कोरोना वायरस को रोकने में असफल रहने का आरोप लगाकर ट्रंप ने रोकी WHO की फंडिंग
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि वो अमेरिका की तरफ से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को जाने वाली फंडिंग रोक रहे हैं। उन्होंने संगठन पर कोरोना वायरस (COVID-19) को फैलने से रोकने के लिए पर्याप्त कदम न उठाने का आरोप लगाया है। ट्रंप ने कहा कि अगर संगठन चीन से आ रही शुरुआती रिपोर्ट की सही जांच करता तो वायरस के प्रसार का रोका जा सकता था और हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती थी।
कर्तव्य निर्वहन में असफल रहा है WHO- अमेरिका
ट्रंप ने पत्रकारों को बताया, "WHO अपने मूल कर्तव्य के निर्वहन में असफल रहा है और उसे उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि अमेरिका फंडिंग बहाल करने पर विचार करने से पहले महामारी को रोकने के लिए WHO के कदमों की समीक्षा करेगा।
ट्रंप ने पिछले सप्ताह दी थी फंड रोकने की धमकी
संगठन की तरफ से ट्रंप के इस फैसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, जब मंगलवार को ट्रंप के फैसले से पहले संगठन की प्रवक्ता से अमेरिका की तरफ से संभावित फंड कटौती के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि तमाम मसलों के बावजूद संगठन का काम जारी रहेगा। बता दें कि ट्रंप ने कुछ दिन पहले फंडिंग रोकने की धमकी दी थी, लेकिन बयान देने के तुरंत बाद वो अपनी बात से पलट गए थे।
ट्रंप ने कहा- समीक्षा में लगेंगे 60-90 दिन
जब ट्रंप ने पूछा गया कि क्या महामारी के समय में संगठन की फंडिंग रोकना उपयुक्त समय है तो उन्होंने कहा कि इसकी समीक्षा में 60-90 दिन लगेंगे। यह समीक्षा का समय है, लेकिन इसी दौरान अमेरिका संगठन को दी जाने वाली फंडिंग रोक रहा है। अमेरिका WHO में सुधार के लिए प्रयासरत है। उन्होंने चीन की तरफ इशारा करते हुए शिकायती लहजे में कहा कि अमेरिका की तुलना में दूसरे देश संगठन को काफी कम पैसा देते हैं।
UN ने कहा- फंड रोकने का सही समय नहीं
ट्रंप के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र (UN) के महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि संगठन को सहायता देना बंद करने का यह सही समय नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी को रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों में WHO की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। गुटरेस ने कहा कि मौजूदा समय में महामारी से लड़ रहे WHO समेत किसी भी संगठन के संसाधनों में कटौती करने के लिए यह उपयुक्त समय नहीं है।
अमेरिका ने पिछले साल WHO को दिया इतना फंड
अमेरिका ने 2018-19 में WHO के कुल बजट में 900 मिलियन डॉलर का योगदान दिया था। यह संगठन के कुल 4.4 बिलियन डॉलर के बजट का पांचवा हिस्सा था। अमेरिका लगभग तीन चौथाई फंड 'स्पेसिफाइड वॉलेंटरी कांट्रिब्यूशन' में और बाकी 'अस्सेस्ड' फंडिंग में देता है। 2019 में अमेरिका ने 452 मिलियन डॉलर का फंड WHO को दिया था। फरवरी में ट्रंप प्रशासन ने इस फंड को घटाकर 57.9 मिलियन डॉलर कर दिया था।
WHO पर चीन की तरफ झुकाव रखने का आरोप लगा चुके हैं ट्रंप
कोरोना वायरस दुनियाभर में लगभग 20 लाख लोगों को संक्रमित और 1.25 लाख लोगों की जान ले चुका है। पिछले सप्ताह ट्रंप ने WHO पर चीन की तरफ झुकाव रखने का आरोप लगाया था। ट्रंप ने कहा कि था कि वायरस फैलने की शुरुआत होने के बाद चीन से यात्रा पर प्रतिबंध लगाया था, जिसकी WHO ने आलोचना की थी। ट्रंप ने कहा था कि वायरस को लेकर WHO ने कई बार गलत जानकारियां दी।
अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन ने की फैसले पर पुनर्विचार की मांग
अमेरिकी मेडिकल एसोसिएशन ने राष्ट्रपति ट्रंप से WHO की फंडिंग रोकने के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है। एसोसिएशन की प्रवक्ता ने कहा कि संकट की इस घड़ी में समाधान ढूंढने की जगह फंडिग रोकना एक खतरनाक कदम है।
WHO के बारे में ये बातें जानना जरूरी
WHO एक अंतर-सरकारी संगठन है जो सदस्य देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के जरिए उनके साथ मिलकर काम करता है। इसका मकसद लोगों को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज देना, स्वास्थ्य आपातकाल से बचाना और लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जेनेवा में स्थित है और फिलहाल 150 देशों में लगभग 7,000 लोग इसके लिए काम कर रहे हैं। 1945 में इसकी स्थापना की चर्चा शुरू हुई और 1948 में इसका संविधान सामने आया।