कौन हैं पैरा तीरंदाज हरविंदर सिंह, जिन्हें मिलेगा पद्मश्री सम्मान?
क्या है खबर?
पेरिस पैरालंपिक 2024 में धमाकेदार प्रदर्शन कर पुरुष तीरंदाजी में स्वर्ण पदक पर निशाना लगाने वाले हरविंदर सिंह को अब उनकी इस उपलब्धि के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।
इस खिलाड़ी को खेलों में अपने योगदान के लिए देश के इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है।
हरियाणा के इस असाधारण एथलीट ने जीवन में कई चुनौतियों का सामना करते हुए तीरंदाजी की दुनिया में अपना नाम कमाया है।
आइये जानते हैं हरविंदर कैसे यहां तक पहुंचे।
चुनौती
बचपन में आ गई बड़ी मुश्किल
पैरा तीरंदाज हरविंदर सिंह का जन्म 25 फरवरी, 1991 को हरियाणा के कैथल में मध्यमवर्गीय किसान परिवार में हुआ था।
इस खिलाड़ी को महज 1.5 साल की उम्र में एक बुरे दौर से गुजरना पड़ा, जब डेंगू बुखार होने के दौरान एक डॉक्टर के लगाए इंजेक्शन की वजह से उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया।
वह अपने पैरों को ठीक से हिलाने में असमर्थ हो गए।इस मुश्किल के सामने घुटने टेकने की जगह उन्होंने खुद को मजबूत बनाया।
रुचि
ऐसे पैदा हुई थी तीरंदाजी में रुचि
तीरंदाजी में उनकी रुचि 2010 में पंजाब विश्वविद्यालय में तीरंदाजों को ट्रेनिंग करते देखकर पैदा हुई। इस पल ने खेल के प्रति उनके मन में गहरा जुनून पैदा कर दिया।
2 साल बाद अर्थशास्त्र में डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) की पढ़ाई करते हुए 2012 लंदन पैरालिंपिक में एथलीटों को प्रतिस्पर्धा करते देखने के बाद हरविंदर का तीरंदाजी को पेशेवर रूप से अपनाने का संकल्प और भी दृढ़ हो गया।
उन्होंने अगले ही दिन तीरंदाजी रेंज में प्रवेश ले लिया।
शुरुआत
कब हुआ था अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदार्पण?
हरविंदर ने 2017 पैरा तीरंदाजी विश्व चैंपियनशिप से अपना अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया, जिसमें वे 7वें स्थान पर रहे थे।
उनकी लगन ने उन्हें 2018 एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक जीतने में कामयाबी दिलाई, जो उनके उभरते करियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
इसके अलावा उन्होंने टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में व्यक्तिगत वर्ग में कांस्य पदक, 2022 एशियाई पैरा गेम्स में कांस्य पदक जीतकर भारत का परचम दुनिया में फहराया है।
बाधा
पेरिस पैरालंपिक 2024 से पहले आ गई बड़ी चुनौती
हरविंदर पैरालंपिक के इतिहास में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तीरंदाज हैं।
पैरालंपिक से पहले कोविड-19 महामारी ने उनकी ट्रेनिंग को बाधित किया था, लेकिन उनके पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया, जिससे उन्हें इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान अपने कौशल को निखारने का मौका मिला।
इसी साल में उन्होंने पैरा तीरंदाजी विश्व रैंकिंग और विश्व तीरंदाजी ओशिनिया पैरा ग्रांड प्रिक्स में कांस्य पदक जीतकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।