ट्रंप समर्थकों का हथियारों के साथ अमेरिकी संसद पर हमला, चार की मौत
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों को लेकर जारी हंगामा उस वक्त और बढ़ गया, जब कांग्रेस की बैठक से पहले ट्रंप समर्थकों की भीड़ अमेरिका की कैपिटल बिल्डिंग में घुस गई। वाशिंगटन डीसी स्थित अमेरिकी कैपिटल में यहां की कांग्रेस के सदस्य बैठते हैं। जो बाइडन को पिछले साल चुनावों में मिली जीत की पुष्टि के लिए यहां कांग्रेस की बैठक चल रही थी। इसी दौरान ट्रंप समर्थकों की भारी भीड़ सुरक्षा इंतजामों को तोड़ते हुए बिल्डिंग में घुस गई।
सांसदों के बचाव के लिए सुरक्षाबलों ने तानी पिस्तौल
बताया जा रहा है कि कैपिटल में घुसने कई वाले कई ट्रंप समर्थकों के पास हथियार थे। उन लोगों ने बिल्डिंग की खिड़कियां तोड़ दीं और सुरक्षाबलों से टकराव की स्थिति में आ गए। कुछ तस्वीरों में सुरक्षाबलों को पिस्तौल ताने देखा जा सकता है। इस दौरान गोली चलने से एक महिला की मौत भी हो गई, वहीं गंभीर रुप से घायल हुए तीन लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई।
चुनाव रद्द करने की मांग के साथ प्रदर्शन कर रहे थे ट्रंप समर्थक
ट्रंप के समर्थक चुनाव रद्द कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों और पुलिस का टकराव हो गया। इसके बाद स्थिति बिगड़ती गई और उन्होंने दीवारें लांघते हुए बिल्डिंग के अंदर प्रवेश कर लिया। कुछ प्रदर्शनकारी अमेरिकी कांग्रेस में हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की स्पीकर नैन्सी पेलोसी के कार्यालय में घुस गए। हालातों को देखते हुए वाशिंगटन डीसी में बुधवार शाम छह बजे से गुरुवार सुबह तक के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है।
ट्रंप ने समर्थकों से की शांति बनाए रखने की अपील
ट्रंप ने हंगामा कर रहे समर्थकों से शांति बनाए रखने की अपील की है। हालांकि, इस दौरान उन्होंने चुनावों में धांधली का आरोप भी दोहराया। ट्रंप ने एक वीडियो संदेश में कहा, "एक चुनाव हुआ, जिसे हमसे चुरा लिया गया। वह एक जबरदस्त चुनाव था और ये बात सबको पता है। खासकर दूसरे पक्ष को, लेकिन अब आपको घर जाना होगा। हमें शांति बनाए रखनी है। हमें कानून व्यवस्था को देखना है। हम नहीं चाहते कि किसी को नुकसान हो।"
ट्विटर ने ट्रंप का अकाउंट लॉक किया, फेसबुक ने हटाई पोस्ट
ट्रंप के चुनावों को लेकर विवादित दावे के कारण ट्विटर ने उनका अकाउंट 12 घंटे के लिए लॉक कर दिया है। ट्विटर की तरफ से कहा गया है कि ट्रंप के कुछ ट्वीट्स उसकी नीतियों का उल्लंघन करते हैं। अगर ट्रंप ये ट्वीट नहीं हटाएंगे तो उनका अकाउंट लॉक ही रहेगा। ट्विटर के बाद फेसबुक ने भी ट्रंप का वीडियो हटा दिया है। कंपनी ने कहा कि उनके संदेश से ऐसा लगता है कि स्थिति और बिगड़ेगी।
यहां देखियेे प्रदर्शन का वीडियो
जो बाइडन ने हंगामे को बताया राजद्रोह
अमेरिका के भावी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस हंगामे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजद्रोह बताया है। बाइडन ने ट्विटर पर लिखा, 'मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से आह्वान करता हूं कि वह अपनी शपथ पूरी करें और संविधान की रक्षा करें। इस घेराबंदी को समाप्त करने की मांग करें। मैं साफ कर दूं कि कैपिटल बिल्डिंग पर जो हंगामा हमने देखा हम वैसे नहीं हैं। ये कानून न मानने वाले अतिवादियों की छोटी संख्या है।
माइक पेंस बोले- दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी
अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने भी प्रदर्शन कर रहे लोगों से हिंसा रोकने की अपील की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि यह हमला बर्दाश्त नहीं होगा और इसके दोषी लोगों को कड़ी से कड़ी कानूनी सजा दी जाएगी।
हंगामे पर काबू पाने के लिए तैनात सुरक्षाबल
अब तक 13 लोग गिरफ्तार, हथियार भी मिले
बीबीसी के अनुसार, पुलिस ने अब तक हंगामा करने वाले 13 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इनके पास से हैंडगन और लॉन्ग गन समेत कई हथियार बरामद किए हैं। फिलहाल पुलिस प्रदर्शनकारियों को कैपिटल से दूर हटाने में लगी हुई है। हंगामे को देखते हुए सर्टिफिकेट वाले बैलेट बॉक्स को कांग्रेस से बाहर निकालकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया। अब अमेरिकी समय के मुताबिक बुधवार रात को जीत की पुष्टि की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
कैपिटल में हुए हंगामे की दुनियाभर में निंदा
वाशिंगटन डीसी की कैपिटल हिल्स पर हुए इस हंगामे की दुनिया के कई देशों ने निंदा की है। यूनाइटेड किंगडम (UK) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट किया कि अमेरिकी कांग्रेस में शर्मनाक घटना हुई है। यह महत्वपूर्ण है कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से हो। फ्रांस ने इस घटना को लोकतंत्र पर गंभीर हमला बताया है। वहीं कनाडा ने कहा कि सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण लोकतंत्र की मौलिकता है। इसे जारी रखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी दी प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री मोदी ने भी वाशिंगटन में हुए हंगामे पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सत्ता का हस्तातंरण शांतिपूर्ण तरीके से होना जरूरी है। गैरकानूनी प्रदर्शनों के जरिये लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में रोड़ा नहीं लगाने दिया जा सकता।