दरार आने से लेकर ट्रेड कम होने तक, अगर दिखें ये संकेत तो तुरंत बदलवाएं टायर
क्या है खबर?
कार में कमी आना आम बात है। उसमें इतनी सारी चीजें लगी होती हैं, जिनमें से किसी एक के भी खराब होने पर कार का ठीक तरह से काम करना मुश्किल होता है।
साथ ही उसमें लगे पार्ट्स भी हमेशा ठीक तरह से काम नहीं करते हैं। एक समय के बाद उनमें खराबी आने से उन्हें बदलना पड़ता है।
अगर कार का अधिक उपयोग होता है तो टायर्स में नीचे बताई गईं कमियां दिखने पर उन्हें बदलवा लेना चाहिए।
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ट्रेड का कम होना
टायर के ट्रेड कम होने पर लोगों को बिना लापवाही किए जल्द से जल्द उन्हें बदलवा लेना चाहिए।
बता दें कि ट्रेड टायर की ऊपरी सतह होती है और कार के ज्यादा चलने से यह घिसने लगती है। साथ ही ट्रेड कम होने से टायर्स की ग्रिप भी कम हो जाती है।
इतना ही नहीं पथरीले इलाकों पर अधिक चलने से भी टायर जल्दी घिस जाते हैं।
अगर टायर का ट्रेड 1.6 से कम है तो उसे बदलवा लें।
#2
दरार आना
जब टायर ज्यादा घिस जाता है तो उसके साइड के हिस्से पर दरार आ जाती है। ऐसा होने पर अगर कार को स्पीड में चलाएंगे तो टायर फटने का डर रहता है।
इस कारण दरार आने पर टायर को बदलवा लेना चाहिए।
वहीं टायर घिसा है या नहीं ये पता लगाने के लिए देखें कि वह उभरा हुआ है या नहीं। अगर वह बिल्कुल सपाट है तो तुरंत उसे बदलवा लें।
#3
ट्रेड की लम्बाई बिट के बराबर आना
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टायर के बीच में दिए गए गैप में एक बिट होता है, जो एक इंडिकेटर बार की तरह काम करता है। इसकी ऊंचाई टायर के ट्रेड से कम होती है।
अगर बाहर वाली सतह यानी ट्रेड की लम्बाई बिट के बराबर आ जाए तो समझ लें कि अब टायर को बदलने की जरूरत है।
साथ ही अधिक बार पंचर होने के बाद भी टायर को बदल लेना चाहिए।
#4
ड्राइविंग के समय वाइब्रेशन महसूस होना
टायर के खराब होने पर ड्राइविंग करते समय एक वाइब्रेशन महसूस होता है। इस बात को नजरअंदाज न करें।
हालांकि, खराब रास्तों पर ऐसा होना आम बात है, लेकिन अगर अच्छी सड़कों पर भी ड्राइविंग के समय वाइब्रेशन महसूस हो तो बिल्कुल लापरवाही न करें और तुरंत किसी अच्छे मैकेनिक को दिखाएं और अगर वो कहे तो उसे बदलवा लें।
ऐसा कर बड़ी दुर्घटना होने से बचा जा सकता है।