 950 डॉलर (लगभग 80,190 रुपये) था, जो सैमसंग से दोगुना है।
इस वजह से सैमसंग को नुकसान
टेक सेक्टर के जानकार फैसल कावूसा के अनुसार, आईफोन खरीदार ऐपल के प्रति वफादार रहते हैं, जबकि सैमसंग को अधिक स्विचिंग दरों का सामना करना पड़ता है क्योंकि ग्राहक अन्य ब्रांडों की बेहतर सुविधाओं को देखते हैं। सैमसंग की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट के पीछे ब्रांड थकान, इन्वेंट्री समस्याएं, चीनी ब्रांडों से प्रतिस्पर्धा और बिक्री में समस्याएं हैं। सैमसंग के बजट मॉडल में रंग, फिनिश, फास्ट चार्जिंग जैसी सुविधाएं कम हैं, जिससे ग्राहक अन्य ब्रांडों की ओर जाते हैं।