भारतीय सेना में स्वदेशी जोंगा से सफारी तक शामिल रहे हैं ये दमदार वाहन
भारतीय सेना हमारे देश की रक्षा के लिए हर एक दिन समर्पित है। भारतीय सशस्त्र बल जमीन, समुद्र और आकाश में देश की रक्षा करते हैं। वे रेगिस्तानों, बर्फ से ढके पहाड़ों, घने वर्षावनों जैसे सबसे कठिन इलाकों में तैनात रहते हैं। ऐसी कठिन जगहों पर आवागमन करना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए इन जगहों पर जाने के लिए सेना के पास एक से एक दमदार वाहन होते हैं, जिनमें से कुछ की जानकारी यहां दी जा रही है।
महिंद्रा जीप
जीप विशेष रूप से द्वितीय विश्व युद्ध के लिए अमेरिकी कंपनी द्वारा बनाई गई थी और दुनियाभर के रक्षा बलों के लिए एक बहुत ही उपयोगी कार साबित हुई। आजादी के बाद देश की कंपनी महिंद्रा ने विलीज जीप के लिए लाइसेंस हासिल कर इसका निर्माण देश में शुरू किया था। कई वर्षों तक देश में जीप का उत्पादन किया गया। यह अपनी 4X4 क्षमता के कारण लंबे समय तक भारतीय सेना के शीर्ष वाहनों में शुमार रही।
मारुति सुजुकी जिप्सी
मारुति की यह कार विशेष उल्लेख की मांग करती है क्योंकि यह आज भी सेना के बीच अपनी पहुंच बनाए हुए है। इसे पहली बार साल 1985 में पेश किया गया था और आज तक यह भारतीय रक्षा बलों की सबसे पसंदीदा कारों में है। हालांकि, मारुति सुजुकी 2018 में ही आम जनता के लिए जिप्सी का उत्पादन बंद कर चुकी है। अब इसका उत्पादन सिर्फ सेना में उपयोग के लिए होता है।
टाटा मोटर्स सफारी
टाटा मोटर्स की सफारी आम भारतीयों के साथ-साथ रक्षा बलों के दिलों में भी एक खास जगह रखती है। सेना में पहले सफारी के पुराने बख्तरबंद संस्करण का उपयोग किया जाता था। उसके अच्छे प्रदर्शन के चलते अब इसका नया संस्करण सफारी स्टॉर्म इस परंपरा को आगे बढ़ा रहा है। गौरतलब है कि सफारी स्टॉर्म को देश के निजी वाहन बाजार से हटा लिया गया है, लेकिन टाटा मोटर्स सेना के लिए इसका उत्पादन आज भी कर रही है।
रॉयल एनफील्ड
रॉयल एनफील्ड का इतिहास दोनों विश्व युद्ध से भी पहले का है। यह एक ब्रिटिश कंपनी हुआ करती थी जो आज पूर्ण भारतीय बन गई है। यह दुनिया की सबसे दमदार मोटरसाइकिल कंपनियों में से एक है। आज यह कंपनी पूरी दुनिया में अपने पैर पसार चुकी है। भारतीय रक्षा बलों ने 1952 में कंपनी को 500 मोटरसाइकिलों का पहला आधिकारिक ऑर्डर दिया और यह सिलसिला आज भी जारी है।
जोंगा
आज सेना में महिंद्रा और टाटा मोटर्स के वाहनों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन इनके सेना में शामिल होने के पहले यहां जोंगा नाम के स्वदेशी वाहन का इस्तेमाल होता था। जोंगा को निसान द्वारा एक विशेष लाइसेंस के तहत भारतीय सेना के लिए तैयार किया गया था। इसे साल 1969 से गन कैरिज फैक्ट्री जबलपुर में बनाया गया था और साल 1999 में इसका उत्पादन बंद कर दिया गया।