क्या कोरोना वायरस को रोकने के लिए चीन ने समय रहते कार्रवाई की?
एक समय कोरोन वायरस का केंद्र रहा चीन फिलहाल के लिए इससे उभरता हुआ नजर आ रहा है और पिछले दो दिन में चीन में वायरस से संक्रमण का कोई भी नया घरेलू मामला सामने नहीं आया है। इस सफलता के बाद चीन पूरे नैरेटिव को बदलकर दुनिया को दर्शाना चाहता है कि वायरस को काबू करने में चीनी प्रशासन बेहद असरदार साबित रहा है। लेकिन उसकी ये बातें तथ्यों से मेल नहीं खाती। ऐसा क्यों, आइए आपको बताते हैं।
नवंबर में सामने आया था पहला मामला- रिपोर्ट
चीन ये दर्शाने की कोशिश कर रहा है कि उसने कोरोना वायरस के खिलाफ समय रहते और तत्परता से कार्रवाई की और इससे दुनिया को उसके खिलाफ लड़ाई के लिए अतिरिक्त समय मिला। लेकिन 'साउथ चाइना सी मॉर्निंग पोस्ट' की एक रिपोर्ट की मानें तो ये दावा गलत है। इसके अनुसार, वुहान में कोरोना वायरस का पहला मामला नवंबर में सामने आया था और सरकार ने जनवरी में कठोर कदम उठाए। इस बीच दो महीने ये वायरस फैलता रहा।
17 नवंबर के बाद रोजाना सामने आने लगे पांच-छह मामले
इस रिपोर्ट के अनुसार 17 नवंबर को वुहान में एक 55 वर्षीय शख्स कोरोना जैसे लक्षणों के साथ अस्पताल पहुंचा और वह इससे संक्रमण का पहला मामला हो सकता है। इसके बाद अगले एक महीने तक रोजाना पांच-छह मरीज अस्पताल आते रहे और 15 दिसंबर तक लगभग 27 मामले सामने आ चुके थे। 20 दिसंबर तक ये 60 हो गया। 27 दिसंबर को हुबेई के एक डॉक्टर ने नोवेल कोरोना वायरस से ये बीमारी होने की जानकारी दी।
चीनी प्रशासन की तानाशाही का शिकार बने डॉक्टर ली वेनलियांग
चीनी प्रशासन की तानाशाही का सबसे पहला शिकार वुहान के डॉक्टर ली वेनलियांग बने जिन्होंने सबसे पहले बाकी लोगों को एक नए वायरस के कारण बीमारी फैलने की चेतावनी दी। वुहान सेंट्रल अस्पताल में बतौर नेत्र विशेषज्ञ काम करने वाले वेनलियांग ने दिसंबर में सात ऐसे मामले देखे थे जिनमें उन्हें SARS जैसे किसी वायरस के लक्षण दिखे। 30 दिसंबर को एक चैट ग्रुप में साथी डॉक्टरों को इसके बारे में चेताया।
पुलिस ने वेनलियांग को धमकाया, बाद में कोरोना से हुई मौत
इसके चार दिन बाद पुलिस ने वेनलियांग को तलब किया और उन पर उन पर अफवाह फैलाने और झूठे दावे करने का आरोप लगाया गया। डरा-धमकाकर उनसे एक इकबालिया बयान पर हस्ताक्षर कराए गए। कुछ दिन बाद वेनलियांग खुद कोरोना से संक्रमित हो गए और 6 फरवरी को उनकी मौत हो गई। मौत से पहले 'न्यूयॉर्क टाइम्स' से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि अगर अधिकारियों ने वायरस की जानकारी पहले सार्वजनिक कर दी होती तो स्थिति बेहतर होती।
इंसानों में सपर्क से वायरस फैलने की बात को छिपाती रही चीनी सरकार
वेनलियांग ने इस दौरान इंसानों में संपर्क के लिए जरिए ये वायरस फैलने की चेतावनी भी दी लेकिन चीनी सरकार लगातार इससे मना करती रही। अगर चीनी सरकार समय पर ये जानकारी दुनिया को दे देती तो हजारों लोगों की जान बच सकती थी।
जिनपिंग की आलोचना करने वाले प्रोफेसर को हाउस अरेस्ट में रखा गया
इसके अलावा कोरोना वायरस को संभालने के चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तरीके की तीखी आलोचना करने वाले प्रोफेसर जू झांगग्रुन को भी हाउस अरेस्ट में रखा गया है। उनके एक दोस्त ने 'द गार्डियन' अखबार को बताया कि वायरस के कारण घर में एकांत में रखने के नाम पर जू को हाउस अरेस्ट में रखा गया है। उन्हें सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट करने की इजाजत भी नहीं है।
जिनपिंग का इस्तीफा मांगने वाले सामाजिक कार्यकर्ता को किया गया गिरफ्तार
जिनपिंग के इस्तीफे की मांग करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता जू जियांग को भी गिरफ्तार किया गया है। अपने एक लेख में जिनपिंग के बारे में लिखते हुए जियांग ने लिखा था, "आपने सच को बाहर आने की अनुमति नहीं दी और वायरस एक राष्ट्रीय आपदा में बदल गया। जब भी आपके सामने कोई संकट आता है, आपके पास कोई समाधान नहीं होता।" उनकी मेजबानी करने वाले एक परिवार को भी गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
वायरस के प्रकोप को दर्शाने वाला पत्रकार लापता
वुहान में प्रकोप के बारे में सोशल मीडिया पर कई वीडियो पोस्ट करने वाले पत्रकार चेन क्युशी भी गायब हो गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर कई वीडियो डालते हुए मरीजों की बड़ी संख्या के सामने बेबस अस्पतालों और डॉक्टरों को दर्शाया था। अपने एक वीडियो में उन्होंने कहा था, "मैं डरा हुआ हूं। मेरे सामने वायरस है और मेरे पीछे चीन की कानूनी और प्रशासनिक शक्ति है।" उनके गायब होने में किसका हाथ है, ये समझना मुश्किल नहीं।
जिनपिंग को जोकर कहने के बाद कारोबारी लापता
इसी तरह बीजिंग के बड़े कारोबारी रेन जिकियांग भी जिनपिंग को जोकर कहने के कुछ दिन बाद लापता हो गए। उन्होंने आरोप लगाया था कि बोलने की आजादी पर सरकार के कठोर नियमों ने इस महामारी को भीषण बना दिया।
समय रहते कार्रवाई करता चीन तो बच सकती थी हजारों लोगों की जान
इस सारे उदाहरणों से साफ है कि भले ही चीन अब पूरे नैरेटिव को बदलने और जिनपिंग को एक हीरो के तौर पर दर्शाने की पूरी कोशिश कर रहा हो, लेकिन सच ठीक इसके विपरीत है। अगर चीन ने समय रहते वायरस के खिलाफ कार्रवाई की होती और सच सामने ला रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई न की होती तो चीन और दुनिया में वायरस से हजारों लोगों को बचाया जा सकता था।
कोरोना वायरस से चीन में 3,200 से अधिक की मौत
गौरतलब है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ था और अब तक चीन में इसके 80,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 3,200 से अधिक चीनी नागरिकों को इसके कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।