गाड़ियों के पीछे क्यों लिखा होता है 4x4? जानिए क्या है इसका मतलब
आपने कई गाड़ियों के पीछे 4x4 या 4WD लिखा हुआ देखा होगा, जिसे फोर-व्हील-ड्राइवट्रेन भी कहते हैं। हाल ही में लॉन्च हुई महिंद्रा थार रॉक्स के अलावा, मारुति जिम्नी, फोर्स गुरखा, जीप कम्पास, महिंद्रा स्कॉर्पियो-N, टोयोटा फॉर्च्यूनर और MG ग्लॉस्टर कुछ ऐसी गाड़ियां हैं, जो 4x4 तकनीक से लैस है। कई लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। कार गाइड में आज हम आपको बता रहे हैं कि 4x4 कैसे काम करता है और इसके क्या फायदे हैं।
कैसे काम करता है 4x4?
फोर-व्हील-ड्राइव नाम से ही पता चलता है कि यह ऐसा सिस्टम है, जिसमें इंजन गाड़ी के चारों पहियों को पावर देता है। इसमें सभी पहियों में पावर समान रूप से विभाजित होती है। इसके अलावा गाड़ियों में रियर-व्हील ड्राइव (RWD), ऑल-व्हील ड्राइव (AWD) और 2-व्हील ड्राइव (2WD) भी मिलता है। इनमें केवल ट्रैक्शन का अंतर होता है, जो वाहन को कंट्रोल करने में मददगार है। बेहतर ट्रैक्शन के कारण 4WD मुश्किल रास्ते पर कार को आसानी कंट्रोल करता है।
ऑफ-रोड के लिए बेहद जरूरी
4×4 फीचर्स वाली गाड़ियों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इन्हें ऑफ-रोड पर चलाना आसान है। मुश्किल रास्तों, गीली और बर्फीली सड़क पर यह सिस्टम गाड़ी को आसानी से निकाल लेता है। इस फीचर के होने से टायर को ज्यादा पावर मिलती है। यह सिस्टम तब काम आता है, जब आप अपनी गाड़ी कीचड़ या बर्फीली सड़क पर फंस जाती है। यह सिस्टम सामान्य सड़क पर 2- व्हील ड्राइव मोड पर काम करता है।
गाड़ियों में मिलता है ज्यादा स्पेस
इस सिस्टम से लैस गाड़ियों में अधिक जगह और लोडिंग क्षमता मिलती है। आमतौर पर ये 2WD कारों की तुलना में बड़ी होती हैं। कई मॉडल्स पीछे अतिरिक्त सीट्स के साथ बैठक क्षमता 7-सीटर तक बढ़ जाती है। इनमें अधिक हेडस्पेस और लेगरूम भी मिलता है। बेहतर माइलेज: 4WD में चारों पहिया को पावर देने के कारण ईंधन की खपत ज्यादा होती है, लेकिन वर्तमान में आने वाले 4WD गाड़ियां पुराने 2WD मॉडल्स से अच्छा माइलेज देते हैं।
रखरखाव होता है ज्यादा खर्चीला
फोर-व्हील ड्राइव सिस्टम वाली कारें 2WD वाली गाड़ियों की तुलना में महंगी होती हैं। ज्यादा जटिल ड्राइवट्रेन होने के कारण इनका रखरखाव करना मुश्किल और खर्चीला होता है। इन गाड़ियों में ईंधन की खपत भी ज्यादा होती है और केबिन में कम आराम मिलता है, जिस वजह से लंबी यात्रा के दौरान थकान हो सकती है। डिफरेंशियल, ट्रांसफ़र केस आदि अतिरिक्त उपकरणों के कारण इनका वजन भी ज्यादा होता है और इनमें तेजी से ब्रेक नहीं लग पाते।