कोरोना वायरस पर काबू पाने में कैसे कामयाब रहा दक्षिण कोरिया?
क्या है खबर?
ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रही है और अरबों लोग अपने घरों में बंद रहने को मजबूर हैं, दक्षिण कोरिया में जीवन सामान्य की तरफ लौट रहा है।
दक्षिण कोरिया कोरोना वायरस पर काबू पाने में कामयाब रहा है और अब पूरी दुनिया उसकी सफलता के कारणों पर विचार कर रही है।
आइए आपको बताते हैं कि कैसे दक्षिण कोरिया मात्र कुछ हफ्तों के अंदर कोरोना पर काबू पाने में कामयाब रहा।
शुरूआत
दक्षिण कोरिया में 20 जनवरी को सामने आया कोरोना का पहला मामला
दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस का पहला मामला 20 जनवरी को सामने आया था। अगले कुछ दिन तक कम ही मामले सामने आए हैं और लगा कि देश ने कोरोना पर काबू पा लिया है।
लेकिन कोरोना वायरस से संक्रमित एक ईसाई महिला के देश के प्रसिद्ध चर्च के एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने और लगभग 1,000 लोगों को संक्रमित करने के बाद देश के सामने एक बार फिर से कोरोना का संकट आ खड़ा हुआ।
पीक
29 फरवरी को पीक के बाद अचानक कम हुए नए मामले
फरवरी के अंत तक दक्षिण कोरिया में मामले हजारों में पहुंच गए और 29 फरवरी को सबसे अधिक 909 नए मामले सामने आए।
लेकिन इसके बाद नए मामलों में तेजी से गिरावट आना शुरू हो गई और मार्च के अंत तक प्रतिदिन के केस दर्जनों में और फिर एक अंक में सिमट कर रह गए।
बुधवार को देश में 11 नए मामले सामने आए और ये लगातार चौथा ऐसा दिन था जब 15 से कम नए मामले सामने आए।
आंकड़े
दक्षिण कोरिया में कोरोना के 80 प्रतिशत मरीज हुए ठीक
अभी तक दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के 10,683 मामले सामने आ चुके हैं जिनमें से 8,000 से अधिक पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं।
देश में लगभग 240 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हुई है और उसकी मृत्यु दर 2.23 प्रतिशत है जो दुनियाभर में सबसे कम दरों में शामिल है।
अब पूरी दुनिया दक्षिण कोरिया की तरफ देख रही है कि उसने ऐसा क्या किया, जिसकी मदद से उसने कोरोना पर काबू पा लिया।
कारण
इस फॉर्मूले से दक्षिण कोरिया ने पाई कोरोना पर जीत
दक्षिण कोरिया ने कोरोना वायरस पर ये काबू अपने 'टेस्ट, ट्रैस और कंटेन' के सिद्धांत के कारण पाया है।
देशभर में कोरोना वायरस के टेस्ट के लिए ड्राइव-थ्रू और वॉक-इन टेस्ट सेंटर्स खोले गए जहां कोई भी जांच करा सकता था। मोबाइल सेंटर्स के जरिए लोगों की 10 मिनट के अंदर फ्री में जांच की गई और 24 घंटे के अंदर उन्हें उनके फोन पर रिपोर्ट भेजी गई।
इसके अलावा कॉलोनियों के आगे सेंटर्स लगा सबकी जांच की गई।
जानकारी
मध्य मार्च तक किया 2.7 लाख लोगों का टेस्ट
अपनी इस आक्रामक रणनीति के कारण जब मार्च के मध्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सभी देशों को बड़ी मात्रा में कोरोना वायरस के टेस्ट करने की सलाह दी, तब तक दक्षिण कोरिया 2.7 लाख लोगों का टेस्ट कर चुका था।
ट्रैसिंग
संक्रमित लोगों के संपर्क में आने वालों की ट्रैसिंग के लिए मोबाइल तकनीक का प्रयोग
दक्षिण कोरिया ने कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों की ट्रैसिंग के लिए भी आक्रामक रणनीति अपनाई और इसमें मोबाइल तकनीक का जमकर प्रयोग किया।
संक्रमित पाए गए लोगों से पूछा गया कि हाल ही में वे कहां-कहां गए थे और GPS फोन ट्रैकिंग, CCTV कैमरा रिकॉर्ड्स और क्रेडिट कार्ड लेनदेन के जरिए पता लगाया गया कौन सी जगहों पर खतरा हो सकता है और वहां के प्रशासन को अलर्ट किया गया।
कंटेनमेंट
पूरे देश ने सख्ती से किया फिजिकल डिस्टेंसिंग और अन्य नियमों का पालन
कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में दक्षिण कोरिया का तीसरा हथियार कंटेनमेंट यानि इसे नए इलाकों और लोगों में फैलने से रोकना रहा।
देश की सरकार ने अपने करोड़ो नागरिकों को अपना व्यवहार बदलने, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने और मास्क पहनने जैसी चीजों के बारे में जागरूक किया और नागरिकों से सख्ती से इसका पालन भी किया।
इसके अलावा कंपनियों को भी कर्मचारियों को घर से काम देने के लिए उत्साहित किया गया।
खास बात
बिना कड़े लॉकडाउन के दक्षिण कोरिया ने पाई जीत
'टेस्ट, ट्रैस, कंटेन' की अपनी इस रणनीति के दम पर दक्षिण कोरिया कोरोना वायरस पर काबू पाने में कामयाब रहा और अब दूसरे देशों के लिए मिसाल बना हुआ है।
देश में 15 अप्रैल को आम चुनाव हुए जिसमें करोड़ो मतदाताओं ने वोट डाला। वहीं राजधानी सियोल में लोग काम पर लौटने लगे हैं।
दक्षिण कोरिया की इस लड़ाई में सबसे खास बात ये रही कि उसने अन्य देशों की तरह कड़े लॉकडाउन का प्रयोग नहीं किया।