उत्तर प्रदेश: बुजुर्ग ने मौत से पहले की अपनी तेरहवीं, 2 दिन बाद चली गई सांस
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के एटा से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां पर जीते जी अपनी तेरहवीं कराने वाले बुजुर्ग व्यक्ति की 2 दिन बाद मृत्यु हो गई।
इलाके में इस खबर की खूब चर्चा हो रही है क्योंकि वे सभी हैरान हैं कि 2 दिन पहले जिस व्यक्ति ने हंसते हुए खुद का मृत्यु भोज करवाया था, वह अब जिंदा नहीं है।
आइये इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
मामला
हाकिम ने अपनी तेरहवीं के निमंत्रण के लिए लोगों को बांटे कार्ड
यह मामला एटा के सकीट थाना छेत्र का है। यहां पर 55 वर्षीय हाकिम सिंह ने 15 जनवरी को जिंदा रहते हुए ही अपनी तेरहवीं और पिंड दान कर दिया।
इसके लिए उन्होंने कार्ड छपवाकर लोगों को निमंत्रण भी बांटे थे, जिसमें 700-800 लोग शामिल हुए थे और उन्होंने मृत्यु भोज भी किया था।
हाकिम के इस कदम से आसपास के गांव समेत सभी लोग हैरान थे कि तभी इस घटना के 2 दिन बाद हाकिम की मृत्यु हो गई।
कारण
परिवार वालों की वजह से हाकिम ने करवाई तेरहवीं
आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, हाकिम की मृत्यु प्राकृतिक तरीके से हुई है और उनके शव का अंतिम संस्कार भी किया जा चुका है।
हाकिम की मृत्यु के बाद सभी लोगों का कहना है कि शायद उन्हें पहले से ही उनकी मौत का आभास हो गया था, इसलिए उन्होंने जिंदा रहते हुए ही अपनी तेरहवीं कार्यक्रम कर लिया था।
हालांकि, हाकिम का कहना था कि उन्होंने परिवार वालों की वजह से जीते जी अपनी तेरहवीं कर ली है।
निजी जीवन
परिवार वाले हाकिम को जमीन के लिए करते थे परेशान
जानकारी के मुताबिक, हाकिम ने बिहार की एक युवती के साथ विवाह किया था, लेकिन कुछ समय बाद उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई थी।
हाकिम की कोई औलाद नहीं है और वे अपने भाई-भतीजों के साथ रहते थे।
हाकिम का कहना था कि उनके परिवार वाले मकान और जमीन पर कब्जा के लिए अक्सर उनके साथ मारपीट और लड़ाई करते हैं। ऐसे में हाकिम का भरोसा परिवार वालों से उठ गया था।
रिपोर्ट
तेरहवीं के बाद हाकिम ने कहा था- अब चैन से मर सकूंगा
कुछ दिनों पहले हाकिम की तबीयत भी बिगड़ गई थी, इसलिए उन्होंने अपनी जमीन को कम रुपये में बेचकर उन पैसों से अपनी तेरहवीं करा दी।
दरअसल, हाकिम को लगता था कि मरने के बाद उनके घरवाले उनकी तेरहवीं करेंगे भी या नहीं, इसलिए उन्होंने जिंदा रहते हुए ही सारी क्रियाएं करा लीं।
इसके बाद उनका कहना था कि अब वह चैन से मर सकेंगे क्योंकि उन्हें यह डर नहीं सताएगा कि मरने के बाद उनकी तेरहवीं होगी या नहीं।