मारुति सुजुकी की 4 लाख गाड़ियों की डिलीवरी बाकी, जानिए इसकी वजह
गाड़ियों की जबरदस्त मांग और सेमीकंडक्टर की कमी के कारण देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की करीब 4 लाख गाड़ियों की डिलीवरी रुकी हुई है और इस वजह से कंपनी के मॉडलों का वेटिंग पीरियड भी बढ़ रहा है। मारुति सुजुकी के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक शशांक श्रीवास्तव ने यह जानकारी दी है। दरअसल पार्ट्स की कमी के कारण कंपनी को उत्पादन धीमा करना पड़ा है। इस वजह से मारुति आर्डर पूरा नहीं कर पा रही है।
इन गाड़ियों की है सबसे अधिक बुकिंग
मारुति सुजुकी देश में सबसे अधिक गाड़ियों की बिक्री करती है। वर्तमान में कंपनी की अर्टिगा MPV की 1 लाख यूनिट्स, मारुति ब्रेजा की 60,000 यूनिट्स और ग्रैंड विटारा की 80,000 यूनिट्स की डिलीवरी बाकी है। कंपनी ने पिछले महीने ही अपनी फ्रोंक्स SUV को लॉन्च किया था। इस गाड़ी की करीब 30,000 यूनिट्स की डिलीवरी रुकी हुई है। वहीं जिम्नी की भी 30,000 यूनिट्स बुक हो चुकी हैं। इसके अलावा मारुति बलेनो की 40,000 यूनिट्स की डिलीवरी बाकी है।
कितना है मारुति मॉडल्स का वेटिंग पीरियड?
मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा के लिए अलग-अलग शहरों में वेटिंग पीरियड 1-8 महीने के बीच है। वैगनआर के लिए औसतन 2 महीने का वेटिंग पीरियड है। मारुति स्विफ्ट के लिए औसतन 2 महीने का वेटिंग पीरियड है। बलेनो की डिलीवरी मिलने में औसतन करीब एक महीने का समय लगेगा। वहीं फ्रोंक्स ज्यादातर शहरों में एक महीने या उससे भी कम समय में मिल सकती है। इसके अलावा CNG मॉडलों पर यह वेटिंग पीरियड 3 महीने तक पहुंच गया है।
ग्राहकों को करना पड़ेगा अधिक भुगतान
डिलीवरी में देरी का मतलब है कि खरीदार को अपने वाहन के लिए अधिक भुगतान करना होगा क्योंकि ग्राहकों को डिलीवरी के समय लागू कीमतों का भुगतान करना होगा। बता दें कि बढ़ती इनपुट लागत के चलते लगभग सभी कंपनियां अपने वाहनों के दाम बढ़ा रही हैं और साल की शुरुआत से औसतन लगभग 4-5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। टाटा मोटर्स, मारुति, हुंडई और महिंद्रा जैसी दिग्गज कंपनियां अपने वाहनों के दाम बढ़ा चुकी हैं।
देश में करीब 12 लाख से अधिक गाड़ियों की डिलीवरी बाकी
भारत में लगभग 12 लाख से अधिक लोग अपनी कार के घर आने का इंतजार कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद पिछले 2 सालों में गाड़ियों की मांग में उछाल आया, लेकिन चिप की कमी के कारण इनकी डिलीवरी नहीं हो पा रही है। मारुति के अलावा महिंद्रा की 3 लाख यूनिट्स, टोयोटा की एक लाख यूनिट्स, टाटा मोटर्स की करीब 2.5 लाख यूनिट्स की डिलीवरी बाकी है। वहीं हुंडई को भी करीब 2 लाख गाड़ियों की डिलीवरी करनी है।
कब तक बनी रहेगी यह समस्या
सेमीकंडक्टर की वैश्विक कमी कार निर्माताओं के लिए बड़ी समस्या है। रिपोर्ट्स की माने तो यह समस्या इस साल की अंत तक बनी रहेगी। बता दें कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए वेटिंग पीरियड सबसे अधिक है क्योंकि इनमें कई चिप लगे होते हैं। इस समस्या से निकलने के लिए फोर्ड और जनरल मोटर्स जैसी कंपनियां सेमीकंडक्टर्स प्लांट लगाने की योजना बना रही हैं। हालांकि, मारुति जुलाई 2023 तक सपने उत्पादन को बढ़ाने की योजना पर भी काम कर रही है।