मिस्र के तैराक ने हथकड़ी पहनकर सबसे अधिक दूरी तक तैरकर बनाया विश्व रिकॉर्ड
क्या है खबर?
मिस्र के तैराक शेहाब आलम ने अपने बेहतरीन कौशल से एक नया गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 31 वर्षीय शेहाब ने हथकड़ी पहनकर 7 मील यानी लगभग 11 किलोमीटर तक तैरकर सबसे दूर तक तैरने का रिकॉर्ड बनाया है।
शेहाब का कहना है कि रिकॉर्ड बनाने के बाद से वह सुपरहीरो की तरह महसूस कर रहे हैं।
आइए उनके इस रिकॉर्ड के बारे में विस्तार से जानते हैं।
रिकॉर्ड
6 घंटे तैरकर शेहाब ने बनाया अनोखा रिकॉर्ड
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के मुताबिक, शेहाब ने अरब की खाड़ी के खुले पानी में 11 किलोमीटर की दूरी तय करके हथकड़ी पहने सबसे दूर तक तैरने का खिताब अपने नाम किया है।
शेहाब ने करीब 6 घंटे तक तैरकर यह रिकॉर्ड बनाया।
बता दें कि इससे पहले अमेरिका के तैराक बेंजामिन काट्जमैन के पास यह रिकॉर्ड था। उन्होंने 2021 में हथकड़ी पहनकर 5.35 मील (8.6 किलोमीटर) तक तैरकर सबसे दूर तक तैरने का रिकॉर्ड बनाया था।
बयान
रिकॉर्ड बनाने के बाद से ही काफी खुश हैं शेहाब
गिनीज अधिकारियों से बात करते हुए शेहाब ने कहा, "पिछला रिकॉर्ड तोड़कर नया रिकॉर्ड बनाने से मुझे एक सुपरहीरो की तरह महसूस हो रहा है। अब इस रिकॉर्ड से मैं रिकॉर्ड में अपनी स्थिति को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए प्रेरित होता रहूंगा।"
उन्होंने आगे कहा कि जब तक उनके हाथों में गिनीज रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र नहीं आ गया था, उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि वह रिकॉर्ड बनाने में सफल हो गए हैं।
मुश्किलें
अभ्यास के दौरान शेहाब ने कई मुश्किलों का किया सामना
शेहाब के मुताबिक, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक होने के नाते उन्हें किसी भी अन्य उपलब्धियों की तुलना में अधिक खुशी मिली है।
उन्होंने जब पहली बार हथकड़ियों में तैरने का अभ्यास शुरू किया था तो उनकी कलाइयों में दर्द होने लगता था और लाल निशान भी आ जाते थे।
इन सबके बावजूद शेहाब ने डबल-आर्म पुल और मॉडिफाइड साइडस्ट्रोक नामक तैराकी तकनीक को लगन से पूरा किया।
जानकारी
प्रशिक्षण के लिए शांत जगहों पर तैरना पसंद करते थे शेहाब
शेहाब ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान उनके हाथों में हथकड़ी लगी होती हैं, जिससे लोगों का ध्यान उन पर अधिक आकर्षित होता है। इस कारण वह शांत जगहों पर ही तैरना पसंद करते थे।
इसके लिए शेहाब आमतौर पर समुद्र तटों की सीमा रेखा के पास ही तैरते थे।
इसके अलावा शेहाब का मानना है कि उनकी उपलब्धि को आने वाले सालों में मानव क्षमता और मानव आत्मशक्ति के एक उदाहरण के रूप में याद किया जाएगा।