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करोड़ों रुपये में मिलती है इस मछली की उल्टी, परफ्यूम बनाने में किया जाता है इस्तेमाल
परफ्यूम बनाने में इस्तेमाल किया जाता है स्पर्म व्हेल की उल्टी

करोड़ों रुपये में मिलती है इस मछली की उल्टी, परफ्यूम बनाने में किया जाता है इस्तेमाल

लेखन गौसिया
Jan 30, 2024
12:56 pm

क्या है खबर?

क्या आपने कभी सोचा है कि किसी मछली की उल्टी भी करोड़ों रुपये में बिक सकती है? यकीनन इस सवाल से आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन यह सच है। स्पर्म व्हेल नामक मछली की उल्टी, जिसे एम्बरग्रीस कहते है, की कीमत करोड़ों रुपये में है। कमाल की बात तो यह है कि इसका इस्तेमाल सदियों से महंगे परफ्यूम बनाने के लिए हो आ रहा है। आइये इसके बारे में विस्तार से जानें।

उल्टी

कैसे होता है एम्बरग्रीस?

एम्बरग्रीम को व्हेल की उल्टी के अलावा 'समुद्र का खजाना' या 'तैरता हुआ सोना' भी कहा जाता है। यह एक ठोस और मोम जैसा पदार्थ होता है, जो स्पर्म व्हेल की आंतों से उत्पन्न होता है। स्पर्म व्हेल बड़े दांतों वाली मछली है, जिसे लंबे समय से लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम के तहत लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसकी उल्टी सुगंध उद्योग में एक खजाने की तरह है क्योंकि यह इत्र और परफ्यूम की खुशबू बढ़ाती है।

बाहर

कैसे बाहर आता है एम्बरग्रीस?

जानकारी के मुताबिक, जब स्पर्म व्हेल चोंच वाले तेज समुद्र जीवों को खाती है तो इसके पाचन तंत्र में स्राव होता है, जिसके बाद व्हेल गैर जरूरी स्राव को उल्टी के जरिए बाहर निकाल देती है। इसी दौरान एम्बरग्रीस भी बाहर आता है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी गंध बुरी होती है, लेकिन हवा के संपर्क में इसकी गंध सुगंध में बदल जाती है। इसे परफ्यूम में मिलाने से यह उसकी खुशबू को हवा में उड़ने से रोकता है।

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बयान

परफ्यूमर ने एम्बरग्रीम के बारे में क्या कहा?

परफ्यूम कंपनी चेमिन के मालिक नवंबर निकोल्स ने बताया कि एम्बरग्रीस एक मूल्यवान पदार्थ है, जो अपनी अनूठी सुगंध के लिए जाना जाता है। यह उन सुगंधों को बढ़ा देता है, जिनमें इसे मिलाया जाता है। उन्होंने आगे बताया कि व्हेल की आंत को तेजधार या तीखी वस्तुओं से बचाने के लिए इसका स्त्राव होता है और समय के साथ यह बाहर निकल जाता है। इसके बाद यह आमतौर पर समुद्र में तैरते हुए या किनारों पर पाया जाता है

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अवैध

अवैध है एम्बरग्रीस का व्यापार

स्पर्म व्हेल की लुप्तप्राय स्थिति के कारण एम्बरग्रीस का व्यापार आसान नहीं है। कुछ देशों में तो इसका व्यापार करना या इसे रखना ही अवैध माना जाता है। ओशन कंजरवेंसी के मुताबिक, 1800 के दशक में शिकार के बाद स्पर्म व्हेल एक लुप्तप्राय प्रजाति बन गई थी। व्हेलिंग उद्योग के शुरू होने से पहले लगभग 11 लाख स्पर्म व्हेल थे, लेकिन अब सिर्फ 3 लाख ही बचे हैं।

जानकारी

काफी महंगा मिलता है एम्बरग्रीस

अनुमान है कि केवल 1 प्रतिशत स्पर्म व्हेल ही एम्बरग्रीस को निकालने में सक्षम हैं। ऐसे में इसकी कमी के कारण यह काफी महंगा मिलता है। एक किलोग्राम एम्बग्रीस की कीमत 35 लाख रुपये से अधिक है।

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