1918 में महामारी के दौरान भी क्यों बंद नहीं हुए थे कुछ स्कूल?
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत समेत कई देशों में कई महीनों से स्कूल बंद हैं। वहीं कुछ देशों में कई ऐहतियातों के साथ स्कूल खोले गए हैं।
इस बीच लगातार यह बहस चलती रही है कि क्या महामारी के दौरान स्कूल खोले जाने चाहिए?
100 साल पहले 1918 में आई स्पैनिश फ्लू महामारी के समय भी ऐसी बहस हो रही थी। भले ही उस समय दुनिया अलग थी, लेकिन यह चर्चा तब भी इतनी ही तेज थी।
पिछली महामारी
सबसे घातक था 1918 का स्पैनिश फ्लू
1918 में फैले 'स्पैनिश फ्लू' को इतिहास की सबसे घातक महामारी माना जाता है और इससे 5 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
पहले विश्व युद्ध के दौरान किसी सैन्य कैंप से ये बीमारी शुरू हुई थी और युद्ध खत्म होने के बाद अपने-अपने देश लौटने वाले सैनिकों ने इस बीमारी को पूरी दुनिया में फैला दिया।
ज्यादातर संक्रमितों के मरने या उनमें बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा होने के कारण ये 1919 में खत्म हो गया।
1918 की महामारी
स्पैनिश फ्लू से अमेरिका में हुई थी 6.75 लाख मौतें
कोरोना वायरस के सबसे भीषण प्रकोप का सामना कर रहे अमेरिका में अब 65 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने भी इस बीच कई बार स्कूल खोलने की बात की है।
अगर 1918 की स्पैनिश फ्लू के अमेरिका पर असर को देखें तो यहां इस महामारी के कारण 6.75 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
इसके बावजूद यहां के न्यू हैवन, शिकागो और न्यूयॉर्क में स्कूल खुले रहे थे।
जानकारी
इस वजह से खुले रखे गए थे स्कूल
इन शहरों के अधिकारियों ने यह सोचकर स्कूल खुले रखे थे कि घरों की तुलना में बच्चे स्कूलों में ज्यादा सुरक्षित और देखभाल में रहेंगे। स्कूलों में साफ-सफाई और छात्रों की देखभाल के लिए नर्सों के इंतजाम आदि पर खास ध्यान दिया गया था।
1918 स्पैनिश फ्लू
न्यूयॉर्क के स्कूलों में थे 10 लाख छात्र
CNN ने एक पब्लिक हेल्थ रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि उस वक्त न्यूयॉर्क के स्कूलों में 10 लाख छात्र थे और उनमें से 75 फीसदी भीड़भाड़ और गंदगी वाले इलाकों में किराए पर रहने वाले थे।
पब्लिक हेल्थ रिपोर्ट में लिखा गया है कि भीड़भाड़ वाले इलाकों में किराये पर रहने वाले छात्रों को स्कूलों में साफ माहौल दिया गया, जहां उनकी देखभाल के लिए अध्यापक, नर्सें और डॉक्टर मौजूद थे। यहां उनकी नियमित जांच होती थी।
ऐहतियात
स्कूलों में होती थी बच्चों की जांच
छात्रों को स्कूल जाते ही अध्यापकों को रिपोर्ट करना होता था। अध्यापक उन बच्चों की जांच करते और अगर किसी में फ्लू के लक्षण पाए जाते तो उन्हें आइसोलेट कर दिया जाता था।
अगर किसी छात्र को बुखार होता तो स्वास्थ्यकर्मी उसे घर लेकर जाते। वो उसके घर का जायजा लेते और यह देखते कि वहां उसकी देखभाल हो सकती है या नहीं।
अगर वो संतुष्ट नहीं होते तो छात्रों को इलाज के लिए अस्पताल भेज दिया जाता।
स्पैनिश फ्लू
शिकागो में स्कूल खुले रखने के पीछे बताई जाती है ये वजहें
शिकागो में लगभग पांच लाख छात्रों के लिए स्कूल खोलने के पीछे की यही वजहें बताई जाती हैं। स्कूल खुले रखने के कारण बच्चे गलियों में नहीं घूमते थे और इस कारण वो संक्रमित लोगों से दूर रह पाते थे।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उस समय के आंकड़ों के निष्कर्ष से यह पता चलता है कि शहर में महामारी के दौरान स्कूलों को खुला रखना न्यायसंगत था।
मतभेद
स्कूल खुले रखने से सहमत नहीं कई विशेषज्ञ
मेडिकल इतिहासकार और मिशिगन यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री ऑफ मेडिसिन के निदेशक डॉक्टर हॉवर्ड मार्केल इस बात से सहमत नहीं हैं।
वो कहते हैं कि 1918 में महामारी के दौरान न्यूयॉर्क ने सबसे खराब प्रदर्शन नहीं किया, लेकिन यह सबसे बेहतर भी नहीं था। वो शिकागो की हालत न्यूयॉर्क से बेहतर मानते हैं।
उन्होंने कहा कि शोध में पता चला है कि जिन शहरों ने क्वांटाइन, आइसोलेशन और स्कूल बंद के साथ-साथ भीड़ पर पाबंदी लगाई, वो बेहतर स्थिति में रहे।
बयान
"मौजूदा हालात में स्कूल बंद रखना सही फैसला"
हालांकि, मार्केल समेत कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि कोरोना वायरस इंफ्लूएंजा नहीं हैं, जो 1918 की महामारी की वजह थी। अभी तक कोरोना वायरस और इसके कारण होने वाली बीमारी COVID-19 के बारे में बहुत कुछ जानना बाकी है।
मौजूदा समय में स्कूल-कॉलेजों के बंद रखने पर मार्केल कहते हैं कि आज की स्थिति में स्कूल बंद रखना ही बेहतर फैसला है। बाद में अफसोस जताने से सुरक्षित रहना बेहतर है।