काबुल में गुरूद्वारे पर हमला करने वाले आंतकियों का असली निशाना भारतीय दूतावास था- खुफिया रिपोर्ट्स
बुधवार को अफगानिस्तान के काबुल में एक गुरूद्वारे पर हमला करने वाले आतंकियों का असली निशाना भारत था। खुफिया एजेंसियों की मानें तो आतंकी गुरूद्वारे से तीन किलोमीटर दूर स्थिति भारतीय दूतावास पर हमला बनाने के लिए निकले थे लेकिन दूतावास पर कड़ी सुरक्षा होने के कारण गुरूद्वारे पर हमला कर दिया। एजेंसियों के अनुसार, इस हमले की साजिश पाकिस्तान ने रची थी जिसका मकसद भारत को अफगानिस्तान से बाहर करना है।
बुधवार को हुए हमले में मारे गए थे 28 सिख
बुधवार को चार बंदूकधारी आतंकियों ने काबुल के शोर बाजार स्थित गुरु हर राय गुरुद्वारा पर हमला किया था। इस हमले में 28 सिख मारे गए थे, जबकि आठ घायल हुए थे। बाकी 85 सिखों को घटनास्थल से सुरक्षित बाहर निकाला गया था। अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों ने इनमें से एक आतंकी को ढेर कर दिया, वहीं तीन आतंकी मौके से भागने में कामयाब रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भारत के तमाम नेताओं ने इस हमले पर दुख जताया था।
पाकिस्तान के इशारे पर तालिबान ने दिया था हमले का आदेश
अफगानिस्तान और अन्य पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों से आ रही सूचना की मानें तो ये हमला हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने किया था और उनका असली निशाना तीन किलोमीटर दूर भारतीय दूतावास था। खुफिया एजेंसियों के अनुसार, भारत को अफगानिस्तान से बाहर करने के मकसद से पाकिस्तान के इशारों पर तालिबान की क्वेटा शूरा इकाई ने इस हमले का आदेश दिया था। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों ने इस ऑपरेशन को 'ब्लैकस्टार' नाम दिया था।
पिछले कुछ समय से था भारतीय दूतावास पर हमले का अलर्ट
खुफिया एजेंसियों के अनुसार, इस हमले के लिए पाकिस्तान ने तालीबान के डिप्टी कमांडर सिराजुद्दीन हक्कानी के हक्कानी नेटवर्क और लश्कर के आतंकियों का इस्तेमाल किया था। भारत के एक सुरक्षा अधिकारी के अनुसार, आतंकियों ने गुरूद्वारे पर शायद इसलिए हमला किया क्योंकि ये एक आसान लक्ष्य था। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ समय से काबुल स्थित भारतीय दूतावास और जलालाबाद स्थित वाणिज्य दूतावास पर हमले का अलर्ट था और इसलिए वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के वापस जाने का फायदा उठाना चाहता है पाकिस्तान
बता दें कि अमेरिका तालिबान के साथ शांति समझौते की घोषणा कर चुका है और इसके तहत अगले 14 महीने में अफगानिस्तान से अपनी सेना निकाल लेगा। मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान भारत को अफगानिस्तान से बाहर करने की साजिश रच रहा है और तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद आदि संगठन पाकिस्तान के नियंत्रण में हैं। लश्कर और जैश ने अपने आतंकी कैंपों को अफगानिस्तान की पूर्व सीमा पर कश्मीर के पास शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।
भारतीय दूतावास और वाणिज्य की सुरक्षा बेहद कड़ी की गई
खुफिया जानकारी के अनुसार, तालिबान हक्कानी नेटवर्क की मदद से अफगानिस्तान को संभालेगा और सोशल मीडिया पर इस्लामिक स्टेट और अलकायदा को मुखौटे की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। इस बीच गुरूद्वारे पर हमले के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएं बढ़ गई हैं और उन्हें डर है कि आने वाले दिनों में हक्कानी नेटवर्क उसके दूतावास और वाणिज्य दूतावास को निशाना बना सकता है। इसे देखते हुए दोनों जगहों पर सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है।