न्यूजीलैंड में आर्थिक संकट, 2020 के बाद पहली बार अर्थव्यवस्था में आई मंदी
न्यूजीलैंड आर्थिक संकट गुजर रहा है। देश की कृषि-संचालित अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है। यहां चुनाव से कुछ महीने पहले एक विनाशकारी चक्रवात ने व्यापक मंदी को बढ़ावा दिया है। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022 के अंत में 0.7 प्रतिशत की गिरावट के बाद पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था 0.1 प्रतिशत तक गिर गई है। न्यूजीलैंड के वित्त मंत्री ग्रांट रॉबर्टसन ने कहा कि 2020 के बाद पहली बार अर्थव्यवस्था में मंदी आई है।
मंदी को लेकर वित्ती मंत्री ने क्या कहा?
रॉबर्टसन ने कहा, "आम चुनाव से पहले देश की अर्थव्यवस्था में मंदी आना आश्चर्यजनक नहीं है। हम जानते हैं कि 2023 एक चुनौतीपूर्ण साल है क्योंकि वैश्विक विकास धीमा है, मुद्रास्फीति लंबे समय से अपने उच्चतर स्तर पर बनी हुई है।" उन्होंने कहा कि उत्तरी द्वीप पर खराब मौसमी घटनाओं की मार पड़ी है, जिसकी वजह से व्यवसाय बाधित हुए हैं और आमघरों पर भी मौसम की मार पड़ी है।
2020 के बाद पहली बार अर्थव्यवस्था में मंदी
आर्थिक मंदी के पीछे क्या है कारण?
आर्थिक विश्लेषकों ने कहा कि फरवरी और मार्च के दौरान खराब मौसम के प्रभाव से न्यूजीलैंड में आर्थिक मंदी बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि ऑकलैंड में जनवरी की बाढ़ और फरवरी में चक्रवात गेब्रियल की वजह से हुई तबाही का अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि चक्रवाती बारिश ने कुछ प्रमुख फसल उगाने वाले क्षेत्रों को तबाह कर दिया और सड़क नेटवर्क को व्यापक नुकसान पहुंचाया है।
2020 के बाद न्यूजीलैंड में पहली बार आई मंदी
न्यूजीलैंड में 2020 के बाद यह पहली मंदी है। पिछले साल कोरोना महामारी की वजह से देश की सीमाओं को बंद करना पड़ा था, इस वजह से निर्यात बंद हो गया था, तब भी न्यूजीलैंड में मंदी का दौर था। न्यूजीलैंड सरकार का अनुमान है कि खराब मौसम से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 150 लाख न्यूजीलैंड डॉलर तक की लागत आएगी और यहां महंगाई दर 6.7 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
किसी देश में कब आती है मंदी?
कोई भी देश तकनीकी तौर पर आर्थिक मंदी की चपेट में आया हुआ तभी माना जाता है, जब सकल घरेलू उत्पाद (GDP) लगातार दो तिमाहियों में सिकुड़ जाता है। दिसंबर, 2022 की तिमाही में 0.7 प्रतिशत की गिरावट के बाद मार्च, 2023 में खत्म हुई तिमाही में GDP में 0.1 प्रतिशत की गिरावट के साथ न्यूजीलैंड ने इस मानदंड को पूरा कर लिया है। इससे पहले यूरोपियन अर्थव्यव्यवस्था भी मंदी की चपेट में आ चुकी है।