ऑस्ट्रेलिया: बिजली बनाने में इस्तेमाल की जा रही है लॉकडाउन में बेकार हुई बीयर
क्या है खबर?
कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाने के लिए बाकी देशों की तरह ऑस्ट्रेलिया में भी लॉकडाउन लागू किया गया था।
इस कारण वहां के बीयर बार बंद हो गए। बाजार में बीयर की मांग न होने के कारण ब्रुअरीज के पास तैयार बीयर का भंडार भर गया।
इन दिनों दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के एक प्रांत में एक्सपायर हो चुकी इस बीयर को बर्बाद करने की बजाय इससे वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट में एक नया काम लिया जा रहा है।
प्रयोग
बायोगैस बनाने के लिए किया जा रहा बीयर का इस्तेमाल
एडिलेड के पश्चिम में स्थित ग्लेनेल्ग वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट में पिछले कुछ दिनों से बायोगैस बनाने के लिए बेकार हो चुकी बीयर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस प्लांट में जैविक औद्योगिक कचरे को सीवर के कीचड में मिलाकर बायोगैस बनाई जाती है।
इस बायोगैस का प्रयोग बाद में बिजली बनाने के लिए होता है, जिससे आम दिनों में प्लांट की जरूरत की 80 प्रतिशत उर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है।
उत्पादन पर असर
बीयर के इस्तेमाल से बढ़ा उत्पादन
CNN के मुताबिक, लॉकडाउन लगने के बाद इस प्लांट में बायोगैस के लिए बीयर का भी प्रयोग होने लगा है। इससे ऊर्जा उत्पादन में भी बढ़ोतरी हुई है।
प्लांट की सीनियर मैनेजर लिजा हेनेंट ने बताया, "हर हफ्ते 1.5 लाख बेकार बीयर मिलाने से हमने मई में रिकॉर्ड 3,55,200 क्यूबिक मीटर और जून में 3.2 लाख क्यूबिक मीटर बायोगैस उत्पन्न की है, जो 1,200 घरों की ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।"
बयान
पूरी प्रक्रिया को आसान कर देती है बीयर- लिजा
लिजा कहती हैं कि बीयर प्लांट में लगी मशीनों के लिए बेहतर काम करती है।
प्लांट में कंक्रीट के टैंकों की बात करते हुए लिजा कहती हैं कि इनमें बिना ऑक्सीजन के सीवर में आने वाले कीचड़ और कचरे को गर्म किया जाता है, जिससे मिथेन की अच्छी मात्रा वाली बायोगैस पैदा होती है।
वो बताती हैं कि बीयर की कैलोरिफिक वैल्यू ज्यादा होने के कारण गर्म करने पर इससे निकलने वाली गैस पूरी प्रक्रिया को आसान बना देती है।
लॉकडाउन का असर
लॉयन बीयर की 45 लाख लीटर बीयर हुई थी बर्बाद
ऑस्ट्रेलिया में मार्च के आखिर में लॉकडाउन लागू किया गया था। उसके बाद से ब्रूइंग उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मई में ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी ब्रुअरीज में से एक लॉयन बीयर ने कहा था कि उसकी 45 लाख लीटर बीयर न बिकने के कारण बेकार हो गई है।
इतनी बड़ी मात्रा में बीयर को देशभर में बनी कंपनी की अलग-अलग ब्रुअरी में बने वेस्टवाटर ट्रीटमेंट प्लांट में डाला गया था, जिससे बायोगैस का उत्पादन किया गया।