कौन हैं ट्रंप के सलाहकार रिकी गिल, जिन्हें भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम के लिए मिला है सम्मान?
क्या है खबर?
भारत और पाकिस्तान के बीच इस साल हुए संघर्ष विराम को लेकर अमेरिका एक बार फिर चर्चा में है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय मूल के सलाहकार 37 वर्षीय रंजीत 'रिकी' सिंह गिल को इस संघर्ष विराम से जुड़े संवाद में भूमिका निभाने के लिए नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल का 'डिस्टिंग्विश्ड एक्शन अवॉर्ड' दिया गया है। यह सम्मान उन्हें अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने दिया है। आइए जानते हैं गिल कौन है और उन्होंने संघर्ष विराम में क्या भूमिका निभाई।
संदेश
इस सम्मान के जरिए अमेरिका ने दिया अहम संदेश
अमेरिकी प्रशासन के इस कदम को भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में उसकी भी अहम भूमिका होने का दावा करने का प्रयास माना जा रहा है। गिल को सम्मान देना साबित कर रहा है कि अमेरिका उस संघर्ष विराम समझौते पर अपनी मुहर लगाना चाहता है, जिससे भारत ने हमेशा इनकार किया है। ट्रंप प्रशासन के अनुसार, गिल को यह सम्मान आंतरिक समन्वय और कूटनीतिक संपर्कों में योगदान के लिए दिया गया है, लेकिन उनकी भूमिका की सटीक प्रकृति नहीं बताई।
परिचय
कौन हैं रिकी गिल?
रिकी गिल का जन्म साल 1988 में न्यू जर्सी के लोदी में पंजाबी सिख अप्रवासी भारतीय चिकित्सक जसबीर और परम गिल के घर हुआ था। उन्होंने प्रिंसटन विश्वविद्यालय से स्नातक और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी बर्कले से कानून की पढ़ाई की है। वह भारतीय पृष्ठभूमि और दक्षिण एशिया मामलों की समझ के कारण अमेरिकी पॉलिसी मेकिंग स्ट्रक्चर में एक अहम चेहरा माने जाते हैं। वर्तमान में वह राष्ट्रपति ट्रंप के तीन भारतीय मूल के सलाहकारों में से एक हैं।
जिम्मेदारी
ट्रंप के कार्यकाल में ये जिम्मेदारियां निभा चुके हैं गिल
ट्रंप के करीबी माने जाने वाले गिल ने रिपब्लिकन पार्टी के पहले कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) में रूस और यूरोपीय ऊर्जा सुरक्षा के निदेशक के रूप में भी कार्य किया था। NSC एक शक्तिशाली संस्था है जो कई अमेरिकी विभागों और एजेंसियों में सैन्य, राजनयिक और आर्थिक कार्यों का समन्वय करती है। ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में गिल को संवेदनशील भारत-पाकिस्तान, अफगानिस्तान और व्यापक दक्षिण और मध्य एशिया मामलों की देखरेख का दायित्व सौंपा है।
अन्य
ट्रंप प्रशासन में ये जिम्मेदारियां भी उठा चुके हैं गिल
अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ माने जाने वाले गिल ने अमेरिकी विदेश विभाग के विदेशी भवन संचालन ब्यूरो में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। 2018 में ट्रंप के पहले कार्यकाल में उन्होंने इजरायल में अमेरिकी दूतावास को यरुशलम में स्थानांतरित करने के संवेदनशील कार्य की देखरेख में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस कदम का इजरायल ने स्वागत किया, जबकि फिलिस्तीनियों ने इसका व्यापक विरोध किया और वैश्विक स्तर पर काफी विवाद उत्पन्न हुआ।
पहचान
गिल को अमेरिका में कब मिली थी पहचान?
गिल ने महज 17 साल की आयु में ही सार्वजनिक सेवा में प्रवेश कर लिया था। उन्होंने पहली बार तब सबका ध्यान आकर्षित किया जब तत्कालीन कैलिफोर्निया के गवर्नर अर्नोल्ड श्वार्जनेगर ने उन्हें राज्य शिक्षा बोर्ड में एकमात्र छात्र सदस्य के रूप में नियुक्त किया था। सरकारी सेवा में अपने पहले और दूसरे कार्यकाल के बीच गिल ने कनाडा से अमेरिका तक तेल का परिवहन करने वाली टीसी एनर्जी के लिए एक नीति सलाहकार के रूप में काम किया था।
आलोचना
पूर्व विदेश सचिव ने की अमेरिका के कदम की आलोचना
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिबल ने गिल को यह पुरस्कार दिए जाने को भ्रमित करने वाला बताया और संदेह व्यक्त किया कि क्या यह विदेश विभाग द्वारा ट्रंप से श्रेय छीनने का प्रयास था। उन्होंने कहा, "अब, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में एक मध्यस्तरीय अधिकारी ही भारत और पाकिस्तान के बीच सुलह करा सकता है। मुझे इस तरह के मनगढ़ंत दावे को फैलाने का कोई उद्देश्य नजर नहीं आता, सिवाय इसके कि भारत को चिढ़ाया जाए।"
इनकार
भारत ने अमेरिका के दावे से हमेशा किया है इनकार
विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई वरिष्ठ भारतीय नेताओं ने बार-बार कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पूरी तरह द्विपक्षीय प्रक्रिया का नतीजा था। भारत सरकार का स्पष्ट कहना है कि यह समझ स्थापित सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के जरिये सीधे दोनों देशों के बीच बनी और इसमें किसी तीसरे देश, खासकर अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी। हालांकि, इसके बाद भी राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार संघर्ष विराम कराने का दावा करते रहे हैं।