अमेरिकी कोर्ट ने H-1B वीजा के लिए वार्षिक शुल्क को वैध बताया, नहीं लगेगी रोक
क्या है खबर?
अमेरिका की एक कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H-1B वीजा पर लगाए गए 1 लाख डॉलर (करीब 90 लाख रुपये) के वार्षिक शुल्क को वैध ठहराते हुए, इसे हटाने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने फैसले को चुनौती देने वाली सबसे बड़े व्यापार लॉबी US चैंबर ऑफ कॉमर्स की याचिका को खारिज कर दिया है। वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी जिला न्यायाधीश बेरिल हॉवेल ने कहा कि यह आव्रजन को विनियमित करने की उनकी व्यापक शक्तियों के अंतर्गत आता है।
फैसला
कोर्ट ने क्या कहा?
रॉयटर्स के मुताबिक, व्यापार समूह ने याचिका में कहा था कि यह शुल्क संघीय आव्रजन कानून के विपरीत है और इसके कारण कई कंपनियों, अस्पतालों और अन्य नियोक्ताओं को नौकरियां कम करनी पड़ेंगी और जनता को प्रदान की जाने वाली सेवाएं भी कम करनी पड़ेंगी। इस पर न्यायाधीश हॉवेल ने कहा कि जब तक नीतिगत निर्णय द्वारा निर्देशित और उद्घोषणा में व्यक्त की गई कार्रवाइयां कानून की सीमाओं के भीतर आती हैं, तब तक उद्घोषणा को बरकरार रखा जाना चाहिए।
विचार
फैसले को लेकर US चैंबर ने क्या कहा?
चैंबर के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य वकील, डैरिल जोसेफर ने कहा कि कई छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय इस शुल्क को वहन करने में असमर्थ होंगे। उन्होंने कहा, "हम अदालत के फैसले से निराश हैं और इस कोशिश के साथ आगे के कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं कि H-1B वीजा कार्यक्रम उसी तरह संचालित हो सके जैसा कि कांग्रेस का इरादा था।" बता दें कि होवेल को पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने नियुक्त किया था।
मामला
क्या है H-1B का वार्षिक शुल्क का मामला?
H-1B कार्यक्रम अमेरिकी कंपनियों को प्रशिक्षित विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है। खासकर अमेरिकी IT कंपनियां इस वीजा पर निर्भर हैं। हर साल अमेरिका 65,000 H-1B वीजा प्रदान करता है, जिसमें अमेरिका से उच्च शिक्षा प्राप्त कर्मचारियों के लिए 20,000 वीजा आरक्षित है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस साल H-1B वीजा के लिए वार्षिक शुल्क 1 लाख डॉलर कर दिया है, जिससे कंपनियां निराश हैं। पहले यह लगभग 2,000 डॉलर से 5,000 डॉलर था।